दरअसल, दिसंबर-2017 में हाईकोर्ट High Court news ने राजगढ़ कलेक्टर को अतिक्रमण के कुछ मामलों में जांच अधिकारी नियुक्त किया था लेकिन सालभर बाद भी उनमें कोई फैसला decision नहीं हो पाया है। इसके अलावा अन्य कई ऐसे मामले हैं जिनमें लेटलतीफी हुई है और उनमें पक्षकार को सुना तक नहीं गया। ऐसे में जनता से जुड़े हुए कई मामले अटके पड़े हैं और सभी को फैसले का इंतजार है लेकिन लगातार हो रही लेटलतीफी से जनता का विश्वास प्रशासनिक व्यवस्था से उठता जा रहा है। बता दें कि अतिक्रमण के साथ ही बैंक सरफेसी केसेस, चिटफंड कंपनी के मामले सहित राजस्व संबंधी अन्य प्रकरणों में निर्णय होना शेष हैं।
जानें कहां किस स्तर पर अधर में है फैसले
01-ब्यावरा का अतिक्रमण
जनता का भरोसा तोड़ा, रोड से भी राहत नहीं : 2017 से ही अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई डिवाइडर वाले रोड के लिए की गई। कई ऐसे लोग जिनके निर्माण अतिक्रमण की जद में नहीं आते थे उन्हें थी जमींदरोंज कर दिया गया। अब जहां रोड की सर्वाधिक जरूरत है वहां अतिक्रमण में फैसला नहीं लिया जा रहा। ऐसे करीब पांच मामले कलेक्टर के समक्ष पेंडिंग हैं लेकिन कोई फैसला दिसंबर-2017 से आज तक नहीं हो पाया।
02- बैंक सरफेसी प्रकरण
वसूली के प्रकरणों में न सहयोग न सुनवाई : बैंकिंग सेक्टर में बैंक सरफेसी (वसूली) प्रकरण को निपटाने में भी राजस्व विभाग फेल हुआ है। ऐसे प्रकरण जो लोन देने के बाद चुकाने में फेल हो जाते हैं, उन्हे सुलझाने और अटैचमेंट के लिए जिला प्रशासन की मदद बैंकर्स लेते हैं लेकिन उन्हें सुना ही नहीं जा रहा।
03-चिटफंड कंपनियों के प्रकरण
निवेशक परेशान, दिवालिया हुई कंपनियों पर निर्णय नहीं : जिलेभर में रुपए लेकर रफूचक्कर हुईं चिटफंड कंपनियों को लेकर भी कोई निर्णय नहीं लिया गया। देवास-शाजापुर जिले के कलेक्टर्स द्वारा यहां के कुछ मामलों में जिला प्रशासन को प्रकरण सौंपा गया लेकिन उनमें फैसला तो दूर सुनवाई होना शेष है।
04 राजस्व संबंधी प्रकरण
न खारिज कर रहे न स्वीकार, अटके प्रकरण : राजस्व संबंधी कई प्रकार के प्रकरण, गड़बडिय़ों पर अंकुश लगाने की गई कार्रवाई सहित अन्य तमाम प्रकरणों में कोई निर्णय नहीं लिया गया। कई ऐसे प्रकरण हैं जिनमें त्वरिण निराकरण के लिए जिला प्रशासन को निर्देश थे लेकिन कोई समाधान उनका भी नहीं हुआ।
जिन पर भरोसा किया वे ही खामोश
प्रशासन की लापरवाही पर अंकुश लगाने जनता जनप्रतिनिधियों को चुनते हैं लेकिन राजगढ़ जिले की स्थिति यह है कि न अधिकारी गंभीर है न ही नेता। स्थिति यह है कि जिलेभर के नेताओं ने ऐसे मुद्दों पर चुप्पी साध रखी है वे खामोश हो गए हैं। जनता को बेहद उम्मीदें सत्ता परिवर्तन से थी लेकिन वे भी अब टूट गईं। ऐसे में प्रशासन, नेता, अधिकारी सभी से जनता का भरोसा उठ गया है।
लेटलतीफी नहीं होना चाहिए मैं दिखवाती हूं
वैसे मेरे पास हर माह रिपोर्ट आती है, उसमें पेंडेंसी शो नहीं होती लेकिन किस स्तर पर कहां कैसी पेंडेंसी है मैं दिखवाती हूं। जहां भी लेटलतीफी होगी उसे दूर किया जाएगा, मैं संबंधितों से बात करती हूं।
-कल्पना श्रीवास्तव, आयुक्त भोपाल रेंज, मप्र शासन