जल स्तर तेजी से खिसक जानेे से आगामी समय में पीने के पानी को लेकर हालात बिगड़ सकते हैं। खेतों के ट्यूबवेलों ने भी अब पानी उगलना कम कर दिया है। इससे किसानों के समक्ष रबी फसलों के लिए सिंचाई का संकट खड़ा होने लगा है। रायसेन शहर के पटेल नगर, मुखर्जी नगर, चोपड़ा मोहल्ला, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, यशवंत नगर शीतल सिटी, गोपालपुर, कलेक्ट्रेट कॉलोनी, पाटनदेव के अलावा खरगावली, पिपलई, भादनेर, मासेर, करमोदिया, अल्ली, पुरा मुंगावली, नकतरा, मुगालिया, सांचेत, सोनकच्छ, खंडेरा, आदि गांवोंं के बोरों का पानी कम हो रहा है।
पीएचई विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिले में ३६५ नलजल योजनाएं ग्राम पंचायतों के अधीन संचालित की जा रही हैं, लेकिन किन्हीं कारणों से ३६५ में से २५ नलजल योजनाएं आउट सोर्स योजनाएं बंद पड़ी हुई हैं। इसके अलावा ९९७५ हैंडपंपों में से ५३०४ खराब हैं। कुछ हैंडपंपों के कलपुर्जे घिस चुके हैं, तो कुछ में भू-जल स्तर गिर जाने से बंद हो गए हैं।
बारिश की कमी और किसानो द्वारा सिंचाई के लिए नदियों का पानी लेने के कारण जिले की प्रमुख नदियां भी सूखने लगी हैं। बेतवा नदी एक माह पहले ही सूख गई है। तेंदोनी नदी, बेगम नदी जैसी बड़ी नदियां भी सूख गई हैं। इनमें पशुओं के लिए भी पानी नहीं बचा है, जिससे जलस्रोतों का स्तर भी तेजी से गिरा हैँ।
-मनोज कुमार वर्मा, पीएचई ईई रायसेन