scriptपानी को लेकर गांव-गांव में संकट | The crisis in village-village over water | Patrika News

पानी को लेकर गांव-गांव में संकट

locationरायसेनPublished: Feb 14, 2019 07:18:31 pm

भू-जल स्तर ४० मीटर गिरा, लोगों की बढ़ी चिंता, सड़क पर उतरने लगे ग्रामीण।

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Raisen The effect of the winter has not diminished even now that the situation of the crisis has started to appear on drinking water. By the way, such a situation usually arises due to the hot summer. But in the fortnight of February, the situation of water from Raisen city to tehsils and village-village water has increased rapidly.

रायसेन. अभी सर्दी का असर कम हुआ भी नहीं कि पेयजल को लेकर संकट की स्थिति नजर आने लगी है। वैसे आमतौर पर ऐसी स्थिति भीषण गर्मी के चलते ही उत्पन्न होती है। मगर फरवरी महीने के पहले पखवाड़े में ही रायसेन शहर से लेकर तहसीलों व गांव-गांव पानी की किल्लत तेजी से बढऩे लगी है। पीएचई विभाग के सूत्रों के मुताबिक जिले में भू-जल स्तर चालीस मीटर तक खिसक चुका है। इस तरह जलस्रोतों का जल स्तर तेजी से खिसक जाने से लोगों से लेकर किसानों को चिंता बढऩे लगी है।
सैकड़ों किसानों के खेतों के बोरों में भी पानी कम होने लगा है। इससे उनके खेतों में खड़ी रबी सीजन की गेहूं, चने की फसल पर संकट बढऩे लगा है। हाल में लंबे अरसे से परेशान ग्राम पंचायत पठारी के रामपुर टोला की महिलाओं ने सागर भोपाल राजमार्ग पर चक्काजाम किया था।

बिगड़ सकते हैं हालात
जल स्तर तेजी से खिसक जानेे से आगामी समय में पीने के पानी को लेकर हालात बिगड़ सकते हैं। खेतों के ट्यूबवेलों ने भी अब पानी उगलना कम कर दिया है। इससे किसानों के समक्ष रबी फसलों के लिए सिंचाई का संकट खड़ा होने लगा है। रायसेन शहर के पटेल नगर, मुखर्जी नगर, चोपड़ा मोहल्ला, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, यशवंत नगर शीतल सिटी, गोपालपुर, कलेक्ट्रेट कॉलोनी, पाटनदेव के अलावा खरगावली, पिपलई, भादनेर, मासेर, करमोदिया, अल्ली, पुरा मुंगावली, नकतरा, मुगालिया, सांचेत, सोनकच्छ, खंडेरा, आदि गांवोंं के बोरों का पानी कम हो रहा है।
5304 हैंडपंप, २५ नलजल योजना बंद
पीएचई विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिले में ३६५ नलजल योजनाएं ग्राम पंचायतों के अधीन संचालित की जा रही हैं, लेकिन किन्हीं कारणों से ३६५ में से २५ नलजल योजनाएं आउट सोर्स योजनाएं बंद पड़ी हुई हैं। इसके अलावा ९९७५ हैंडपंपों में से ५३०४ खराब हैं। कुछ हैंडपंपों के कलपुर्जे घिस चुके हैं, तो कुछ में भू-जल स्तर गिर जाने से बंद हो गए हैं।
मावठा नहीं गिरने से बिगड़े हालात
बारिश की कमी और किसानो द्वारा सिंचाई के लिए नदियों का पानी लेने के कारण जिले की प्रमुख नदियां भी सूखने लगी हैं। बेतवा नदी एक माह पहले ही सूख गई है। तेंदोनी नदी, बेगम नदी जैसी बड़ी नदियां भी सूख गई हैं। इनमें पशुओं के लिए भी पानी नहीं बचा है, जिससे जलस्रोतों का स्तर भी तेजी से गिरा हैँ।

बंद हैंडपंपों में राइजिंग पाइप डालकर उन्हें रिचार्ज कराने पीएचई अमले द्वारा विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसमें हैंडपंपों की मरम्मत, नलजल योजनाओं को चालू कराने के इंतजाम जल्द कराए जाएंगे, ताकि जलसंकट पर समय पर काबू पाया जा सके।
-मनोज कुमार वर्मा, पीएचई ईई रायसेन
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