बचे वो लगा रहे आरोप
वहीं, मौके पर मौजूद ऐसे समूद वाले लोग जिनकी दुकानें अलॉट हो चुकी हैं उन्होंने कहा कि जोल गो बच गए हैं वे जबरन के आरोप लगा रहे हैं। पूरी प्रक्रिया नियमानुसार ही हुई है, कहीं कोई गड़बड़ी नहीं हुई। गड़बड़ी हुई भी है तो जांच हो जाए सारी चीजें क्लीयर हो जाएंगी। वहीं, खाद्य विभाग का तर्क है कि हमने पूरा काम नियमानुसार किया है, अलॉटमेंट पर्ची उठाकर वैसे ही किया है जैसे होना चाहिए।
वहीं, मौके पर मौजूद ऐसे समूद वाले लोग जिनकी दुकानें अलॉट हो चुकी हैं उन्होंने कहा कि जोल गो बच गए हैं वे जबरन के आरोप लगा रहे हैं। पूरी प्रक्रिया नियमानुसार ही हुई है, कहीं कोई गड़बड़ी नहीं हुई। गड़बड़ी हुई भी है तो जांच हो जाए सारी चीजें क्लीयर हो जाएंगी। वहीं, खाद्य विभाग का तर्क है कि हमने पूरा काम नियमानुसार किया है, अलॉटमेंट पर्ची उठाकर वैसे ही किया है जैसे होना चाहिए।
शिकायत करेंगे
-पांच लोगों के बीच पर्ची उठना थी, लेकिन मेडम ने उनका अलॉटमेंट कर दिया जिनसे शायद उनकी साठगांठ थी। इस तरह सरेआम गड़बड़ी की जा रही है, जो कि गलत है। हम कोर्ट में उसकी शिकायत करेंगे।
-देवचंद्रदांगी, निवासी लसूल्डिया गुर्जर
-पांच लोगों के बीच पर्ची उठना थी, लेकिन मेडम ने उनका अलॉटमेंट कर दिया जिनसे शायद उनकी साठगांठ थी। इस तरह सरेआम गड़बड़ी की जा रही है, जो कि गलत है। हम कोर्ट में उसकी शिकायत करेंगे।
-देवचंद्रदांगी, निवासी लसूल्डिया गुर्जर
-जिस बच्चे से चिट्ठी उठवाई उसे पहले से ही समझा दिया गया था। विभाग वालों ने इसमें गड़बड़ी की है और जानबूझकर पहले से तय लोगों को दुकानें दे दी गई।
-रूपसिंह गुर्जर, निवासी नालबंदी
-किसी प्रकार की कोई सूचना हमें नहीं दी गई ऑनलाइन आवेदन के बारे में भी किसी ने नहीं बताया। ऑफलाइन आवेदन लेकर पहुंचे तो साफ मना कर दिया।
-जितेंद्र, निवासी पाटनपुर
-रूपसिंह गुर्जर, निवासी नालबंदी
-किसी प्रकार की कोई सूचना हमें नहीं दी गई ऑनलाइन आवेदन के बारे में भी किसी ने नहीं बताया। ऑफलाइन आवेदन लेकर पहुंचे तो साफ मना कर दिया।
-जितेंद्र, निवासी पाटनपुर
-दुकानों के अलॉटमेंट के दौरान मैं वहीं था कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि पहले ऑफलाइन फिर ऑनलाइन आवेदन हुए जिसमें गड़बड़ी हुई है। हालांकि कईबातें बेबुनियाद भी कही गई है, लेकिन तकनीकि रूप से यदि कुछ गलत हुआ होगा तो दोबारा पूरी जांच करवाएंगे।
-प्रदीप सोनी, एसडीएम, ब्यावरा
-प्रदीप सोनी, एसडीएम, ब्यावरा
जहरीला दूध पीने से दो सगे भाइयों की मौत
कुरावर. शहर के नजदीकी गांव छोटी छापरी में जहरीला दूध पीने से दो सगे भाइयों की मौत हो गई। घटना रविवार की है, जब छोटी छापरी निवासी दोने बच्चें आयुष उम्र आठ वर्ष और पीयूष छह वर्ष पिता महाराज सिंह मीणा को सुबह करीब ११ बजे उनकी मां ने रोजना की तरह एक एक गिलास दूध बनाकर दिया। बच्चों के लिए दिए गए इस दूध ने दोनों बच्चों की जान ले ली। दरअसल मां ने अपने लाड़लों का जिस तपेली से भरकर दूध दिया था। उसमें छिपकली गिरी हुई थी। मगर बच्चों की मां को इसका पता नहीं चला ओर अंजाने में उसी के हाथों अपने दोनों बच्चों को मौत मिल गई। बच्चों के जहरीला दूध पीने की जानकारी के बाद उन्हें बचाने के उम्मीद में परिजन बच्चों को पहले कुरावार और बाद में भोपाल तक ले गए, लेकिन दोनों जगह डांक्टरों ने बच्चों को मृत घोषित कर वापस लौटा दिया।
कुरावर. शहर के नजदीकी गांव छोटी छापरी में जहरीला दूध पीने से दो सगे भाइयों की मौत हो गई। घटना रविवार की है, जब छोटी छापरी निवासी दोने बच्चें आयुष उम्र आठ वर्ष और पीयूष छह वर्ष पिता महाराज सिंह मीणा को सुबह करीब ११ बजे उनकी मां ने रोजना की तरह एक एक गिलास दूध बनाकर दिया। बच्चों के लिए दिए गए इस दूध ने दोनों बच्चों की जान ले ली। दरअसल मां ने अपने लाड़लों का जिस तपेली से भरकर दूध दिया था। उसमें छिपकली गिरी हुई थी। मगर बच्चों की मां को इसका पता नहीं चला ओर अंजाने में उसी के हाथों अपने दोनों बच्चों को मौत मिल गई। बच्चों के जहरीला दूध पीने की जानकारी के बाद उन्हें बचाने के उम्मीद में परिजन बच्चों को पहले कुरावार और बाद में भोपाल तक ले गए, लेकिन दोनों जगह डांक्टरों ने बच्चों को मृत घोषित कर वापस लौटा दिया।
क्या है घटनाक्रम
परिजनों से मिली जानकारी के अनुसार रविवार सुबह करीब ११ बजे दोनों बच्चों को भोजन कराने के बाद उनकी मां ने उन्हें दूध से भरा गिलास दिया। दूध पीने के बाद दोनों बच्चें बाहर खेलने चले गए, लेकिन थोड़ी देर बाद लौटे और मां से तेज नींद आने की बात कर अपने कमरे में सोने चले गए। दरअसल बच्चों पर जहर का असर होने लगा था, कुछ देर बाद दोनों बच्चों की बड़ी मां अपने बच्चों के लिए दूध लेने गई, तो दूध की तपेले में छिपकली पड़ी दिखी। फिर उसने अपनी देवरानी को दूध में छिपकली गिरे होने की जानकारी दी। इसके बाद उसने दोनों बच्चों को उठाने का प्रयास किया, लेकिन तब तक उनके प्राण उड़ चुके थे। बाद में परिजन दोनों बच्चों को लेकर डॉक्टरों के पास भी पहुंचे, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। सोमवार को दोनों बच्चों को अंतिम संस्कार परे गांव के निवासियों की मौजूदगी में बेहद गमगीन माहौल में किया गया।
परिजनों से मिली जानकारी के अनुसार रविवार सुबह करीब ११ बजे दोनों बच्चों को भोजन कराने के बाद उनकी मां ने उन्हें दूध से भरा गिलास दिया। दूध पीने के बाद दोनों बच्चें बाहर खेलने चले गए, लेकिन थोड़ी देर बाद लौटे और मां से तेज नींद आने की बात कर अपने कमरे में सोने चले गए। दरअसल बच्चों पर जहर का असर होने लगा था, कुछ देर बाद दोनों बच्चों की बड़ी मां अपने बच्चों के लिए दूध लेने गई, तो दूध की तपेले में छिपकली पड़ी दिखी। फिर उसने अपनी देवरानी को दूध में छिपकली गिरे होने की जानकारी दी। इसके बाद उसने दोनों बच्चों को उठाने का प्रयास किया, लेकिन तब तक उनके प्राण उड़ चुके थे। बाद में परिजन दोनों बच्चों को लेकर डॉक्टरों के पास भी पहुंचे, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। सोमवार को दोनों बच्चों को अंतिम संस्कार परे गांव के निवासियों की मौजूदगी में बेहद गमगीन माहौल में किया गया।