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खड़े होकर यात्रा कर रही बसों में महिलाएं, दो दशक से हो रही सिटी बसों की मांग

locationरायसेनPublished: Oct 23, 2018 11:40:15 pm

नगर के लोग दो दशक से भोपाल में चल रही सिटी बसों को औबेदुल्लागंज तक चलाए जाने की मांग कर रहे हैं

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Odeudullahganj People had hoped that before the election, the city will get the status of city buses, but this possibility has ended even after the conduct of the code of conduct. The people of the city have been demanding running of buses running from Bhopal to Odeudullahganj for two decades, but the responsible did not pay any attention to this.

औबेदुल्लागंज. लोगों को उम्मीद थी चुनाव के पहले नगर को सिटी बसों की सागात मिल जाएगी, लेकिन आचार सहिता के लगने के बाद यह संभावना भी खत्म हो गई। नगर के लोग दो दशक से भोपाल में चल रही सिटी बसों को औबेदुल्लागंज तक चलाए जाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन जिम्मेदारों ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। मिनी बसों में सबसे अधिक परेशानी महिलाओं और छात्राओं को उठानी पड़ रही है। जिनकी पीड़ा समझने वाला कोई नहीं है।
नीली मिनी बसों से भोपाल को जाने वाली कामकाजी महिला पार्वती ने बताया कि मिनी बसों में सवारी क्षमता से दोगुनी भरी जाती है, जिससे महिलाओं को सबसे अधिक परेशानी होती है। वहीं महिला संगीता ने बताया कि वह मंडीदीप फैक्ट्री जाती हैं और मिनी बस संचालक उन्हें आगे की सीटों पर बैठने को कहते हैं। ड्राइवर-कंडक्टर भद्दी बातें करते रहते हैं। छात्राओं ने बताया कि हम मजबूरी में मिनी बसों से सफर करते हैं और उन्हें भी आगे की सिटों पर बैठना पड़ता है।
महिलाओं ने कहा कि अच्छे लोग राजनीति में आना चाहिए, जो उनकी पीड़ा को समझ सकें। व्यापारी दिलीप मेघानी ने बताया कि वह मंगलवार को भोपाल सामान लेने गए थे, शाम ५:४० पर भारत टाकीज से बैठे थे जो औबेदुल्लागंज शाम 7.40 पर दो घंटे में पहुंचे।
दो हजार सफर करते हैं
औबेदुल्लागंज से भोपाल के लिए करीब दो हजार लोग रोजाना सफर करते हैं। औबेदुल्लागंज व आसपास से करीब पांच सौ छात्र मिनी बसों में सफर कर भोपाल जाते हैं। करीब एक हजार के आसपास महिलाएं व पुरुष मंडीदीप व भोपाल काम पर जाते हैं। इसके अलावा व्यापारियों का भी भोपाल आनाजाना होता है। इन सभी को नीली मिनी बसों से सफर करना पड़ता है। जब भोपाल में चलने वाली सिटी बसें वर्धमान फैक्ट्री तक आ सकती हैं तो ६ किलोमीटर और औबेदुल्लागंज तक क्यों नहीं आ सकती।
महिलाओं को दिक्कत
शासन द्वारा यात्री बसों में महिलाओं को बैठने के लिए रिजर्व सीट देने के निर्देश हैं, बसों में नियमानुसार महिला सीट तो है, परंतु इनका लाभ महिलाओं को नहीं मिलता। बस संचालक इन पर किसी भी व्यक्ति को बैठा देते हैं, चाहे महिलाएं खड़े होकर क्यों न यात्रा करें। कन्डक्टरों द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।
यात्री बसों में उड़ रहीं नियमों की धज्जियां

बरेली. क्षेत्र में चलने वाली अधिकतर बसों में नियमों की अनदेखी हो रही है। कई बस संचालकों के पास बीमा और फिटनेस सर्टीफिकेट तक नहीं है, बावजूद इसके बसों का संचालन हो रहा है। परिवहन विभाग द्वारा ठोस कार्रवाई नहीं करने से सड़कों पर कंडम बसें दौड़ रही हैं, जिनसे यात्रियों को जान का खतरा बना हुआ है। बरेली से पिपरिया, सिलवानी, बेगमगंज, गैरतगंज, अलीगंज, सांडिया, बकतरा, भोपाल, जबलपुर सहित अन्य शहर के लिए लम्बी रूट की बसें गुजरती हैं।
नगर से अन्य तहसीलों में पहुंचने के लिए बसें चलती हैं, इन बसों में प्रतिदिन हजारों यात्रि सफर करते हैं। इन बसों में छमता से अधिक सवारियां बैठाई जाती हैं। बसों की फिटनेस जांच नहीं होने से कंडम वाहनों में सफर करने से दुर्घटनाएं होने पर यात्रियों को जान का खतरा बना रहता है। वहीं एक दरवाजे वाली बसों में सफर आपातकाल स्थिति में असुविधा जनक बना हुआ है। बसों में आगजनी से बचाव के लिए अग्रिशमक यंत्र भी नही लगे हैं।
इस समस्या के संबंध में हमारे पास जो भी आवेदन आएगा, उससे सम्बंधित जिम्मेदार लोगों को हम अवगत कराएंगे, ताकि ये समस्या हल हो सके।
-रीतेश तिवारी, आरटीओ

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