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सूर्य के पारगमन के आधार पर होती है विश्वकर्मा पूजन

locationरायसेनPublished: Sep 18, 2020 11:55:09 pm

देवों के वास्तुकार, निर्माण और सृजन के देवता भगवान विश्वकर्मा की जयंती गुरुवार को भक्ति भाव से मनाई गई

सूर्य के पारगमन के आधार पर होती है विश्वकर्मा पूजन

सूर्य के पारगमन के आधार पर होती है विश्वकर्मा पूजन

सुल्तानगंज. विश्व निर्माता, मन की कल्पना से भी सुंदर रचना करने वाले, देवों के वास्तुकार, निर्माण और सृजन के देवता भगवान विश्वकर्मा की जयंती गुरुवार को भक्ति भाव से मनाई गई।
नगर में राजू विश्वकर्मा के निवास पर विश्वकर्मा समाज द्वारा मशीनों सहित कलपुर्जों और उपकरणों का पूजन किया। भगवान विश्वकर्मा की पंडित द्वारा विधि विधान से पूजन हवन व आरती कराकर प्रसाद वितरित किया। कोरोना संक्रमण के चलते इस वर्ष विश्वकर्मा जयंती पर किसी भी प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं किए गए। विश्वकर्मा समाज के अध्यक्ष बिंद्रावन विश्वकर्मा द्वारा विश्वकर्मा जयंती मनाने का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि जयंती को लेकर हिंदू धर्म में कई मान्यताएं हैं।
विश्वकर्मा पूजा को सूर्य के पारगमन के आधार पर तय किया जाता है। इस कारण हर साल 17 सितंबर को ही विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सिहोरा जागीर निवासी वृंदावन विश्वकर्मा ने बताया भगवान विश्वकर्मा को विश्व का निर्माता व देवताओं का वास्तुकार माना गया है। इस अवसर पर जमना विश्वकर्मा, नत्थू विश्वकर्मा, राजेश विश्वकर्मा, उमेश विश्वकर्मा, रामनाथ विश्वकर्मा, भावसिंह विश्वकर्मा आदि मौजूद रहे।
घरों में किया भगवान विश्वकर्मा का पूजन
नरवर. हर वर्ष 17 सितंबर को भगवान विश्वकर्मा की जयंती धूमधाम से मनाई जाती है। मगर इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण यह पर्व सादगी से मनाया गया। उद्योगों, मशीनरी दुकानों, कार्यालयों में यंत्रों की पूजा-अर्चना कर भगवान विश्वकर्मा को स्मरण किया गया और विधि विधान से पूजन हवन व आरती कराकर प्रसाद वितरित किया।
पंडित अरुण कुमार शास्त्री के अनुसार ब्रह्मांड के पहले इंजीनियर माने जाने वाले भगवान विश्वकर्मा ने देवताओं के लिए कई महल और विविध यंत्रों का निर्माण किया था। उद्योगों में कार्यरत कर्मचारी, राजमिस्त्री, बढ़ई भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा पंडालों में विराजित कर पूजा-अर्चना कर, धूमधाम से शोभायात्रा निकालते थे। मगर इस बार घरों, दुकानों, कार्यालयों में ही पूजा-अर्चना की गई और शोभायात्रा नहीं निकाली गई।

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