इसके लिए सभी सुपरवाइजर को अपने अपने अधीन केन्द्र में जाकर देखने के निर्देश दिए गए है। साथ ही यह जानकारी दो दिन के अंदर बनाने के लिए भी कहा गया है। उल्लेखनीय है हाल ही में पत्रिका द्वारा की गई पड़ताल में आंगनबाड़ी केन्द्रों और सुपरवाइजर से जानकारी मिली थी कि यह खरीदी महिला बाल विकास के किसी कर्मचारी द्वारा पहुंचाए गए ठेकेदार के माध्यम से कराई गई है। जिसके बिल भी सीधे कार्यालय भेज दिए गए।
तो कहा है बिल
आंगनबाड़ी केन्द्रों के अनुसार जो खरीदी की गई। उसके बिल केन्द्रों में पहुंचे थे और भुगतान भी करा दिया गया। क्योंकि जिला कार्यालय से भुगतान के लिए ठेकेदार के फोन पर बात कराकर भुगतान के लिए कहा गया था। वहीं महिला बाल विकास कार्यालय की बात करे, तो यह अभी तक ऐसा कोई भी नहीं पहुंचा है। सवाल उठता है कि 95 लाख रूपए की खरीदी के इस मामले में अप्रैल से लेकर विभाग ने अभी तक क्यों ध्यान नहीं दिया। क्या जिम्मेदार की भी भूमिका इसमें शामिल थी।
कलेक्टर मेडम के कहे अनुसार हम सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों की जांच करा रहे है। जिसमें एक प्रोफार्मा सुपरवाइजर को दिया जाएगा और सुपरवाइजर उस के अनुसार बिल और भुगतान आदि सभी की जानकारी भरकर देंगी। जहां खामियां मिलेंगी, उन पर कार्रवाइ होगी।
चंद्रसेना भिड़े, महिला बाल विकास अधिकारी राजगढ़
आदर्श आंगनबाड़ी में बगैर टेंडर की सप्लाई
उधर राजगढ़ जिले के आदर्श आंगनबाड़ी में विभिन्न सुविधाओं को बढ़ाने के उद्देश्य से जिले की १५१ आंगनबाड़ी केन्द्रों में ९५ लाख रुपए डाले गए। लेकिन विभाग द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के खाते में डाला गया भुगतान एक दिखावा ही साबित हुआ। जहां जिले के अधिकारी कहे या फिर कर्मचारी जिन्होंने आंगनबाड़ी केन्द्रों पर उनसे पूछे बगैर सीधा सामान पहुंचा दिया और उसके भुगतान के लिए कर्मचारियों ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं पर दबाव बनाया।
यह बात हम नहीं कह रहे खुद आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सुपरवाइजर बोल रही है। ऐसे में इस भ्रष्टाचार के पीछे कौन है। जिन्होंने अपने स्वार्थो की पूर्ति करते हुए यह सप्लाई कराई। क्योंकि अभी तक विभागीय जांच में भी लीपापोती के अलावा कुछ सामने नहीं आ रहा। यहां मामले में डॉ.राहुल विजयवर्गीय ने पूरे मामले की शिकायत लोकायुक्त से करने की बात कही है।
आंगनबाड़ी केन्द्रों में जो सप्लाई हुई है। उनमें 50 हजार रुपए से ज्यादा के बिल दिए है। लेकिन यदि सामग्री की बात करे तो एक पंखा और प्लास्टिक की पानी की टंकी और भवन की पुताई के अलावा कुछ नहीं हुआ। जब इस संबंध में कुछ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने भुगतान को लेकर आपत्ति जताई तो कर्मचारियों ने उन्हें हटाने तक की धमकी दे डाली। ऐसे में मजबूरन यह भुगतान उन्हें ठेकेदार को करना पड़ा।
यहां जरूरत नहीं ई टेंडरिंग घोटाले की-
शासन ने विभिन्न टेंडर में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से ई टेंडर प्रक्रिया शुरू की। लेकिन वहां भी आरोप लगने लगे। लेकिन जिले में ई टेंडर घोटाले की भी जरूरत नहीं है। यहां अधिकारी ऐसे घोटाले बगैर टेंडर के ही कर रहे है। फिर चाहे बात वन विभाग द्वारा तैयार की गई वनवाटिका की हो या फिर ड्रेस वितरण की और अब नया कारनामा महिला बाल विकास ने कर दिखाया। जहां बगैर टेंडर के ही विभाग के कुछ दलालों ने हर आंगनबाड़ी केन्द्रों पर ठेकेदार के माध्यम से सप्लाई कर दी और भुगतान केन्द्रों के माध्यम से करा दिया।
40 केन्द्रों में की सप्लाई-
विभाग की यदि माने तो खबर के प्रकाशन के बाद की गई जांच में यह सामने आया कि करीब 40 केन्द्रों पर ठेकेदार ने सप्लाई दी है। यह जांच की बात है। लेकिन पत्रिका द्वारा की गई पड़ताल में लगभग सभी आदर्श आंगनबाड़ी केन्द्रों पर ठेकेदार के माध्यम से सप्लाई हुई है। जिस कर्मचारी ने अधिकारियों के संरक्षण में इस पूरे कारनामे को अंजाम दिया है। फिलहाल उसे विभाग बड़ी जिम्मेदारी देने में लगा हुआ है। जिससे कहीं न कहीं इसमें अन्य लोगों की सांठगांठ भी नजर आती है।
मामला सामने आने के बाद विभिन्न जगह जांच कराई गई। मैं स्वयं भी जांच करने पहुंची। जहां ऐसा सामने आया कि कुछ जगह किसी ठेकेदार ने सामग्री पहुंचाई है। फिलहाल जांच जारी है। नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
चंद्रसेना भिड़े, महिला बाल विकास अधिकारी राजगढ़