पिछड़ी तहसीलों में योजना ने दम तोड़ा
जिले की पिछड़ी और आदिवासी बाहुल्य तहसील सिलवानी के अलावा सुल्तानपुर, गैरतगंज, बेगमगंज में इस योजना ने दम तोड़ दिया है। गैस सिलेंडर की रिफिलिंग अपने पैसों से कराने की हितग्राही हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। कनेक्शन के साथ मिले सिलेंडर के बाद सरकार ने तीन सिलेंडर और मुफ्त में दिए थे, उसके बाद हितग्राही रीफिलिंग नहीं करा रहे हैं। सिलवानी में गैस एजेंसी के मैनेजर यशवंत राय ने बताया कि तहसील क्षेत्र में 13 हजार से अधिक गैस कनेक्शन हैं, जिनमें से अब लगभग दस फीसदी हितग्राही ही रिफिलिंग करा रहे हैं। यही स्थिति सुल्तानपुर तहसील क्षेत्र की है, जहां आठ हजार से अधिक गैस कनेक्शन में से हर माह बमुश्किल दो सौ या तीन सौ हितग्राही ही रीफिलिंग करा रहे हैं। गैरतगंज और बेगमगंज के ग्रामीण अंचल में भी यही स्थिति हैं।
जिले की पिछड़ी और आदिवासी बाहुल्य तहसील सिलवानी के अलावा सुल्तानपुर, गैरतगंज, बेगमगंज में इस योजना ने दम तोड़ दिया है। गैस सिलेंडर की रिफिलिंग अपने पैसों से कराने की हितग्राही हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। कनेक्शन के साथ मिले सिलेंडर के बाद सरकार ने तीन सिलेंडर और मुफ्त में दिए थे, उसके बाद हितग्राही रीफिलिंग नहीं करा रहे हैं। सिलवानी में गैस एजेंसी के मैनेजर यशवंत राय ने बताया कि तहसील क्षेत्र में 13 हजार से अधिक गैस कनेक्शन हैं, जिनमें से अब लगभग दस फीसदी हितग्राही ही रिफिलिंग करा रहे हैं। यही स्थिति सुल्तानपुर तहसील क्षेत्र की है, जहां आठ हजार से अधिक गैस कनेक्शन में से हर माह बमुश्किल दो सौ या तीन सौ हितग्राही ही रीफिलिंग करा रहे हैं। गैरतगंज और बेगमगंज के ग्रामीण अंचल में भी यही स्थिति हैं।
कोरोना भी एक बड़ा कारण
उज्ज्वला कनेक्शन लेने वाले ग्रामीण जानते हैं कि खाना बनाते समय चूल्हे से निकलने वाले धुएं से उनकी आखों, फेफड़े में कई प्रकार की बीमारियां हो जाती हैं। इसके अलावा और भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन लकड़ी के चूल्हे पर भोजन पकाना उनकी मजबूरी है। साईंखेड़ा निवासी सुखिया बाई, मीराबाई, चांदनगोड़ा निवासी हरीबाई, रामेती बाई, बम्हौरी निवासी कमला बाई का कहना है कि हमने एक बार ही सिलेंडर भरवाया था। उसके बाद कोरोना के कारण लॉक डाउन लगा और काम धंधे बंद होने से आर्थिक स्थिति बिगड़ गई, इसलिए फिर सिलेंडर नहीं भरवाया।
उज्ज्वला कनेक्शन लेने वाले ग्रामीण जानते हैं कि खाना बनाते समय चूल्हे से निकलने वाले धुएं से उनकी आखों, फेफड़े में कई प्रकार की बीमारियां हो जाती हैं। इसके अलावा और भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन लकड़ी के चूल्हे पर भोजन पकाना उनकी मजबूरी है। साईंखेड़ा निवासी सुखिया बाई, मीराबाई, चांदनगोड़ा निवासी हरीबाई, रामेती बाई, बम्हौरी निवासी कमला बाई का कहना है कि हमने एक बार ही सिलेंडर भरवाया था। उसके बाद कोरोना के कारण लॉक डाउन लगा और काम धंधे बंद होने से आर्थिक स्थिति बिगड़ गई, इसलिए फिर सिलेंडर नहीं भरवाया।
शहरी क्षेत्रों में स्थिति कुछ बेहतर
बरेली उज्ज्वला योजना के अंतर्गत रसोई गैस कनेक्शन लेने वाले आधे से अधिक हितग्राहियों के रसोई घरों में ईंधन के रूप में लकड़ी का उपयोग कर चूल्हे पर भोजन बनाया जा रहा है। गैस एजेंसी से मिले आकड़े हितग्राहियों की हकीकत बयां कर रह हैं। बरेली की इंडेन गैस एजेंसी के माध्यम से उज्ज्वला योजना के तहत कुल 9 हजार 40 कनेक्शन वितरित किए गए हैं। जिनमें से अप्रेल में 4180, मई में 3802, जून में 3133, जुलाई में 3665, अगस्त में 3291, सितंबर में 3135 हितग्राहियों ने ही रीफिलिंग कराई है।
बरेली उज्ज्वला योजना के अंतर्गत रसोई गैस कनेक्शन लेने वाले आधे से अधिक हितग्राहियों के रसोई घरों में ईंधन के रूप में लकड़ी का उपयोग कर चूल्हे पर भोजन बनाया जा रहा है। गैस एजेंसी से मिले आकड़े हितग्राहियों की हकीकत बयां कर रह हैं। बरेली की इंडेन गैस एजेंसी के माध्यम से उज्ज्वला योजना के तहत कुल 9 हजार 40 कनेक्शन वितरित किए गए हैं। जिनमें से अप्रेल में 4180, मई में 3802, जून में 3133, जुलाई में 3665, अगस्त में 3291, सितंबर में 3135 हितग्राहियों ने ही रीफिलिंग कराई है।
आधे ही ले रहे गैस
बरेली स्थित इंडेन गैस डीलर योगेंद्र पटेल का कहना है कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन प्राप्त कर कुल 9040 हितग्राही लाभान्वित हुए हंै। इनमे से आधे से भी कम हितग्राही ही गेस रिफि ल करवाते हैं।
बरेली स्थित इंडेन गैस डीलर योगेंद्र पटेल का कहना है कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन प्राप्त कर कुल 9040 हितग्राही लाभान्वित हुए हंै। इनमे से आधे से भी कम हितग्राही ही गेस रिफि ल करवाते हैं।