READ MORE: फतहसागर यूआईटी व पिछोला निगम को देने की तैयारी! इसमें खान विभाग के अधिकारी राजस्थान माइनर मिनरल कन्सेशन रूल्स 1986 के उस नियम 15 और 15-ए को नजरअंदाज कर रहे हैं, जिसके अनुसार किसी भी खदान का बेचान प्रतिबंधित है और एेसा पाया जाने पर खनन पट्टा निरस्त किया जाता है। सावा निवासी इंद्रमल दर्जी को 18 जुलाई 2008 को सहनवा गांव में चाइना क्ले, रेड ऑकर व सिलिका सैण्ड की 4.0072 हैक्टेयर वाली खदान स्वीकृत हुई थी जिसका पट्टा संख्या 79/2005 है। इसकी संविदा का 21 नवंबर 2008 को निष्पादन हुआ और 24 नवंबर 2008 को पंजीयन हुआ। 50 वर्ष के इस खनन पट्टे की अवधि 23 नवंबर 2058 में पूरी होगी। इंद्रमल ने इस खदान को 13 अगस्त 2010 को ही मोहम्मद शेर खान की सावा स्थित पोपुलर मिनरल्स कंपनी जो अब प्रोगेसिव एण्ड पोपुलर मिनरल्स प्राइवेट लिमिटेड, ख्वाजाबाग सावा के नाम से चल रही है, को 5 लाख 11 हजार रुपए में बेच दिया। इसके लिए इंद्रमल और शेर खान के बीच 100 रुपए के स्टाम्प पर लिखित इकरारनामा हुआ।
आलम को दी रजिस्टर्ड पावर ऑफ एटार्नी यह खदान बेचने से पहले इंद्रमल ने शेर खान की कंपनी के कार्मिक खुर्शीद आलम को 20 जुलाई 2010 को पावर ऑफ एटार्नी भी दे दी। इसे बाकायदा चित्तौडग़ढ़ उप पंजीयन कार्यालय में पंजीकृत करवाकर सरकारी राशि भी जमा करवाई गई। इस पूरे खेल से यह साफ हो गया कि प्रदेश में खदाने बेचने का खुला धंधा चल रहा है, जो खान विभाग के नियमों का खुला उल्लंघन है।
READ MORE: क्या मकान मालिक को किरायदार बाहर निकाल सकता है: तिवाड़ी अफसरों का खेल यह मामला उजागर होने पर चित्तौडग़ढ़ खनि अभियंता कार्यालय ने 11 जुलाई 2016 को इंद्रमल दर्जी को उसकी खदान का आवंटन निरस्त करने की चेतावनी दी लेकिन इस कार्रवाई को उच्चाधिकारियों के दबाव में रोक दिया गया। अब उच्चाधिकारी खदान को फिर से इंद्रमल के नाम मंजूर करने की फाइल चला रहे हैं, जबकि इस खदान का आवंटन निरस्त कर इसे राज्य सरकार के नाम दर्ज कर देना है।
………… संबंधित खनन पट्टे का मामला मेरे से आने का पहले का है। मामले में उच्च स्तर पर फाइल चल रही है। जहां तक पर्यावरण मंजूरी लेने की चल रही कार्रवाई की बात है तो इस बारे में पता लगाकर सक्षम कार्रवाई की जाएगी।
-सतीश आर्य, खनि अभियंता, चित्तौडग़ढ़