दरअसल, अभी तक घरेलू और पम्प कनेक्शन के जो बिल उपभोक्ता दे रहे थे, उस पर 90 प्रतिशत से अधिक की सब्सिडी हुआ करती थी, जिसे शासन वहन करता था। वह सीधे कंपनी को दी जाती थी लेकिन अब नये बिल के बाद सब्सिडी बाद में मिलेगी। गैस सिलेंडर की तर्ज पर वह सब्सिडी सीधे उपभोक्ता के खाते में आएगी। यानि फिलहाल उपभोक्ता को पूरा बिल चुकाना होगा। उसके बाद वह सब्सिडी संबंधित कंपनी आपको देगी। अभी तक शासन यह सब्सिडी देता था लेकिन बिजली कंपनी का दावा है कि कई सब्सिडी शासन की और से मिली ही नहीं, इसीलिए कर्ज बढ़ता गया। अकेले राजगढ़ जिले में 4 लाख उपभोक्ताओं पर करीब 402 करोड़ रुपए की बकाया राशि है। हालांकि अभी किसी निजी कंपनी का नाम राजगढ़ के लिए फाइनल नहीं हुआ है लेकिन यह यदि लागू होता है तो पूरा भार उपभोक्ताओं, किसानों पर बढऩा तय है।
यूं समझें सब्सिडी का गणितजानकारी के अनुसार, सब्सिडी क्लेम करने के लिए अब बिजली कंपनी या जो भी निजी कंपनी होगी वह जिम्मेदार होगी। शासन का रोल इससे खत्म हो जाएगा। किसानों को अभी तक पांच एचपी के सालभर के स्थाई कनेक्शन के लिए प्रति छह माह 1750 रुपए चुकाना होते थे। यानि कुल 3500 रुपए वे देते थे लेकिन हकीकत में बिल 45 हजार रुपए का बनता था, जिस पर 41500 रुपए शासन बतौर सब्सिडी देता था। यही स्थिति अस्थाई कनेक्शन हैं। तीन माह का पम्प कनेक्शन 9000 में होता है, जिस पर बिल 34000 का बनता है, बाकि की सब्सिडी शासन करता था। अब ये बिल पूरे एक ही बार में जमा करने होंगे, सब्सिडी कंपनी सीधे खाते में जमा करेगी। बता दें कि अभी तक की करोड़ों रुपए की सब्सिडी शासन ने बिजली कंपनी को दी ही नहीं है, इसी कारण लगातार नुकसान होता गया है।
कहीं गैस सिलेंडर से हाल न हो जाए, कम-ज्यादा होती सब्सिडी
नये बिल को लेकर तमाम प्रकार के कयास लगाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि जिस तरह से सरकार ने गैस सिलेंडर पर सब्सिडी का गणित बैठाया है उसी तरह बिजली टैरिफ पर भी हो सकता है। सब्सिडी कम-ज्यादा होती रहती है, ऐसे में यह माना जा रहा है कि धीरे-धीरे सब्सिडी खत्म ही हो जाए या नाम मात्र की रह जाए। वर्तमान में 90 फीसदी तक सब्सिडी मिल रही है। इसे ऐसे ही समझ लिया जाता है कि कुछ माह की कांग्रेस सरकार ने अलग सब्सिडी रख दी थी और बीजेपी की अलग। दोनों ही स्थिति में जमा कितनी हुई यह जांच का विषय है।
04 लाख उपभोक्ता जिले में
31 करोड़ की बिलिंग
402 करोड़ का बकाया जिले में
6.65 रु. प्रति यूनिट डोमेस्टिक (100 यूनिट से ऊपर के लिए)
50 फीसदी बकाया पम्प कनेक्शन पर
(नोट: बिजली कंपनी से प्राप्त जानकारी के अनुसार)
निजी हाथों में ये बदलाव… खुद के नियम, सब खर्च वसूलेंगे
अमेंडमेंट बिल लागू होने पर पूरी व्यवस्थाएं निजी हाथों में चली जाएंगी। इसके बाद निजी कंपनी वाले अपने हिसाब से मीटर लगाएंगे। प्रत्येक मीटर का खर्च 100 रुपए अलग से उपभोक्ता से ही वसूला जाएगा। साथ ही जो भी सब्सिडी शासन की ओर से मिलती है उसका भुगतान पहले ही करना पड़ेगा। शासन यदि सब्सिडी देगा तभी वह उपभोक्ता के खाते में रिफंड होगा। इसके अलावा टैरिफ रेट में भी बदलाव होंगे। 100 यूनिट से अधिक वाले बिल पर 10 रुपए प्रति यूनिट तक रेट लगेंगे।
नई दरें नये हिसाब से ही लागू होंगी
अमडेंमेंट बिल अभी लागू होना है, इसके बाद जो बदलाव आएंगे वह स्पष्ट है। किस हिसाब से व्यवस्थाएं होंगी वे बता दी जाएंगी। इसके लिए नई दरें होंगी, टैरिफ प्लॉन भी नये हिसाब के होंगे। फिलहाल यह लागू नहीं हुआ है लेकिन प्रारंभिक रूप रेखा में सब्सिडी सीधे खातों में ही जाने लगेगी।
-पीसी गौड़, एसई, विद्युत वितरण कंपनी, राजगढ़