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सब में एक और एक में सब, यही है सामाजिक समरसता

locationराजगढ़Published: May 08, 2018 05:30:21 pm

माधव स्मृति सेवा न्यास की स्वामी विवेकानंद व्याख्यान माला में बोले मुख्य वक्ता

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ब्यावरा.सब में एक और एक में सब मिल जाएं, यही सामाजिक समरसता है। जिस तरह विभिन्न नदियां मिलकर सुमद्र में समाती हैं तो उनकी अपनी पहचान विलुप्त हो जाती है और वे समुद्र कहलाती हैं। उसी तरह सभी जातियां हिंदू में समाहित होकरे हिंदुत्व बन जाएं, यही सामाजिक समरसता है।

यह बात पीजी कॉलेज में आयोजित माधव स्मृति सेवा न्यास के तत्वावधान में आयोजित स्वामी विवेकानंद व्याख्यान माला में मुख्य वक्ता के तौर पर भोपाल से आए डॉ. प्रकाश बरतूनिया (उपाध्यक्ष, विद्या भारती मध्य भारत प्रांत) ने कही। उन्होंने कहा कि जब हमारे देश में ईराक से पारसी समुदाय के लोग आए थे तो उन्हें हमने यहां रहने से मना कर दिया था, फिर उन्होंने कहा था कि हम आपमें समाहित हो जाएंगे और आपका सहयोग करेंगे। जिस तरह किसी गिलास में दूध हो और उसमें और डालने की गुंजाइश न भी हो तो भी शकर डाली जा सकती है। जिस तरह शकर घुलकर दूध की मिठास बढ़ा देती है वैसे ही हम आपके साथ मिलकर सहयोग करेंगे।

यही भावना यही सहोयग सामाजिक समरसता है। डॉ. बरतूनिया सामाजिक समरसता वर्तमान परिप्रेक्ष्य में विषय पर व्याख्यान माला में संबोधित कर रहे थे। इसके अलावा माधव सेवा न्यास के डॉ. ओपी सोनी और मप्र वाल्मीकि महापंचात जिला राजगढ़ के अध्यक्ष रामबाबू खरे ने भी अपने विचार रखे। विधायक नारायणसिंह पंवार, रिटायर्ड प्रो. के. जी. जोशी, विहिप के डॉ. अशोक अग्रवाल, चंद्रकांत त्रिपाठी, जिपं अध्यक्ष प्रतिनिधि जसवंत गुर्जर सहित अन्य भाजपाईऔर श्रोता मौजूद रहे। आभार आरएसएस के बिहारीलाल चौधरी ने माना।

दलितों से समानता ही सामाजिक समरसता
व्याख्यान माला में मुख्य वक्ता ने आज भी दलितों के साथ हो रहे अत्याचारों पर जोर दिया और कहा कि दलितों और जिन्हें में नीचले मान चुके हैं उनके साथ समानता का व्यवहार करना ही असल सामाजिक समरसता है। उन्होंने मंदिर पर प्रतिबंध, पानी एक साथ एक ही जगह से लाने पर लगे प्रतिबंध सहित अन्य प्रथाओं को खत्म करने का आह्वान किया। नीचले और गरीब तबके के लोगों के बारे में उन्होंने कहा कि पानी से नहाने शुद्धता होती है और पसीने से नहाने से व्यक्ति पवित्र हो जाता है। पसीने में नहाने वाले ऐसे हमारे भाई पूरी तरह से पवित्र रहते हैं।

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