ऐसे में कालेज परिसर में अव्यवस्थाओं के बीच कक्षाएं लग रही है। वहीं पुराना भवन होने से कई तरह की परेशानियां हर दिन छात्रों और कालेज स्टॉफ को उठाना पड़ती है। कालेज प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान सत्र में 1934 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। संख्या ज्यादा होने और जगह कम होने से छात्रों को परेशानियों के बीच रहकर पढ़ाई करना पड़ रही है।
नेक में बी ग्रेड मिला था
जबकि महाविद्यालय को तीन वर्ष पहले ही नेक मूल्यांकन में बी ग्रेड का दर्जा हासिल हो चुका है। लेकिन यूजीसी सहित शासन एवं किसी स्तर से अधोसंरचना के लिए सहायता नहीं मिल सकी। नेक मूल्यांकन के दौरान काफी संभावनाएं जताई जा रही थी कि कालेज को नया भवन मिल सकता है। बताया जा रहा है कि नेक मूल्यांकन के बाद शासन स्तर से ही दस लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि प्राप्त हुई थी।
पुराने कलेक्ट्रेट में लग रहा कालेज
वर्तमान में जिस जगह स्वामी विवेकानंद कालेज संचालित किया जा रहा है। वह पूर्व में कलेक्ट्रेट भवन था, वर्षों पुराना भवन अब जर्जर होता जा रहा है। कई बार लोक निर्माण विभाग द्वारा इसकी मरम्मत पर लाखों रुपए खर्च किए जा चुके। करीब दो वर्ष पहले भवन से कबेलू उतारकर चादर चढ़ाई गई। बारिश के दिनों में ज्यादा दिक्कतें होती है। बताया जा रहा है कि भवन में कक्षाओं के लिए मात्र दस कक्ष हैं। जबकि कक्षाएं 14 हैं।
दो शिफ्ट में लग रही कक्षाएं
जगह की कमी के चलते कालेज प्रबंधन को दो पालियों में कक्षाओं का संचालन करना पड़ रहा है। पिछले तीन वर्षों से यही हालात हैं। जानकारी के अनुसार सुबह 8.40 बजे से 11.20 तक कामर्स संकाय की तीनों कक्षाएं फस्ट ईयर, सेकंड ईयर और फाइनल लगाई जाती है। इसके बाद सुबह 11.40 बजे से शाम 4.40 बजे तक बीए, बीएससी सहित स्नातकोत्तर कक्षा एमकॉम और एमए लगती हैं।
ऑडिटोरियम हॉल में लगती हैं कक्षाएं
पुराने कालेज भवन में पर्याप्त व्यवस्थाएं नहीं होने से कालेज प्रबंधन को भवन के पीछे बने ऑडिटोरियम हॉल में कक्षाएं लगानी पड़ रही है। बताया जा रहा है कि इस हॉल में तीन कक्षाएं लगती है। एक ही हॉल में तीन कक्षाएं लगने से छात्रों की पढ़ाई में व्यवधान होता है। वहीं गर्मी के दिनों में छात्रों को अधिक परेशानी होती है।
कालेज परिसर में एक तरफ बने कक्षों में लैब संचालित की जाती है। इससे छात्रों को कक्षाओं के बाद प्रायोगिक अभ्यास करने के लिए दूर जाना पड़ता है। बारिश के दिनों में यह दूरी काफी दिक्कत भरी होती है। वहीं परीक्षा फार्म एवं फीस जमा करने और दस्तावेजों का सत्यापन कराते समय छात्र-छात्राओं को धूप में खड़े रहकर अपनी बारी का घंटों तक इंतजार करना पड़ता है।
जिले का अग्रणी कालेज होने के बाद भी स्नातकोत्तर कक्षाओं की पूरी पढ़ाई यहां पर नहीं होती है। पीजी कक्षाओं में सिर्फ एमए और एम कॉम की कक्षाएं ही लग रही है। जबकि एमएससी की पढ़ाई के लिए शहर सहित आसपास के गांवों के सैकड़ों छात्र-छात्राओं को भोपाल, विदिशा सहित अन्य स्थानों पर जाना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि कालेज भवन में पर्याप्त व्यवस्थाएं नहीं होने से विभाग ने भी एमएससी कक्षा की स्वीकृति नहीं दी थी।
कालेज भवन बनाने के लिए प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। लेकिन इसकी स्वीकृति नहीं मिली। शासन ने छह कक्षों के निर्माण की स्वीकृति दी है। वर्तमान में कक्षों का निर्माण कार्य चल रहा है।
डॉ. इशरत खान, प्रभारी प्राचार्य स्वामी विवेकानंद शासकीय कालेज रायसेन।