दरअसल लंबे इंतजार के बाद भोपाल से जबलपुर तक तथा रायसेन से भोपाल तक हाइवे के चौड़ीकरण का काम शुरू हुआ, जो बीते तीन साल से हर बारिश में मुसीबत साबित हो रहे हैं। ठेकेदारों द्वारा बनाई सड़कें धंस रही हैं, पुलियाएं धंस रही हैं। वाहन फंस रहे और हादसों की आशंका बनी हुई है। जिस दिन भी तेज बारिश होती है, कहीं न कहीं कोई पुलिया या सड़क धंस जाती है, हो हल्ला होने पर ठेकेदार के कर्मचारी मरम्मत कर सड़कों को आवागमन के काबिल बनाते हैं1
लेकिन सड़क और पुलियाओं की गुणवत्ता खुलकर सामने आ जाती है। अधिकारी निर्माण की जांच करने का हवाला देकर मामले को टाल रहे हैं, लेकिन करोड़ों की लागत से बन रही सड़कों की गुणवत्ता आने वाले समय में हर समय मुसीबत बनेंगी।
बार-बार धंस रही कमजोर पुलिया
रायसेन-भोपाल रोड के निर्माण में बने बाइपास पर पुलियाएं हर बार तेज बारिश में धंस रही हैं। तीन दिन पहले हुई मुसलाधार बारिश के दौरान बाइपास पर बनी पुलिया धंस गई। इस दौरान दरगाह रपटा जलमग्न होने पर सभी वाहन बाइपास की ओर गए, लेकिन वहां पुलिया धंसने से आवागमन रुक गया।
सूचना मिली तो ठेकेदार के कर्मचारियों ने तुरंत मिट्टी डालकर सड़क को चलने के लायक बनाया। जुलाई में बारिश की शुरुआत से अब तक बाइपास पर तीन बार ऐसे की पुलियाएं धंस चुकी हैं। मुख्य सड़क पर भी दो पुलियाएं धंस चुकी हैं।
एनएच-१२ भी बदहाली का शिकार
मिसरोद से औबेदुल्लागंज होते हुए जबलपुर तक बन रहे सिक्सलेन व फोरलेन मार्ग पर कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा गुणवत्ता के अनुसार काम नहीं किया जा रहा है। निर्माण की हकीकत सड़क शुरू होने के पहले ही सामने आने लगी है। औबेदुल्लागंज के पास तीन पुल की एप्रोच रोड ट्रैफिक शुरू होने के पहले ही पहली बारिश में धंस गई। वहीं कई जगह सीसी सड़क में भी दरारें आ चुकी हैं।
‘यदि ऐसा हैं तो मौके पर सड़क व पुल का निरीक्षण करेंगे। जो कमियां हैं, उन्हें दूर कर उत्कृष्ट गुणवत्ता से निर्माण के निर्देश दिए जाएंगे।
-पवन आरोरा, संभागीय प्रबंधक, एमपीआरडीसी