395 मीटर पर डैम का लेबल
मोहनपुरा परियोजना के कार्यपालन यंत्री केके खरे ने बताया कि डैम की जलभराव क्षमता 398 मीटर है, लेकिन करनवास के नजदीक रेलवे ब्रिज का काम चलने से इसे इस साल पूरी क्षमता तक नहीं भरा जा रहा। गुरुवार से डैम में पानी आने की मात्रा अधिक बढ़ गई थी। इससे 12 गेटो को 60 सेंटीमीटर तक खोलकर 2000 क्यूसेक पानी निकाला जा रहा है। फिलहाल डैम का वाटर लेबल 395 मीटर पर स्थिर बनाए रखा गया है। इधर डैम के 12 गेट खुलने की जानकारी के बाद उसका नजारा देखने के लिए बड़ी संख्या में शहर और जिलेवासी भी डैम पर पहुंच गए। जो वहां किसी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था नहीं होने से खतरा उठाते हुए खतरनाक स्थानों से डैम पर चहलकदमी करते रहे।
मोहनपुरा परियोजना के कार्यपालन यंत्री केके खरे ने बताया कि डैम की जलभराव क्षमता 398 मीटर है, लेकिन करनवास के नजदीक रेलवे ब्रिज का काम चलने से इसे इस साल पूरी क्षमता तक नहीं भरा जा रहा। गुरुवार से डैम में पानी आने की मात्रा अधिक बढ़ गई थी। इससे 12 गेटो को 60 सेंटीमीटर तक खोलकर 2000 क्यूसेक पानी निकाला जा रहा है। फिलहाल डैम का वाटर लेबल 395 मीटर पर स्थिर बनाए रखा गया है। इधर डैम के 12 गेट खुलने की जानकारी के बाद उसका नजारा देखने के लिए बड़ी संख्या में शहर और जिलेवासी भी डैम पर पहुंच गए। जो वहां किसी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था नहीं होने से खतरा उठाते हुए खतरनाक स्थानों से डैम पर चहलकदमी करते रहे।
औसत से 28.13 सेमी अधिक बारिश
जिले की औसत बारिश 110.07 सेमी है, लेकिन इस बार अगस्त माह से लगातार जारी बारिश से अब तक 138.2 सेमी बारिश हो चुकी है। जो जिले की सामान्य औसत बारिश से 28.13 सेमी अधिक है। इसके पूर्व वर्ष 2011 में 1513.1, 2013 में 1571.9 2015 में 1449.7 और 2016 में 1331.7 मिमी बारिश दर्ज की गई है।
जिले की औसत बारिश 110.07 सेमी है, लेकिन इस बार अगस्त माह से लगातार जारी बारिश से अब तक 138.2 सेमी बारिश हो चुकी है। जो जिले की सामान्य औसत बारिश से 28.13 सेमी अधिक है। इसके पूर्व वर्ष 2011 में 1513.1, 2013 में 1571.9 2015 में 1449.7 और 2016 में 1331.7 मिमी बारिश दर्ज की गई है।
फसलों को नुकसान, सड़कें जर्जर
लगातार हो रही इस बारिश से जहां इस साल सोयाबीन की फसल लगभग बर्बाद हो चुकी है। वहीं मक्का और सब्जियों की फसल को भी नुकसान हुआ है। किसानों की माने तो अधिक बारिश के बाद खेतों में पानी भरा रहने से सोयाबीन की फसल में अफलन की स्थिति बनी है। वहीं तेज बारिश के कारण न सिर्फ अधिकांश ग्रामीण मार्ग बल्कि शहरी क्षेत्रों में भी डामर की सड़क पूरी तरह खुदने से उन पर चलना तक मुश्किल है। इधर कई गांवों में मुख्यमंत्री ग्रामीण संपर्क योजना के तहत बनी सड़कें बेकार हो गई हैं।
लगातार हो रही इस बारिश से जहां इस साल सोयाबीन की फसल लगभग बर्बाद हो चुकी है। वहीं मक्का और सब्जियों की फसल को भी नुकसान हुआ है। किसानों की माने तो अधिक बारिश के बाद खेतों में पानी भरा रहने से सोयाबीन की फसल में अफलन की स्थिति बनी है। वहीं तेज बारिश के कारण न सिर्फ अधिकांश ग्रामीण मार्ग बल्कि शहरी क्षेत्रों में भी डामर की सड़क पूरी तरह खुदने से उन पर चलना तक मुश्किल है। इधर कई गांवों में मुख्यमंत्री ग्रामीण संपर्क योजना के तहत बनी सड़कें बेकार हो गई हैं।
अजनार फिर उफान पर, घरों ने पकड़ी सीलन
ब्यावरा. कहर बनकर बरस रही बारिश ने आम जन-जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। नदी-नाले उफान पर होने से पुल-पुलियाओं के साथ मार्ग छलनी हो गए। वहीं, लगातार बारिश को झेल-झेलकर मकानों ने भी सीलन पकड़ ली है। अत्याधुनिक मकानों से भी पानी टपकने लगा है। शुक्रवार सुबह से ही रुक-रुककर कभी तेज तो कभी कम बारिश से शहर तरबतर हो गया। वहीं, कई निचली बस्तियों से पानी बह निकला। अजनार नदी हर बार की तरह फिर से उफान पर आ गई। अस्पताल रोड के पुल पर पानी रहने से दिनभर वह बंद रहा। एक दिन पहले भी शहर को जोडऩे वाले तीनों मार्ग बंद रहे थे। राजगढ़ रोड स्थित पुल, अस्पताल रोड पुल और इंदौर नाका स्थित अजनार के बड़े पुल पर पानी आ जाने से आवागमन पूरी तरह से बंद रहा। वहीं, खेत भी नदी-नाले जैसे बन गए हैं, उनमें पानी जमा हो गया। जिससे फसलें लगभग बर्बादी की ओर हैं।
ब्यावरा. कहर बनकर बरस रही बारिश ने आम जन-जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। नदी-नाले उफान पर होने से पुल-पुलियाओं के साथ मार्ग छलनी हो गए। वहीं, लगातार बारिश को झेल-झेलकर मकानों ने भी सीलन पकड़ ली है। अत्याधुनिक मकानों से भी पानी टपकने लगा है। शुक्रवार सुबह से ही रुक-रुककर कभी तेज तो कभी कम बारिश से शहर तरबतर हो गया। वहीं, कई निचली बस्तियों से पानी बह निकला। अजनार नदी हर बार की तरह फिर से उफान पर आ गई। अस्पताल रोड के पुल पर पानी रहने से दिनभर वह बंद रहा। एक दिन पहले भी शहर को जोडऩे वाले तीनों मार्ग बंद रहे थे। राजगढ़ रोड स्थित पुल, अस्पताल रोड पुल और इंदौर नाका स्थित अजनार के बड़े पुल पर पानी आ जाने से आवागमन पूरी तरह से बंद रहा। वहीं, खेत भी नदी-नाले जैसे बन गए हैं, उनमें पानी जमा हो गया। जिससे फसलें लगभग बर्बादी की ओर हैं।