बसों की रफ्तार पर ट्रैफिक पुलिस का नहीं है अंकुश
भोपाल सागर मार्ग पर शहरी क्षेत्र में तेज रफ्तार से दौड रही हैं बसें।
सागर रोड मुख्य व्यवसायिक केंद्र, तेज रफ्तार वाहनों से हादसों का अंदेशा।
रायसेन
Updated: April 24, 2022 09:46:51 pm
रायसेन. शहर के बीच से होकर सागर और भोपाल के बीच चलने वाली यात्री बसों की अंधाधुंध गति पर टै्रफिक पुलिस और आटीओ द्वारा अंकुश नहीं लगाया जा सका। तेज रफ्तार से मुख्य मार्ग पर शहरी क्षेत्र में दौड़ रही बसे राहगीरों और दो पहिया वाहन चालकों की जान से खिलवाड़ करती हैं। अपने गंतव्य तक पहुंचने की जल्दबाजी में यात्री बसों के चालक तेज हार्न बजाकर और अंधी रफ्तार से वाहन दौड़ाते हैं। इन्हें रोकने-टोकने वाले ट्रेफिक पुलिस के जिम्मेदार अधिकारी कभी सागर रोड पर नजर नहीं आते। यही वजह है कि सागर रोड पर वाहनों की अव्यवस्थित आवाजाही होती है। जबकि यह मार्ग जिला मुख्यालय का सबसे व्यस्ततम और प्रमुख व्यवसायिक केन्द्र है। बाबजूद इसके यहां सुधार करने का प्रयास नहीं किया जा रहा। बस चालकों की मनमानी और दंबगई के चलते जिला मुख्यालय पर टै्रफिक व्यवस्था बिगड़ती जा रही है।
सवारी देखी तो लगे बे्रक
शहरी एवं व्यस्ततम क्षेत्र में जगह-जगह बे्रक लगाकर सवारियों को बैठाना और उतारना अन्य लोगों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। टोल नाके से लेकर सागर तिराहा और कृषि उपज मंडी तक लगभग एक दर्जन से अधिक अघोषित स्टॉप बस ड्रायवरों ने बना रखे हैं। जहां सवारी देखते ही ब्रेक लग जाते हैं। इसी दौरान तेज रफ्तार से वाहन दौड़ाए जाते हैं। कई बार ऐसे हालातों में दुर्घटनाएं भी हो चुकी, मगर स्थिति नहीं सुधर सकी।
स्पीड गवर्नर नहीं यात्री बसों
बीते वर्षों में जब प्रदेश के अन्य स्थानों पर यात्री बसों के भीषण हादसे हुए थे। तब परिवहन विभाग के आला अफसरों ने सभी तरह की यात्री बसों में स्पीड गवर्नर अनिवार्य रुप से लगाने का आदेश जारी किया था। लेकिन इसके बाद आरटीओ ने बसों की जांच कर यह देखना जरुरी नहीं समझा कि कितनी बसों में उक्त डिवाइस लगी है। हालांकि वर्ष २०१४ के बाद जितनी भी नई बसों के परमिट दिए जा रहे हैं, उन सभी में वाहन निर्माता कंपनियों द्वारा ही स्पीड गवर्नर लगाकर दिए जा रहे हैं। मगर वर्ष २०१४ से पहले की अधिकतर यात्री बसों में स्पीड गवर्नर नहीं लगाए गए। परिवहन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार स्पीड गवर्नर लगी बसों में हाईवे पर ६० किलोमीटर प्रति घंटा की गति निर्धारित है।
कागजों में दबे निर्णय
हर वर्ष कलेक्ट्रेट में पुलिस प्रशासन के साथ परिवहन विभाग के अधिकारी यातायात समिति की बैठक में शामिल होते हैं। तब कागजों पर प्रस्ताव और नवाचार करने के निर्णय लिए जाते हैं। लेकिन इन पर अमल आज तक नहीं हो पाया। तभी तो शहर के लोगों को इन परिस्थितियों से गुजरना पड़ रहा है। शहर में सांची रोड पर सागर तिराहे से लेकर इंडियन चौराहे तक गिने-चुने टै्रफिक पुलिस के जवान सुबह-शाम दिखाई देते हैं। लेकिन टै्रफिक व्यवस्थित रुप से चले इस तरफ ध्यान नहीं दिया जाता।
इनका कहना
वर्ष २०१४ के बाद आ रही यात्री बसों में अनिवार्य रुप से स्पीड गवर्नर लगे हुए आते हैं। यदि इससे पुरानी बसों में स्पीड गवर्नर नहीं लगे हैं, तो जांच कर उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
जेएस भील, आरटीओ रायसेन।

बसों की रफ्तार पर ट्रैफिक पुलिस का नहीं है अंकुश
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