जब उन्होंने मीडिया से ही कहा कि आपकी नजर में कोई डॉक्टर हो जो यहां आने का इच्छुक हो तो बताएं। चौधरी ने यह भी कहा कि जबरदस्ती किसी को यहां भेज भी दें तो वो ज्वाइन कर वापस नहीं आएगा। इससे स्पष्ट है कि नई सरकार के मंत्री भी पुरानी सरकार के मंत्रियों की तरह डॉक्टरों के सामने लाचार ही हैं। उल्लेखनीय है कि लगभग चार साल पहले जिला अस्पताल में ही एक कार्यक्रम के दौरान तत्कालीन सरकार में मंत्री डा. गौरीशंकर ने भी डॉक्टरों के सामने अपने को लाचार बताया था।
४२ की जगह छह डॉक्टर
जिला अस्पताल में डॉक्टरों की पदस्थापना के बारे पूछने पर पता चला कि यहां ४२ पदों के विरुद्ध मात्र छह डॉक्टर पदस्थ हैं। ऐसे में अस्पताल में आने वाले मरीजों का इलाज किस तरह हो रहा है, यह समझना मुश्किल नहीं है। डॉक्टरों के अपडाउन करने और अस्पताल से बाहर मेडीकल स्टोर पर बैठकर मरीजों का इलाज करने के सवाल पर चौधरी ने कहा कि डॉक्टर अस्पताल में आएं और अपनी ड्यूटी पूरी करें, यह जरूरी है।
गंभीर मरीजों को मिलेगी सुविधा
नई संजीवनी १०८ एंबुलेंस में ऑक्सीजन सहित बीपी, शुगर की जांच सहित उ्रिप लगाने की बेहतर सुविधा है। इसमें लगा स्टे्रचर बाहर तक निकाला जा सकेगा। जिससे मरीज को आसानी से एंबुलेंस में शिफ्ट किया जा सकेगा। अब गंभीर मरीजों को रेफर करने की स्थिति में यह एंबुलेंस अधिक सुविधाजनक साबित होगी। पहले से उपलब्ध १०८ एंबुलेंस जर्जर स्थिति में हैं। अस्पताल के पास भी कोई अच्छी एंबुलेंस नहीं है।
अस्पताल को भी चाहिए एंबुलेंस
जिला अस्पताल में पहले से ही एंबुलेंस की कमी है। नई १०८ एंबुलेंस, अस्पताल के आधीन नहीं रहेगी। सिविल सर्जन डा. बीबी गुप्ता का कहना है कि जिला अस्पताल में एंबुलेंस की कमी है। हमे मरीजों की सुविधा के लिए एक एंबुलेंस चाहिए। इसके लिए विभाग को मांग भेजेंगे।