रायसेन. जिले से गुजरे तीन नेशनल
हाईवे पर नदियों पर बने पुल सालों से जर्जर स्थिति में हैं, यहां भी पुलों
पर होकर वाहन उछलते हुए या आड़े तिरछे होकर गुजरते हैं। इनमें सफर करने
वाले यात्रियों की जान कलेजे में आ जाती है।
रायसेन. जिले से गुजरे तीन नेशनल हाईवे पर नदियों पर बने पुल सालों से जर्जर स्थिति में हैं, यहां भी पुलों पर होकर वाहन उछलते हुए या आड़े तिरछे होकर गुजरते हैं। इनमें सफर करने वाले यात्रियों की जान कलेजे में आ जाती है। ये हालात हाल ही में नहीं बने, बल्कि सालों से इसी स्थिति में जान हथेली पर लेकर लोग इन पुलों से गुजरते हैं।
बारिश के दिनों में तो हालात और भी गंभीर होते हैं। कई बार हादसे भी हो चुके हैं, लेकिन जिम्मेदार हर बार शीघ्र पुलों का निर्माण कराने का आश्वासन देकर जनता को हादसों का दर्द भुला देते हैं। बरेली के पास नेशनल हाईवे पर बारना नदी पर बना पुल दो भीषण बस दुर्घटनाओं का कारण बन चुका है, इनमें 21 और 22 लोगों की मौत हुई थी। सांची रोड नेशनल हाईवे 146 पर कोड़ी और पग्रेश्वर के पुल हर बारिश में हादसों का कारण बन चुके हैं, लेकिन इन पुलों के निर्माण की ओर न तो शासन गंभीर, न जिले के जनप्रतिनिधि और न ही प्रशासन कोई जरूरी कदम उठा रहा है। लिहाजा रविवार को विदिशा जिले में शमशाबाद में हुई दुर्घटना ने
लोगों को एक बार फिर जिले के पुलों की स्थिति को लेकर चिंता में डाल दिया है।
अंग्रेजों के जमाने के हैं पुल सांची रोड पर कोड़ी नदी का पुल और पग्नेश्वर में बेतवा नदी का पुल अंग्रेजों के जमाने के हैं। पत्थरों से बने ये पुल आजादी के पहले बनाए गए थे। जो आज तक चल रहे हैं, लेकिन इनकी हालत अब और अधिक चलने की नहीं हैं। समय रहते इन पुलों का फिर से निर्माण नहीं कराया गया तो ये कभी भी हादसे का कारण बन सकते हैं। हालांकि इन दोनो पुलों का निर्माण भोपाल से रायसेन होकर सांची तक स्वीकृत सड़क निर्माण में शामिल है। लेकिन सड़क का निर्माण ही लगभग पांच साल से अटका पड़ा है। ऐसे में पुलों के निर्माण कब होगा यह अभी तय नहीं है। इस पांच के अंतराल में दो बार ठेकेदार काम छोड़कर भाग चुके हैं। अब नए सिरे से ठेका हुआ है, इसका काम अभी तक शुरू नहीं हुआ है।
और भी पुल हैं खतरनाक जिले में केवल यही तीन पुल नहीं बल्कि ऐसे कई पुल हैं जो अंग्रेजों के जमाने के या आजादी के तुरंत बाद के हैं। सिलवानी में बेगम नदी पर बना पुल जर्जर हो चुका है। इससे लोहे की छड़ें बाहर झांक रही हैं। देवरी के पास दूधी नदी पर बना पुल पलात्र छोडऩे लगा है। पिलर कमजोर हो चुके हैं। यह पुल भी खतरा बन चुका है।
शास्त्री ने किया था लोकार्पण बरेली के पास बारना पुल का लोकार्पण तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने किया था। उनके कार्यकाल के समय का बारना पुल आज खतरे के निशान पर है। 80 के दशक में एक बस दुर्घटना में 22 लोगों की मौत और पांच साल पहले फिर एक बस के पुल से गिरने पर 21 लोगों की मौत का कारण यह पुल बन चुका है। पहले कभी ऊंचा दिखाई देने वाला ये पुल अब रपटा में तब्दील हो गया है। पुल के दोनो ओर सड़क की ऊंचाई दस फीट तक हो गई है। साथ ही एक ओर खतरनॉक मोड़ है, जिससे हमेशा दुर्घटना का अंदेशा लगा रहता है। एक बार की चूक कितने लोगों की जान पर बनती है, यह दो दुर्घटनाओं में लोग देख चुके हैं।
हो चुकी है रिपोर्ट तैयार 2012 में गैरतगंज और बेगमगंज के बीच कऊला पुल के धराशायी होने के बाद प्रशासन ने जिले के सभी पुलों की स्थिति का आंकलन कराया था। जिसमें पीडब्ल्यूडी और सेतु निगम के अफसरों ने पुलों को देखकर एक रिपोर्ट तैयार कर प्रशासन को सौंपी थी। इसमें सिलवानी, देवरी, सुल्तानपुर, नेशनल हाईवे 12 पर सेमरी, मंडीदीप के पास जाखला पुल, कोड़ी, पग्रेश्वर और बरेली के बारना पुल को खतरनॉक बताया गया था। रिपोर्ट के बाद आज तक उस पर कोई गंभीर विचार विमर्श नहीं हुआ।
कांग्रेस ने उठाया है मुद्दा
नगर युवा कांग्रेस कोड़ी और पग्रेश्वर पुल के साथ हाईवे के निर्माण की मांग को लेकर दो बार प्रदर्शन कर चुकी है। दो दिन पहले चुनरी यात्रा निकालकर मंत्रियों की सद्बुद्धि की प्रार्थना की, ताकि वे पुलों और सड़क के निर्माण के लिए प्रयास करें।