शहर में कई जगह ऐसी भी हैं जहां जमीन के अंदर क्षतिग्रस्त हुई पाइप लाइन बदी हुई हैं। जब इनसे पानी सप्लाई किया जाता है, तो सड़क पर पानी आ जाता है। विशेषकर मुखर्जी नगर स्थित शगुन गार्डन से शाखा ग्राउंड तक वार्ड १२ और १३ को जोडऩे वाली सड़क पर लगभग ५० मीटर में ऐसे चार स्पॉट हैं, जहां भूमिगत पाइप लाइन में लीकेज है। दो लीकेज तो तीन साल पुराने हैं, जिन्हे नपा सुधार नहीं सकी है।
एक दिन में नहीं होता असर
पाइप लाइन के जरिए घरों में पहुंचने वाला दूषित पानी हमेश एक या दो दिन में असर नहीं करता है। अमूमन इसका असर १० से १५ दिन में या इससे भी अधिक समय में होता है।
जिला अस्पताल में पदस्थ डॉ. यशपाल सिंह बाल्यान का कहना है कि पाइप लाइन में लीकेज से दूषित होने वाले पानी के साथ घरों में बैक्टीरिया, प्राटोजुआ, हेल्मनसीज जैसे परजीवी घरों तक पहुंचते हैं, जिनको देखना यह पहचान करना संभव नहीं है। ये जीवाणु, विषाणु मनुष्य की सेहत पर गहरा असर डालते हैं। इनका असर आठ दिन से १५ दिन में होता है। डायरिया, उल्टी-दस्त का कारण बनते हैं।
पीएचई विभाग में लेब टैकनीशियन हरीश श्रीवास्तव ने बताया कि घरों में पहुंचे पानी को शुद्ध करने के लिए जर्मकिल नामक दवा का उपयोग करना चाहिए। इस दवा में सोडियम हाइड्रोक्लोराइड होता है, इसकी १० बूंद १५ लीटर पानी में डालना चाहिए। दवा डालने के एक घंटे बाद पानी का उपयोग पीने के लिए किया जा सकता है।
पाइप लाइनों की मरम्मत का काम किया जाता है। कहीं कोई लीकेज है तो उसे दिखवा कर दुरुस्त करवा देंगे।
-ओमपाल सिंह भदोरिया, सीएमओ नगर पालिका