पटवारी को जान से हाथ धोना पड़ा
वहीं हैरत की बात ये है कि हर वर्ष प्रशासन लोगों के नुकसान का सर्वे कर मुआवजा देने की सुध तो लेता है। मगर पानी निकासी की स्थाई व्यवस्था नहीं कर पाता है। जबकि कुछ वर्ष पूर्व घरों में घुसे पानी का सर्वे करने के दौरान एक हल्का पटवारी को अपनी जान से हाथ भी धोना पड़ा था। इसके बाद भी प्रशासनिक अधिकारियों पुख्ता व्यवस्था करना मुनासिब नहीं समझा और फिर से वही समस्या सामने आ रही है।
तालाब के तीन तरफ किया फर्शीकरण
नगर की बसावट के बीचों-बीच एक प्राचीन मदागन तालाब है, जो अस्पताल के पिछले हिस्से से लगा हुआ है। इस तालाब का कायाकल्प करने पर्यटन विकास निगम ने लाखों रुपए खर्च कर तीन तरफ से फर्शीकरण कर सुंदर बनाने का प्रयास किया है। मगर विभागीय अधिकारियों व ठेकेदार की मिली भगत से आबादी वाले हिस्से को बिना फर्शीकरण के छोड़ दिया। ऐसे में यहां रहने वालों को कच्चे स्थल से गुजरना पड़ रहा है और बारिश में खासी दिक्कत उठानी पड़ती है।