हम नहीं हटने वाले
अब उन जरूरतमंदों के रुपए खर्च हो जाने के बाद प्रशासन को अचानक से याद आई कि यहां तो बारिश का पानी आ जाएगा, आपको दिक्कत होगी। हालांकि यह याद जब जगह अलॉट की थी तब नहीं आई। जैसे ही टीम वहां पहुंची तो लोह कुटा समुदाय के महिला, पुरुष,बच्चे सभी विरोध में आ गए और कहा हम यहां से नहीं हटेंगे।भले ही बुल्डोजर चढ़ा दो या मार डालो हम नहीं हटने वाले। कभी यहां से वहां कर दिया जाता है तो कभी वहां से यहां, हम तंग आ चुके हैं।
भरी बारिश में हम बच्चों और बुजुर्गों को लेकर कहां जाएं? प्रशासन भले ही हमें मार दे, हम रोड पर जाम कर देंगे लेकिन हटेंगे नहीं।एसडीएम प्रदीप सोनी, सीएमओ इकरार अहमद, प्रभारी तहसीलदार सौरभ वर्मा, पटवारी, नपा अमले सभी ने उन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन उन्होंने एक न मानी। आखिर में प्रशासन की टीम बैरंग लौटना पड़ा।
पत्रिका ने चेताया था, प्रशासन ने नहीं दिया ध्यान
बारिश की शुरुआत में ही बाढग़्रस्त नदी के तट के पास शिट किएगएउक्तलोगों को लेकर पत्रिका ने न सिर्फ खबर प्रकाशित थी बल्कि आगाह किया था कि इससे दिक्कत आएगी? और वही हुआ, जिमेदारों ने उस वक्त ध्यान नहीं दिया।नतीजा यह रहा कि बल, दल के साथ पहुंचे प्रशासनिक अमले को लोगों, महिलाओं का विरोधझेलना पड़ा और बैरंग लौटकर आ गए। खास बात यह है कि करीब 60 से 70 साल शहर में ही रहने वाले लोह कुटा समुदाय को स्थायी जगह उपलब्ध नहीं करवा पाई है।कभी इधर तो कभी उधर उन्हें शिफ्ट कर दिया जाता है।
रसूखदारों पर कार्रवाई नहीं
प्रशासनिक लापरवाही और अफसर शाही का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि ब्यूरोकैसी के दम पर जनता को पॉवर दिखाने वाले अधिकारियों की नजर रसूखदारों, राजनीतिक संरक्षण प्राप्त लोगों पर नहीं जाती।जिन लोह कुटा समुदाय के लोगों को हटाने प्रशासनिक अमलाएसडीएम, तहसीलदार, पटवारी, सीएमओ इत्यादि गए थे उनमें से किसी भी नजर उन्हीं झुग्गियों के सामने किए गए कब्जे पर नहीं गई।
लोह कुटा समुदाय के लोगों ने आरोप लगाया कि उक्तरसूखदारों और राजनीतिक संरक्षण प्राप्त लोगों ने न सिर्फ सरकारी जमीन पर कब्जा जमाया है बल्कि शासन की योजनाओं का लाभ भी उसी पर ले लिया। खास बात यह है कि उन्हीं कब्जेधारियों करीब महीनेभर पहले नोटिस इत्यादि दिए गए थे लेकिन उन्हें हटाने या कार्रवाई करने की हिम्मत किसी जिम्मेदार ने नहीं दिखाई।
भेड़-बकरियों की तरह इधर-उधर पटक रहे
हमें भेड़-बकरियों की तरह कभी इधर तो कभी उधर पटक दिया जाता है। हमारी परवाह करने वाला कोई नहीं है। इधर-उधर मांग-मांगकर काम चला रहे हैं और अब
-गंगाबाई, पीडि़त वृद्धा, राजगढ़ रोड झुग्गी, ब्यावरा
बच्चों को पढ़ाने के लिए हम यहां स्थापित हुएहैं लेकिन फिर से हटाने आगए। नेता लोग भी वोट के समय तो हमारे पास आ जाते हैं लेकिन हमें एक योजना का लाभ नहीं मिला।
-ममताबाई, पीडि़त महिला, इंद्रा नगर झुग्गी, ब्यावरा
हमने तीन लोगों को ही किया था शिफ्ट
हमने महज तीन लोगों को ही शिफ्ट किया था बाकी लोग पता नहीं कहां से आ गए। बारिश हुई और बाढ़ आईतो फिर भी हम पर ही बात आएगी, इस लिए इन्हें सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट करने की प्लॉनिंग है। जहां स्थायी जमीन और आवास भी दे देंगे।
-इकरार अहमद, सीएमओ, नपा, ब्यावरा