इसके बाद महर्षि विश्वामित्र ने राजा दशरथ को एक यज्ञ करने का उपाय बताया। राजा दशरथ ने उनकी तीनों पत्नियों की उपस्थिति में यज्ञ करवाया। यज्ञ के बाद खीर और फलों का प्रसाद तीनों रानियों को बराबर-बराबर मात्रा में दिया गया। इसके बाद तीनों रानिया गर्भवती हो गईं। बड़ी रानी कौशल्या ने श्रीराम, कैकयी ने भरत, शत्रुघ्न और रानी सुमित्रा ने लक्ष्मण को जन्म दिया। अवधपुरी में चारों राजकुमार के जन्म का समाचार मिलते ही प्रसन्नता छा गई। अयोध्या नगरी में प्रत्येक घर में बधाई गीत गूंजने लगे।
महिलाओं ने उत्साह के साथ ‘जन्मे अवध में राम मंगल गाओ री सखियां गीत गाया। इसके साथ ही पूरे अवध नगरी के लोगों ने एक दूसरे को बधाईयां दीं। चारों राजकुमारों के लिए सारी प्रजा ने मंगल कामनाएं कीं। साथ ही राजा व पूरे राज परिवार को बधाईयां दीं। एक तरह से ये कहें कि लोगों ने राम जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम के साथ मनाया।
श्रीराम ने की वानर के लिए हठ
राजा दशरथ ने एक भव्य समारोह आयोजित कर चारों राजकुमारों का नामकरण संस्कार करवाया। अयोध्या नगरी में जब एक मदारी भालुओं और वानरों का खेल दिखाने पहुंचा। तो पिता दशरथ की गोद में बैठे हुए राजकुमार श्रीराम वानर के लिए हठ करने लगते हैं। तब राजा दशरथ द्वारा मदारी को मुंह मांगा पुरस्कार और उपहार आदि देकर वानरों को अयोध्या में ही रख लिया जाता है। श्रीरामलीला महोत्सव में आज गुरूवार को ताड़का वध की लीला का स्थानीय कलाकारों द्वारा मंचन किया जाएगा।
रामलीला महोत्सव मेले में अब धीरे-धीरे चहल-पहल बढऩे लगी है। कुछ दुकानें सजकर तैयार हो चुकी है। इन दुकानों पर भी ग्राहक पहुंच रहें।