रायसेन

एक साथ मनीं सोमवती, वट सावित्री अमावस्या और भगवान शनि जयंती

वट सावित्री अमावस्या का पर्व असीम उत्साह व श्रद्धाभक्ति के साथ मनाया गया

रायसेनJun 03, 2019 / 11:48 pm

chandan singh rajput

Raisen On Monday, the festival of Savitri Amavasya, with the birth anniversary of Lord Vishnu Shani Dev and the Somvati Amavasya, was celebrated with unimaginable zeal and devotion. On the occasion of Shani Jayanti, a huge crowd of devotees sat on the Navagar Shani Dev Mandir Dham near the city’s Shriram Leela Ground on Monday.

रायसेन. सोमवार को सूर्यपुत्र भगवान शनिदेव महाराज की जयंती और सोमवती अमावस्या सहित वट सावित्री अमावस्या का पर्व असीम उत्साह व श्रद्धाभक्ति के साथ मनाया गया। शनि जयंती के अवसर पर सोमवार को शहर के श्रीराम लीला ग्राउंड के नजदीक नवग्रह शनिदेव मंदिर धाम में शनिभक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। सूर्य छायासुत शनिदेव की जयंती ज्येष्ठ माह की सोमवती व वट सावित्री अमावस्या के अवसर पर मिश्र तालाब तट के नवग्रह शनि मंदिर एवं शिवालय में भक्तिभाव के साथ मनाई गई।
इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने शनिदेव को काली तिल और तेल से अभिषेक किया। इसके बाद मंदिर के पुजारी पं. राजू जोशी सुनील जोशी ने शनिदेव महाराज का भव्य श्रृंगार किया। दो बार भगवान शनिदेव की महाआरती की गई। नवग्रह शनिदेव मंदिर परिसर में हवन में श्रद्धालुओं ने शनि के साढ़े साती व ढ़ैया के प्रकोप से बचने आहुति छोड़ीं। श्रद्धालुओं ने परिवार सहित नवग्रह शनिदेव मंदिर पहुंचकर दरबार में मत्था टेक कर पूजन आरती की। वहीं परिवार की सुख, समृद्धि, खुशहाली व बेहतर कारोबार की कामना शनि महाराज से की।
महिलाओं ने वटवृक्ष की परिक्रमा लगाकर की पूजा-अर्चना
सोमवार को सुबह वट सावित्री अमावस्या के उपलक्ष्य में सुहागिन महिलाओं ने बरगद के पेड़ की १०८ परिक्रमा लगाकर भगवान यमराज से पति सहित संतान की लंबी आयु की कामना की।
पूरे 149 वर्ष बाद सोमवती अमावस्या और शनि जयंती एक साथ मनीं। इस अवसर पर एक विशेष व दुर्लभ संयोग बना।

जयकारा लगाते श्रद्धालु पहुंचे नर्मदा तट, किया स्नान
सिलवानी. सोमवती अमावस्या, शनि जयंती व वट सावित्री पूजन की तिथि एक साथ पडऩे से बड़ी सख्या में श्रद्धालुओं ने क्षेत्र की विभिन्न नदियों में स्नानकर पूजा-अर्चना की। पैदल, दो, चार पहिया व यात्री बसों में सवार होकर श्रद्धालु पुण्य नदियों के तट पर पहुंचे और स्नानकर पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर वट सावित्री व्रत व शनि जयंती का भी संयोग पर्व भी बना और श्रद्धालुओं ने भगवान शनिदेव की आराधना भी की। सुबह से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु क्षेत्र की नदियों में स्नान करने पहुंचे।
श्रद्वालु पुण्य सलिला मां नर्मदा तट बौरास घाट पहुंचे। वाहनों के साथ ही श्रद्वालु पैदल ही राम नाम का जयकारा लगाते हुए नर्मदा घाट पहुंचे। अखंड सौभाग्य की कामना व संतान प्राप्ति के लिए महिलाओं द्वारा वट वृक्ष की परिक्रमा लगा कर पूजा-अर्चना की गई। इस मौके पर सुहागिनों ने निर्जला व्रत रख कर पति की लंबी आयु की कामना की। महिलाओं ने वट वृक्ष की पूजा कर सावित्री सत्यवान की कथा का श्रवण किया। पूजा-अर्चना के बाद वृक्ष में कच्चे धागे बांधे। पीपल की भांति वट वृक्ष को भी हिंदू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है।
महिलाओं द्वारा पूजा-अर्चना कर प्रसाद का वितरण किया गया। मान्यता है कि वट वृक्ष के नीचे बैठ कर पूजन, व्रत, कथा आदि अनुष्ठान करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है। घरो में भी महिलाओं द्वारा पूजन अर्चना का कार्यक्रम संपन्न किया गया। इस दौरान मिटटी से सावित्री-सत्यवान एवं भैंसे पर सवार यमराज की प्रतिमा बना कर धूप, चंदन, फ ल, रोली, केसर से पूजा-अर्चना की गई। इसके अतिरिक्त शनि भागवान की भी पूजा-अर्चना पूर्ण विधि विधान के साथ की गई।
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