बुजुर्ग बताते यह मंदिर सौ वर्ष से अधिक प्राचीन है। यह मंदिर श्रीराधा वल्लभ न्यास संचालित करता था। किसी भी ट्रस्टी के जीवित न होने से वर्तमान में एक समिति इसका संचालन कर रही है। इस मंदिर में श्रीराधा कृष्ण की मूर्ति की चल स्थापना है, अर्थात मूर्ति अष्टयाम सेवा के अनुसार एक स्थान से दूसरे स्थान पर भी जाती है। अष्टयाम सेवा का तात्पर्य है अष्ट पहर की सेवा। यहां पूजन अर्चना सेवा के रूप में ही की जाती है। अष्ट पहर की सेवा यानि प्रात: भगवान के जागने से लेकर शयन तक की सेवा, जो भगवान का मानवीय करण है।
सेवा भक्ति के रूप में सुबह 07 बजे मंगला आरती, 9.30 बजे धूप आरती, 10 बजे शृंगार आरती, 12 बजे राजभोग आरती, शाम 5.30 बजे उत्पादन आरती, 6.30 बजे धूप आरती, 7 बजे संध्या आरती एवं रात 9.30 बजे शयन आरती की जाती है। शयन आरती के बाद ठाकुर जी अपने विश्राम गृह में चले जाते हैं। विश्राम गृह में भगवान के विश्राम के लिए सुंदर सुसज्जित बिस्तर है। मौसम के अनुसार व्यवस्था बदलती रहती है।
आज ये होंगे आयोजन
श्रीजी मंदिर में आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। रात्रि ठीक 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की झांकी का दर्शन करने पूरा शहर उमड़ेगा। कार्यक्रम के अनुसार रात्रि 8 बजे से अभिषेक एवं 9.30 बजे से श्रृंगार दर्शन, रात्रि 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण का जन्म होगा। इसके साथ ही जन्मोत्सव की झांकी का दर्शन प्रारंभ हो जाएगा। अगले दिन शनिवार सुबह 8 बजे मंगला आरती, 11.30 बजे श्रृंगार दर्शन एवं दोपहर 1 बजे राजभोग के उपरांत शयन आरती की जाएगी।