दरअसल, भोपाल-ब्यावरा फोरलेन का काम करने वाली निर्माण एजेंसी सीडीएस की कार्रवाई को पिछले दिनों रोकना पड़ा था। बायपास पर चार गांवों (कचनारिया, तलावड़ा, मुल्तानपुरा और बालापुरा)की जमीनों में अलग-अलग माप आने के कारण परेशानी सामने आई थी। कुछ लोगों का कहना है कि हमें मुआवजा नहीं मिला और कुछ का कहना है कि भेदभाव पूर्ण तरीके से प्रशासनिक मदद से अतिक्रमण तोड़ा जा रहा है। इस पर कार्रवाई अभी तक रुकी हुई है। दोबारा राजस्व निरीक्षक और चारों ही हल्के के पटवारियों द्वारा रिकॉर्ड निकालने और नापतौल के पास सुनिश्चित किया गया कि अवॉर्ड में सामने आए 15 लोगों को मुआवजा मिलेगा। वहीं, तलावड़ा में 23, कचरनारिया में 28, मुल्तानपुरा में 28 और बालापुरा में 30 मीटर के हिसाब से अतिक्रमण तोड़ा जाएगा। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि मुआवजा अवॉर्ड होने के दौरान शासन की जमीन इसी मापदंड से बची थी और उसी हिसाब से रोड के लिए अलॉटमेंट हुआ था। अलग-अलग चौड़ाई होने से अलग-अलग माप सामने आ रही है।
डीपीआर और चैनेज ही रहेगा आधार
हर 50 मीटर पर अलॉट होने वाली भूमि (चैनेज सिस्टम) और डीपीआर के आधार पर ही बायपास का अतिक्रमण तोड़ा जाना हैं। इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर प्लॉन किया गया है, प्रशासन की मौजूदगी में निर्माण एजेंसी अतिक्रमण तोड़ेगी। वहीं, एमपीआरडीसी और एनएचएआई में अवॉर्ड हुए मुआवजे का रिकॉर्ड भी स्थानीय प्रशासन ने बुलवाया है। एसडीएम ने एनएचएआई के प्रोजेक्ट मैनेजर एमएल पुरवैया को मय रिकॉर्ड के साथ बुलाया है। उसमें यह भी तय किया जाएगा कि किस हिसाब से मुआवजा अवॉर्ड हुए और अलग-अलग सर्वे किस हिसाब से हुआ?