राज्यपाल ने कहा कि ‘विश्वविद्यालयों में कुलपति और रजिस्ट्रार सब मिलकर अपनी ड्यूटी नहीं बजाते, जिससे छात्रों को मुश्किल होती है, ऐसे में सांची विश्वविद्यालय बधाई का पात्र है जहां सब मिलकर कार्य कर रहे हैं।
समापन सत्र में राज्यपाल का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय के निवर्तमान कुलपति आचार्य यज्ञेश्वर शास्त्री ने कहा कि तंत्रशास्त्र शोध की दृष्टि से पिछड़ रहा है और इस सम्मेलन से शोध को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि तंत्र की साधना में शक्ति का बहुत महत्व है।
समापन समारोह में भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के चेयरमैन प्रो अरविंद पी जामखेड़कर ने कहा कि तंत्र पर केंद्रित इस सम्मेलन से उन्हें इतिहास को देखने की नई दृष्टि मिली है। विश्वविद्यालय के कुलसचिव अदितिकुमार त्रिपाठी ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि तंत्र शास्त्र का उल्लेख भारतीय, बौद्ध और जैन साहित्य में प्रमुखता से मिलता है। उन्होंने कार्यक्रम में पहुंचे अतिथियों को धन्यवाद दिया। समापन समारोह में मध्य प्रदेश संस्कृति विभाग के अवर मुख्य सचिव और सांची विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति मनोज श्रीवास्तव भी शामिल हुए।
देवी हमारे भीतर हैं
समापन सत्र के पूर्व दो सामान्य सत्रों में अमेरिका से आए प्रो देवाशीष बनर्जी ने तंत्र और वेदांत के अंतरसंबंधों पर प्रकाश डालते हुए दोनों की प्रकियाओं एवं उद्देश्यों पर बात की। उन्होंने कहा कि ‘देवी हमारे भीतर है एवं समस्त ऊर्जा हेतु देवी के प्रति नतमस्तक होने की आवश्यकता है। ऑस्ट्रिया के प्रो जयेन्द्र सोनी ने शैव सिद्धांत और शिवज्ञानबोध में शक्तिनिपात की बात करते हुए कहा कि ‘शक्ति के बिना शिव की कल्पना नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि ‘ज्ञान ही शाश्वत सत्य है और गुरु शिव का प्रतिरूप है।
प्रो विजय बहादुर सिंह ने कहा कि वैदिक काल में शक्ति प्राप्त करने के लिए ही देवताओं की संकल्पना हुई। राम की शक्ति पूजा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ‘राम ने रावण पर विजय पाने के लिए शक्ति की उपासना की थी। अंतिम दिन प्रो राधावल्लभ त्रिपाठी, प्रो स्थानेश्वर तिमलसीना, प्रो क्रिस्टोफर चैपल, प्रो गोदावरीश मिश्रा, प्रो कोएनार्ड एल्सट, प्रो चूड़ामणि नंदगोपाल ने अपने शोध प्रस्तुत किए।
बच्चों को फल बांटे
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए गांव बिलारा के छात्रों को राज्यपाल ने फल, किताबें और मेडिकल फस्र्ट एड किट भेंट की। दो बच्चों को पोषण आहार भेंट किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. नवीन कुमार मेहता ने किया।