बता दें कि टीकाकरण की गाइड लाइन के अनुसार पहले डोज के 28 दिन बाद दूसरा डोज लगाया जाना था लेकिन करीब महीनेभर से अधिक समय बाद इसे शुरू किया गया है। पहली बार में वैक्सीन का 70 फीसदी डोज पहले डोज के तौर पर लगया गया था, इसके बाद 30 प्रतिशत अब लगाया जा रहा है। हालांकि अभी भी लोगों में बहुत ज्यादा उत्साह वैक्सीन लगवाने को लेकर नहीं है। शुरू से ही प्रचार-प्रसार में कमी होने के कारण इसमें लोगों ने ज्यादा रुचि नहीं दिखाई। हालांकि अभी आम लोगों की बारी पहले डोज के लिए ही नहीं आई है।
सैकेंड स्ट्रैन का डर… प्रशासन की अपील- सतर्कता बरतें
आम लोगों तक अभी कोरोना वैक्सीन का पहला डोज भी नहीं पहुंचा है और कोरोना वायरस ने फिर से डराना शुरू कर दिया है। महाराष्ट्र, केरल सहित प्रदेश की ही बड़े शहर इंदौर, भोपाल में एक्टिव केसेस की संख्या में इजाफा होने लगा है। विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना वायरस का सैकेंड स्ट्रैन यह चालू हुआ है जो कि खतरनाक तो ही है साथ ही डराने वाला भी है। एहतियातन कुछ राज्यों में अतिरिक्त सावधानी बरती है वहीं, जिला प्रशासन ने भी जनता से अपील की है कि सावधानी के तौर पर प्रशासन की सख्ती के बिना ही सतर्कता बरतें। मॉस्क पहनना शुरू कर दें, सोशल डिस्टिेंसिंग का पालन जरूर करें।
सैकेंड स्ट्रैन का डर… प्रशासन की अपील- सतर्कता बरतें
आम लोगों तक अभी कोरोना वैक्सीन का पहला डोज भी नहीं पहुंचा है और कोरोना वायरस ने फिर से डराना शुरू कर दिया है। महाराष्ट्र, केरल सहित प्रदेश की ही बड़े शहर इंदौर, भोपाल में एक्टिव केसेस की संख्या में इजाफा होने लगा है। विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना वायरस का सैकेंड स्ट्रैन यह चालू हुआ है जो कि खतरनाक तो ही है साथ ही डराने वाला भी है। एहतियातन कुछ राज्यों में अतिरिक्त सावधानी बरती है वहीं, जिला प्रशासन ने भी जनता से अपील की है कि सावधानी के तौर पर प्रशासन की सख्ती के बिना ही सतर्कता बरतें। मॉस्क पहनना शुरू कर दें, सोशल डिस्टिेंसिंग का पालन जरूर करें।
अब चुनौतीपूर्ण होगा लोगों को पहले जैसे हैंडल कर पाना
कोरोना काल (Corona era) के सख्त लॉक डॉउन की तर्ज पर अब लोगों को फिर से समझा पाना प्रशासन (administration) के लिए भी चुनौतीपूर्ण (challanging) लग रहा है। इधर, सार्वजनिक आयोजनों (social event), बस (bus), ट्रेनों (trains) में बढ़ती भीड़ के बीच सामाजिक दूरी को मैनेज कर पाना भी बड़ी चुनौती बनी हुई है। ऐसे में लोगों को समझा पाना तो चुनौतीपूर्ण है ही साथ ही संक्रमण को रोक पाना भी मुश्किल नजर आ रहा है। ऐसे में अभी से अतिरिक्त सावधानी की यहां जरूरत है, वही कुछ हद तक सैकेंड स्ट्रैन को निंयत्रित कर पाएगी। माना जा रहा है कि आगामी दिनों में इसे लेकर कलेक्टर आपदा प्रबंधन की बैठक भी लेंगे और दिशा-निर्देश जारी करेंगे।
उसी दिशा में कर रहे काम
महाराष्ट्र व अन्य राज्यों में बढ़ते केसेस के चलते हम सतर्क हैं, उसी दिशा में काम भी कर रहे हैं। जरूरत पडऩे पर बैठक लेंगे, इसी अनुरूप सभी को दिशा-निर्देश दिए जाएंगे।
-नीरज कुमार सिंह, कलेक्टर, राजगढ़
134 को ही लगा सैकेंड डोज
पोर्टल पर मिली जानकारी के अनुसार और पहले की सूची के अनुरूप 200 हितग्राहियों के लिए हमने दूसरे डोज का सेशन तैयार किया था, उनमें से 134 को ही लग पाया।
-डॉ. एल. पी. भकोरिया, जिला वैक्सीनेशन ऑफिसर, राजगढ़
कोरोना काल (Corona era) के सख्त लॉक डॉउन की तर्ज पर अब लोगों को फिर से समझा पाना प्रशासन (administration) के लिए भी चुनौतीपूर्ण (challanging) लग रहा है। इधर, सार्वजनिक आयोजनों (social event), बस (bus), ट्रेनों (trains) में बढ़ती भीड़ के बीच सामाजिक दूरी को मैनेज कर पाना भी बड़ी चुनौती बनी हुई है। ऐसे में लोगों को समझा पाना तो चुनौतीपूर्ण है ही साथ ही संक्रमण को रोक पाना भी मुश्किल नजर आ रहा है। ऐसे में अभी से अतिरिक्त सावधानी की यहां जरूरत है, वही कुछ हद तक सैकेंड स्ट्रैन को निंयत्रित कर पाएगी। माना जा रहा है कि आगामी दिनों में इसे लेकर कलेक्टर आपदा प्रबंधन की बैठक भी लेंगे और दिशा-निर्देश जारी करेंगे।
उसी दिशा में कर रहे काम
महाराष्ट्र व अन्य राज्यों में बढ़ते केसेस के चलते हम सतर्क हैं, उसी दिशा में काम भी कर रहे हैं। जरूरत पडऩे पर बैठक लेंगे, इसी अनुरूप सभी को दिशा-निर्देश दिए जाएंगे।
-नीरज कुमार सिंह, कलेक्टर, राजगढ़
134 को ही लगा सैकेंड डोज
पोर्टल पर मिली जानकारी के अनुसार और पहले की सूची के अनुरूप 200 हितग्राहियों के लिए हमने दूसरे डोज का सेशन तैयार किया था, उनमें से 134 को ही लग पाया।
-डॉ. एल. पी. भकोरिया, जिला वैक्सीनेशन ऑफिसर, राजगढ़