रायसेन जिले के बरेली में स्थित प्रसिद्ध छींद हनुमान मंदिर में हर मंगलवार और शनिवार को भक्तों का मेला लगता है। ऐसे में दूर-दूर से लोग बरेली जाते हैं। इसी रास्ते पर बंदर घाटी पर हजारों की तादाद में बंदर रहते हैं। यहां लोग अक्सर बंदरों को केले, चने और चिरोंजी खिलाते हैं। यहां चने खिलाने वालों को सैकड़ों बंदर घेर लेते हैं। खासबात यह है कि कोई भी बंदर किसी श्रद्धालु को परेशान नहीं करता है।
डाम डूंगरी के ही कामता प्रसाद शर्मा ने यहां भगवान हनुमान का एक छोटा सा मंदिर बना लिया। अब यहां आने वाले लोग बंदरों को तो दाना डालते ही हैं, उनकी आस्था इस मंदिर से भी जुड़ गई है। लोग भगवान हनुमान के प्रतिनिधि के रूप में बंदरों की सेवा करते हैं। उन्हें दाना डालते हैं और यहीं बने मंदिर में पूजा-अर्चना भी करते हैं।
एक राहगीर अमित मिश्रा का कहना है कि डाम डोंगरी के पास इस स्थान पर वर्षों पहले एक व्यक्ति ने बंदरों को दाना डालने का काम शुरू किया था। बताया जाता है कि हनुमानजी ने उसकी परेशानी दूर कर दी और वो साधन-संपन्न हो गया। तभी से यह क्रम धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। इसलिए हम भी हनुमानजी से आशीर्वाद लेने जरूर आते हैं।
मंदिर के पुजारी तुषार कपूर शर्मा बताते हैं कि लोगों की ही श्रद्धा है कि यहां मंदिर बनाया गया है। शर्मा कहते हैं कि बंदर घाटी पर अदृश्य रूप से हनुमानजी का वास है। पुराने लोग भी मानते हैं कि यहां बंदरों की इतनी तादात है, मानो हनुमानजी यहां दरबार लगाकर बैठे हुए हैं।
मंगलवार और शनिवार को यहां कुछ ज्यादा ही लोग पहुंचते हैं। भोपाल, औबेदुल्लागंज, मंडीदीप, सीहोर आदि क्षेत्रों से मंगलवार को बरेली के पास स्थित प्रसिद्ध मंदिर जाने वाले लोग इस बंदर घाट पर रुककर बंदरों को दाना डालना नहीं भूलते। इस तरह डाम डोंगरी का यह बंदर घाटी रायसेन के अलावा सीहोर होशंगाबाद सहित अन्य जिलों में भी चर्चित हो गया है।