जिले में 12 टेली मेडिसीन मशीन लगेंगी, छोटे केंद्रों पर मरीज को मिलेगा ऑनलाइन उपचार
कंटिन्यू ऑफ केयर : सीटी स्कैन जैसी तीन क्वींटल वजन की मशीन होगी, जिसमें मरीज से सीधे बात करेंगे विशेषज्ञ डॉक्टर्स

ब्यावरा.जिला, सिविल अस्पातल और प्राथमिक स्वास्थ केंद्रों पर मैनुअली भले ही प्रॉपर उपचार नहीं मिल पा रहा हो लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा मरीजों को ऑनलाइन उपचार मुहैया करवाने के लिए एक शुरुआत की है। अब जिले के 12 छोटे स्वास्थ्य केंद्रों पर टेली मेडिसीन मशीन (telemedicine machine) लगाई जाएगी, जिसके माध्यम से मरीजों को ऑनलाइन (online) विशेषज्ञ डॉक्टर्स (doctors) की परामर्श मिलेगी।
दरअसल, एक निजी फाउंडेशन के माध्यम से स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के मकसद से उक्त मशीनें लगाई जा रही हैं। जो कि सिटी स्कैन जैसी रहेगी और ऑनलाइन काम करेगी। इसमें संबंधित मरीज की जानकारी सबमिट करने के बाद उसे बैठा दिया जाएगा, फिर सीधी कनेक्विटी डॉक्टर से हो जाएगी। उक्त मशीनरी का हब (कंट्रोल रूम) जयपुर (राजस्थान) बनाया गया है। जहां से सीधी मॉनीटरिंग की जाएगी, इसमें संबंधित विशेषज्ञ डॉक्टर्स पहले से ही मौजूद रहेंगे जो मरीज की परेशानी को समझकर सीधा ऑनलाइन ट्रीटमेंट करेंगे। इस सुविधा के पीछे स्वास्थ्य विभाग की मंशा है कंटिन्यू ऑफ केयर की है। यानि छोटे पीएचसी सेंटर्स जिकना हब जिला अस्पताल होता है और अन्य अस्पताल जिनका हब एम्स भोपाल है उन्हें ऑनलाइन हब मुहैया करवाना। साथ ही मरीज को आधुनिक उपचार विशेषज्ञ डॉक्टर्स के माध्यम से देना भी एक मकसद है।
तीन क्वींटल वजनी 12 मशीनें आईं
करीब तीन क्वीटंल वटन की कुल 12 टेली मेडिसीन मशीनें जिले में आई हैं। जिन्हें नरसिंहगढ़ ब्लॉक के कुरावर पीएचसी, पीलूखेड़ी, मानपुरा गुजराती, बड़ोदिया तालाब, माना, चोना, बावड़ीखेड़ा, पीएचसी तलेन, सीएचसी बोड़ा, गेहूंखेड़ी, कासरोद, बावरवाखुरम के लिए लाया गया है। इन्हें संबधित केंद्रों पर इंस्टॉल किया जाएगा, जहां बेहतर इंटरनेट और बिजली सुविधा अतिरिक्त तौर पर मुहैया करवाना होगी। इसके लिए छोटे केंद्रों पर तैना सीएचओ और एएनएम संचालित करेंगी। जहां एएनएम नहीं होंगी वहां फाउंडेशन द्वारा नये सिरे से तैनात करवाई जाएगी। यह एएनएम और सीएचओ मशीन के चेंबर में डिटेल सबमिट कर दी जाएगी, इसके बाद मशीन संचालित होगी।
चुनौतियां... गांवों में आखिर कैसे संचालित होगी मशीन?
स्वास्थ्य विभाग ने आउटसोर्सिंग (विश फाउंडेशन) के माध्यम से यह काम करवा जरूर रहा है लेकिन प्रायोगिक तौर पर कैसे संभव होगा? जो लोग मैनुअली डॉक्टर्स को बात नहीं बता पाते वे कैसे मशीन पर बैठकर बताएंगे? गांवों के अस्पतालों, केंद्रों की स्थिति किसी से छिपी नहीं है, जहां बिजली नहीं है वहां इंटरनेट सुविधा कैसे चल पाएगी? मशीन के माध्यम से की गई काउंसलिंग का क्या पैमाना रहेगा? ऐसी कई चुनौतियां मशीन का सेटअप तैयार करने और लगाने में हैं, जो कि पहले शहरी क्षेत्र में चलाना जरूरी था न कि गांवों में? फिलहाल इसे विभाग पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर कुछ जगह ही चालू करने के मूड में है इसके बाद आगे संचालित होगा।
टेली मेडिसीन मशीन लगाई जाएंगी
जिले के 12 सेंटर्स पर लगान के लिए मशीनें आई हैं। इसमें मरीजों को ऑनलाइन उपचार विशेषज्ञ डॉक्टर्स से मिलेगा। हालांकि जिले में यह पायलेट बेसेस पर किया जा रहा है। इसमें पूरा सेटअप बनाने और समझाने के बाद आगे की प्रक्रिया होगी। जो चुनौतियां हैं उन्हें भी फेस करते हुए कुछ बेहतर करेंगे।
-आनंद भारद्वाज, जिला नोडल अधिकारी, टेली मेडिसीन, राजगढ़
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