जिसमें कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री सोनिया गांधी और भाजपा के लालकृष्ण आडवाणी के प्रधानमंत्री पद की दावेदारी और उनके प्रधानमंत्री नहीं बन पाने के साथ यदि वे प्रधानमंत्री होते तो क्या हालात होते, जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई। नगर के वरिष्ठ नागरिकों और राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों ने इस परिचर्चा में भाग लिया।
भाजपा के समर्थकों ने लालकृष्ण आडवानी की नेतृत्व क्षमता पर विश्वास जताया तो कांग्रेस पक्ष ने सोनिया गांधी को सक्षम बताया। हालांकि ये दोनो नेता विभिन्न वजहों से प्रधानमंत्री नहीं बन सके। ब्रजेश चतुर्वेदी ने कहा कि सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री का पद त्याग कर एक अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह को देश की बागडोर सौंपी थी। जो उस समय देश की जरूरत थी। उनकी नीतियों का लाभ वर्तमान सरकार भी उठा रही है। संतोष साहू ने कहा कि सोनिया जी ने देश की बागडोर एक ऐसे व्यक्ति के हाथों में सौंपी थी, जो रिमोट से चले।
राममंदिर के मुद्दे पर जावेद अहमद ने कहा कि कांग्रेस हमेशा से इस मुद्दे को आपसी सहमति से सुलझाना चाहती रही है, जबकि भाजपा इस मुद्दे को उलझाना चाहती है। मि_ूलाल धाकड़ ने कहा कि जिस पार्टी ने 70 साल राज किया, तब क्यों यह मुद्दा नहीं सुलझा। मुकेश शाक्या ने कहा कि भाजपा को राम मंदिर से कुछ लेना देना नहीं है।
राम मंदिर केवल कांग्रेस ही बनवा सकती है। विदिशा लोकसभा क्षेत्र को लेकर हुई चर्चा में पूर्व नपाध्यक्ष राजकुमार यादव ने कहा कि विदिशा में खूब विकास हुआ है। यह क्षेत्र भाजपा का गढ़ है। कांग्रेस सोनिया जी को भी यहां से लड़ा दे तब भी भाजपा ही जीत हासिल करेगी। परिचर्चा में व्यापार संघ अध्यक्ष संतोष साहू, जावेद खान, वकील मुकेश शाक्या, रवि गुरनानी, ब्रजेश चतुर्वेदी, मि_ूलाल धाकड़, राजकुमार यादव शामिल रहे।