भरतपुर लोकसभा सीट का वर्ष 1951 से अब तक परिसीमन के कारण जातिगत वोट बैंक का खेल बनता और बिगड़ता रहा है। कभी पूर्व राजपरिवार का यहां इस सीट पर वर्चस्व रहा है तो कभी पार्टियों की उलझन से जातिगत वोट बैंक के सहारे प्रत्याशी जीत का ताज पहनकर संसद तक पहुंचे हैं। हालांकि, यह सच है कि अब तक के चुनाव में पूर्व राजपरिवार का दबदबा बरकरार रहा है।
महिलाओं की बात करें तो यहां से एक बार अगर कोई महिला प्रत्याशी ने संसद का सफर तय किया तो दूसरी बार प्रमुख दलों में से किसी ने भी उन्हें दूसरा मौका नहीं दिया। अब तक भाजपा ने ही तीन बार महिला प्रत्याशियों को मैदान में उतारा और तीनों ने ही जीत प्राप्त की। हालांकि कांग्रेस ने अब तक के इतिहास में पहली बार इस चुनाव में महिला प्रत्याशी संजना जाटव को मैदान में उतारा है, जबकि भाजपा ने मौजूदा महिला सांसद रंजीता कोली का टिकट काट दिया। साथ ही भरतपुर लोकसबा सीट से बसपा ने भी पहली बार जाटव महिला प्रत्याशी कामां के गांव रांफ की रहने वाली अंजिला जाटव पर अपना दांव खेला है।
इधर, अब तक आठ महिला विधायक पहुंची विधानसभा
अगर वर्तमान में भरतपुर व डीग जिले की सात विधानसभा की बात करें तो आजादी के बाद 1952 से लेकर अब तक सात महिला विधायक विधानसभा पहुंची हैं। चार महिला विधायकों ने 11 बार चुनाव जीता। सर्वाधिक कृष्णेंद्र कौर दीपा पांच बार विधायक बनीं। 2018 में कामां से जाहिदा खान, नदबई से कृष्णेंद्र कौर दीपा, वर्ष 2008 में नगर से अनीता सिंह, कामां से जाहिदा खान, नदबई से कृष्णेंद्र कौर दीपा ने चुनाव जीता था। 2013 में नदबई से कृष्णेंद्र कौर दीपा व नगर से अनीता सिंह विधायक चुनी गई थी। जबकि 1972 में वैर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की उषा प्रकाश गुप्ता देवी, 1980 में वैर से ही कांग्रेस की शांति पहाडिय़ा, 1985 में निर्दलीय कृष्णेंद्र कौर दीपा डीग विधानसभा व 1990 में जनता दल से डीग विधानसभा, 2003 में कृष्णेंद्र कौर दीपा निर्दलीय नदबई विधानसभा, 2006 में भाजपा से दिव्या सिंह ने डीग विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीता था। 2023 में कामां से नौक्षम चौधरी व बयाना से डॉ. रितु बनावत विधानसभा पहुंची।
1. 1991 में भाजपा ने पहली बार पूर्व राजपरिवार की सदस्य कृष्णेंद्र कौर दीपा को प्रत्याशी बनाया। उन्होंने दो लाख एक हजार 596 मत (42.15 प्रतिशत) मत लेकर जीत प्राप्त की। उस समय उनके सामने देश के तीन राज्यों में मंत्री रहे मरहूम चौधरी तैयब हुसैन, पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह, पूर्व मंत्री नत्थी सिंह समेत 27 प्रत्याशी मैदान में थे।
2. वर्ष 1996 में भाजपा ने दूसरी बार पूर्व राजपरिवार की सदस्य दिव्या सिंह को मैदान में उतारा। उन्होंने दो लाख 98 हजार 834 (41.25 प्रतिशत) मत लेकर जीत प्राप्त की। इधर उनके सामने भी देश के तीन राज्यों में मंत्री रहे कांग्रेस के तैयब हुसैन व पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह समेत 19 प्रत्याशी चुनाव में सामने थे।
3. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने तीसरी बार बयाना के पूर्व सांसद गंगाराम कोली की पुत्रवधु रंजीता कोली को मैदान में उतारा। उन्होंने 7,07,992 वोट लेकर जीत प्राप्त की थी। उस समय वर्तमान में नगर निगम के मेयर अभिजीत कुमार समेत नौ प्रत्याशी मैदान में थे।
वर्ष पार्टी सांसद
1952 निर्दलीय गिर्राज शरण सिंह 1957 कांग्रेस राजबहादुर सिंह 1962 कांग्रेस राजबहादुर सिंह 1967 निर्दलीय बी सिंह 1971 निर्दलीय राजबहादुर सिंह 1977 tनता पार्टी रामकिशन
1980 राजेश पायलट आईएनसीआई 1984 नटवर सिंह कांग्रेस 1989 विश्वेंद्र सिंह जनता दल 1991 कृष्णेंद्र कौर दीपा बीजेपी 1996 दिव्या सिंह बीजेपी 1998 नटवर सिंह कांग्रेस
1999 विश्वेंद्र सिंह बीजेपी 2004 विश्वेंद्र सिंह बीजेपी 2009 रतन सिंह कांग्रेस 2014 बहादुर सिंह कोली बीजेपी 2019 रंजीता कोली बीजेपी अब तक रहा दबदबा
भाजपा : 06 बार सांसद बने
कांग्रेस : 07 बार सांसद बने निर्दलीय : 02 बार सांसद बने जनता दल : 02 बार सांसद बने