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वंचितों के अधिकारों के लिए लड़ने वालीं सरस्वती उइके को मिला वूमेंस वर्ल्ड समिट अवॉर्ड

locationरायसेनPublished: Oct 16, 2020 07:33:45 pm

Submitted by:

Shailendra Sharma

गरीब और अधिकारों से वंचित लोगों की लड़ाई लड़ने वाली सरस्वती उइके को मिला साल 2020 का वूमेंस वर्ल्ड समिट फाउण्डेशन अवॉर्ड..

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रायसेन. सालों से अपने अधिकारों से वंचित लोगों को न्याय दिलाने, उन्हें उनका अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष करने वाली सरस्वती उइके को वूमेंस वर्ल्ड समिट फाउडेंशन अवॉर्ड 2020 से सम्मानित किया गया है। सरस्वती उइके ने पत्रिका से बातचीत करते हुए बताया कि उन्होंने साल 2003 में रायसेन जिले में काम शुरू किया। यहां आदिवासी, गोंड, भील जनजातियों के लोगों को उनकी जमीन से बेदखल किया जा रहा था। यह देख दुख हुआ, इसलिए उनके लिए संघर्ष किया। जिससे हजारों वंचितों को भूमि अधिकार मिला। बैतूल जिले के भैंसदेही की निवासी सरस्वती उइके ने कहा कि संघर्ष अभी जारी है, मैं वंचितों के लिए काम कर रही हूं, किसी जाति विशेष के लिए नहीं। वंचित किसी भी जाति का हो उसे न्याय दिलाने का प्रयास करती रहूंगी।

एकता परिषद जन संगठन की तीन महिलाओं का चयन
वूमेंस वर्ल्ड समिट फाउण्डेशन ने दुनिया भर में ग्रामीण जीवन में रचनात्मक कार्यों के लिए लगी महिलाओं को पुरस्कार के लिए चुना है। फाउंडेशन ने एकता परिषद जन संगठन की तीन महिला कार्यकर्ताओं को चुना है। इनमें मध्यप्रदेश की सरस्वती उइके रायसेन से, शबनम शाह अशोकनगर से तथा निर्मला कुजूर कोरबा छत्तीसगढ़ शामिल हैं। एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रनसिंह परमार ने बताया कि वूमेंस वर्ल्ड समिट फाउण्डेशन जिनेवा द्वारा ग्रामीण जीवन में महिलाओं के रचनात्मक कार्य के लिए वर्ष 2020 के पुरस्कार की घोषणा की गई है। जिसमें भारत की चार महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं का नाम हैं। मूलत: बैतूल जिले के गौंड आदिवासी समाज में जन्मी सरस्वती उइके रायसेन जिले में गोंड, भील, भीलाला जनजाति के वनाधिकार और सशक्तिकरण के लिए काम कर रही हैं। गौहरगंज और सिलवानी तहसील के कई गांवों में जन जागरूकता के माध्यम से संगठन निर्माण और भूमि अधिकार को लेकर काम किया है। इनके प्रयास से रायसेन जिले में दर्जनों गांव में सैकड़ों आदिवासी परिवारों को वनभूमि का व्यक्तिगत अधिकार और सामुदायिक अधिकार मिला है।

दिल्ली से अरमेनिया तक की पदयात्रा
एकता परिषद के राष्ट्रीय संयोजक अनीश कुमार ने बताया कि सरस्वती उइके परिषद से जुड़ीं तीनों महिलाओं को ग्रामीण जीवन में महिलाओं के सशक्तिकरण के अभियान में नेतृत्व को देखते हुए जय जगत वैश्विक पदयात्रा के लिए चुना गया था। यह यात्रा दिल्ली से लेकर अरमेनिया तक की गई थी।

क्या है वूमंस वर्ल्ड समिट फाउंडेशन
वूमेंस वर्ल्ड समिट फाउण्डेशन का गठन बीजिंग में 1994 में हुए विश्व महिला सम्मेलन के दौरान किया गया था। इस फाउण्डेशन के द्वारा ग्रामीण जीवन में रचनात्मक कार्यो के लिए अब तक दुनिया के 140 देशों के 462 महिलाओं को पुरस्कार दिया गया है। इस पुरस्कार में 1000 डॉलर सहित प्रशस्ति पत्र दिया जाता है।

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