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सत्य से ही संसार का जनम मरण: पं. धर्मेद्र

locationरायसेनPublished: Feb 03, 2019 11:48:44 pm

तिलक महोत्सव के आयोजन का उद्देश्य श्रद्धालुओं को बताते हुए पंडित धर्मेद्र भैया ने बताया कि तिलक का अर्थ सम्यग दर्शन होता है

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Silvani The purpose of organizing the Tilak Mahotsav was devoted to the devotees, Pandit Dharmendra Bhaiya told that the meaning of Tilak is only visible. Shravak, Jainendra are unaware of the voice of God. And accept the truth told by them. The reading of the four-day Ratnatriya Mahotsav, Shree Malaarohan, Awastapana, Tilak Mahamohotsav, Shrimmal Prahman, on Holi Chowk, was concluded on Sunday in which the procession was concluded in the city.

सिलवानी. तिलक महोत्सव के आयोजन का उद्देश्य श्रद्धालुओं को बताते हुए पंडित धर्मेद्र भैया ने बताया कि तिलक का अर्थ सम्यग दर्शन होता है। श्रावक, जिनेंद्र भगवान की वाणी का अस्ताप करते हंै। व उनके द्वारा बताए सत्य को ग्रहण करते हैं। होली चौक स्थित श्रीतारण भवन में चार दिवसीय रत्नत्रय महोत्सव, श्रीमालारोहण, अस्ताप वाचना, तिलक महामहोत्सव, श्रीममल पाहुड़ ग्रंथ की वाचना का रविवार को समापन किया गया, जिसमें नगर में शोभायात्रा निकाली गई।
इस अवसर पर प्रवचन करते हुए धर्मेद्र भैया ने बताया कि संसार की भौतिक वस्तुओं को असत्य जानकर जीने वाला जयवंत तत्व अजर अमर अभिनाषी आत्मा है। प्राणी मात्र स्वयं परमात्मा है। जो जीव इस तत्व को जान लेते हैं, इस सत्स की आस्था करना ही अस्ताप होता है। ऐसी मान्यता हो जाना ही तिलक है। कार्यक्रम को ब्रह्माचारी आत्मानंद ने भी संबोधित कर श्रावकों को धर्म उपदेश से आंनद प्रदान कर मंगल आशीर्वाद दिया गया।
निकाली शोभा यात्रा
संतों के सानिध्य में कार्यक्रम स्थल से शोभायात्रा निकाली गई, जो कि नगर के विभिन्न मार्गों से होती हुई पावर हाऊस के सामने स्थित आयोजक परिवार के दिनेश कुमार जैन के निवास पर पहुंची। यहां पर संक्षिप्त कार्यक्रम आयोजित किया गया। शोभायात्रा में शामिल किए गए एक रथ पर कलश को श्रद्धापूर्वक रखा गया था।
कथा श्रवण, कीर्तन और मनन आवश्यक
सिलवानी. ग्राम बीकलपुर में चल रही शिव महापुराण कथा में पंडित राम कृपालु उपाध्याय ने कहा कि हमारे जीवन में कथा श्रवण, कीर्तन करना एवं मनन जरूरी है। तीनों साधनों के माध्यम से हमारा आत्म कल्याण हो जाता है। जीवन में भगवान की पूजा, उनके नामों का जप तथा उनके गुण, रूप, विलास और नामों का युक्ति परायण चित्त के द्वारा परिशोधन किया जाता है।
शिव की कृपादृष्टि से सब संभव हो जाता है
भगवान शिव की कृपा दृष्टि से ही यह सब संभव हो पाता है। संत ने कहा कि एकाग्र मन एवं इंद्रियों पर नियंत्रण के साथ सुनें। व्यक्ति को चाहिए कि अपने जीवन में किसी की निंदा, स्वार्थ भावना, ईष्र्या के मनोभावों को त्याग कर शिव तत्व को जानने का प्रयास जीवन काल में कर लें भगवान शिव प्रकृति के स्वामी हैं। प्रकृति का संरक्षण करने से शिव कृपा प्राप्त होती है।
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