यदि निराहार नहीं रह पाता तो अल्पाहार करें। क्योंकि उपवास करने से मन, बुद्धि और चित निर्मल रहता है। निर्मल मन से कथा श्रवण करने से मनुष्यमात्र को कथा का पूरा लाभ मिलता है। कथा सुनने वाले को चाहिए कि कथा प्रारंभ होने से पहले आए और पूरी कथा सुनने के बाद ही प्रस्थान करं। कथा सुनते समय रीढ़ सीधी कर बैठे। प्रणाम करने के लिए कथा मंच पर जाने की जरूरत नहीं। कथा मंच पर जाने से यदि कथा सुनने वालों को व्यवधान होता है, व्यवधान करने वाले को गोहत्या के बराबर पाप लगता है।
श्रावक को चाहिए कि कथा स्थल पर बैठने वाले स्थान से ही प्रणाम करके बैठ जाएं। बैठने के स्थान से प्रणाम करने का फल भी व्यासगादी के पास जाकर प्रणाम करने के बराबर मिलता है। शिवमहापुराण कथा सकाम सुने या निष्काम सुने या आत्म कल्याण के लिए सुने। जिस इच्छा से कथा सुनेंगे वह इच्छा पूरी होगी, कथा सभी को सुनना चाहिए, जिसके पास उदर पूर्ति के लिए एक मुट्ठी आटा भी नहीं है, वह भी कथा सुने, जो करोड़पति है वह भी कथा सुने।
कथा सुनने का फल उसी प्रकार है जैसे किसी भीख मांगने वालों को कोई करोड़पति गोद लेले। कथा सुनने वालों को भगवान गोद ले लेते हंै।
शोभायात्रा कथास्थल मानस सत्संग भवन पहुंचने पर मुख्य यजमान प्रदीप विश्वकर्मा के परिवार द्वारा पूजा-अर्चना के बाद कथा का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर पूर्व विधायक भगवान सिंह राजपूत, रामकिसन पटेल, सुरेश पाठक, गिरीश पालीवाल, राजेन्द्र सिंह पटेल, आयोजन समिति के अध्यक्ष लेखचन्द राजपूत, प्रभुदयाल खरे, प्रेमनारायण दुबे, ब्रजमोहन राठी, संतोष गौतम, कामता धाकड़ ने ब्रह्मचारी महाराज को पुष्पमाल अर्पित कर आशीर्वाद लिया।