social media user ने यूं जाहिर की पीड़ा...
कल govt. hospital में एक परिचित की डिलिवरी होना थी, पहले कहा गया केस क्रिटिकल है, राजगढ़ भेजना पड़ेगा। उन्हें ज्यादा समझ नहीं थी तो डर गए, फिर निवेदन किया कि हमारे साथ कोई महिला नहीं कृपया यहीं देख लीजिए। थोड़ी देर बाद महिला की सास आई, उन्होंने कहा कि पागल समझ रहे क्या आप लोग? जितनी आपकी उम्र नहीं उतनी डिलिवरी करवा चुकी हूं, आप डिलिवरी यहीं कराइए। इसके बाद नॉर्मल डिलिवरी हुई, स्वस्थ्य बच्ची को महिला ने जन्म दिया। कुल मिलाकर यह मनमानी का आलम यहां आम है। यूजर लिखता है कि इस सबके बाद भी वहां तैनात दो सिस्टर को 500-500 और आयाओं (स्वीपर) को 200-200 रुपए देना पड़े। क्या सरकार इनको सैलेरी नहीं देती?
पहले डराते हैं, फिर लेन-देन का दबाव बनाते हैं
सोशल मीडिया यूजर चीकू यादव लिखते हैं कि जब वहां हमने किसी से बात की तो बोले यह तो कुछ भी नहीं है। यहां पहले रेफर करने के नाम पर प्रसूताओं को डराया जाता है, उनके परिजनों पर दबाव बनाया जाता है। फिर ठेका होता है, यहां तैनात नर्सें चार से पांच हजार रुपए का ठेका करती हैं, फिर सामान्य डिलिवरी कराती हैं। उनका कहना था कि दो -पांच हजार रुपए के लिए कौन रिस्क ले, इसलिए दे देते हैं। यही हाल दूर-दराज से आने वाले गरीब वर्ग के लोगों का होता है। सभी नेता-अधिकारियों को इसकी जानकारी है तो फिर कोई कुछ कदम क्यों नहीं उठाता।
कल govt. hospital में एक परिचित की डिलिवरी होना थी, पहले कहा गया केस क्रिटिकल है, राजगढ़ भेजना पड़ेगा। उन्हें ज्यादा समझ नहीं थी तो डर गए, फिर निवेदन किया कि हमारे साथ कोई महिला नहीं कृपया यहीं देख लीजिए। थोड़ी देर बाद महिला की सास आई, उन्होंने कहा कि पागल समझ रहे क्या आप लोग? जितनी आपकी उम्र नहीं उतनी डिलिवरी करवा चुकी हूं, आप डिलिवरी यहीं कराइए। इसके बाद नॉर्मल डिलिवरी हुई, स्वस्थ्य बच्ची को महिला ने जन्म दिया। कुल मिलाकर यह मनमानी का आलम यहां आम है। यूजर लिखता है कि इस सबके बाद भी वहां तैनात दो सिस्टर को 500-500 और आयाओं (स्वीपर) को 200-200 रुपए देना पड़े। क्या सरकार इनको सैलेरी नहीं देती?
पहले डराते हैं, फिर लेन-देन का दबाव बनाते हैं
सोशल मीडिया यूजर चीकू यादव लिखते हैं कि जब वहां हमने किसी से बात की तो बोले यह तो कुछ भी नहीं है। यहां पहले रेफर करने के नाम पर प्रसूताओं को डराया जाता है, उनके परिजनों पर दबाव बनाया जाता है। फिर ठेका होता है, यहां तैनात नर्सें चार से पांच हजार रुपए का ठेका करती हैं, फिर सामान्य डिलिवरी कराती हैं। उनका कहना था कि दो -पांच हजार रुपए के लिए कौन रिस्क ले, इसलिए दे देते हैं। यही हाल दूर-दराज से आने वाले गरीब वर्ग के लोगों का होता है। सभी नेता-अधिकारियों को इसकी जानकारी है तो फिर कोई कुछ कदम क्यों नहीं उठाता।
ट्रोल हो रहे इस वाकये पर आ रही ऐसी प्रतिक्रियाएं...
-दो महिलाओं को रेफर किया गया, जैसे ही लिफाफा दिया नॉर्मल डिलिवरी हो गई, 20 साल से देख रहे... संदीप शर्मा।
-शिवराज मामा से कहो कि बुल्डोजर पहले स्वास्थ्य विभाग पर चलाए, कचरा साफ करे... मनीष।
-ब्यावरा में बिना रुपए वाले केस हमेशा क्रिटिकल बताए जाते हैं, रेफर करने की धमकी दी जाती है, जैसे ही रुपए दो नॉर्मल डिलिवरी हो जाएगी। सिस्म करप्ट हो चुका है... विनोद।
-भ्रष्टाचार इसी को बोलते हैं जो कई दिनों से फैला हुआ है... जितेंद्र।
-इनके खिलाफ आवाज उठाओ तो राजगढ़ रेफर, वहां से भोपाल, जो काम पांच हजार में हो रहा वह सीधा 60 में होता है.... संदीप।
यह बर्दाश्त योग्य नहीं है
यह बेहद गलत बात है, शासन तमाम सुविधाएं मुहैया कराता है, फिर संबंधितों को ईमानदारी, निष्ठा से काम करना चाहिए। यह सब बर्दाश्त योग्य नहीं है। ब्यावरा में सीजर होने चाहिए, यदि उन्हें एनेस्थैटिक की जरूरत है तो 24 घंटे उपलब्ध कराएंगे, जनता के हित के काम तो करना ही होंगे।
-डॉ. दीपक पिप्पल, सीएमएचओ, राजगढ़
-दो महिलाओं को रेफर किया गया, जैसे ही लिफाफा दिया नॉर्मल डिलिवरी हो गई, 20 साल से देख रहे... संदीप शर्मा।
-शिवराज मामा से कहो कि बुल्डोजर पहले स्वास्थ्य विभाग पर चलाए, कचरा साफ करे... मनीष।
-ब्यावरा में बिना रुपए वाले केस हमेशा क्रिटिकल बताए जाते हैं, रेफर करने की धमकी दी जाती है, जैसे ही रुपए दो नॉर्मल डिलिवरी हो जाएगी। सिस्म करप्ट हो चुका है... विनोद।
-भ्रष्टाचार इसी को बोलते हैं जो कई दिनों से फैला हुआ है... जितेंद्र।
-इनके खिलाफ आवाज उठाओ तो राजगढ़ रेफर, वहां से भोपाल, जो काम पांच हजार में हो रहा वह सीधा 60 में होता है.... संदीप।
यह बर्दाश्त योग्य नहीं है
यह बेहद गलत बात है, शासन तमाम सुविधाएं मुहैया कराता है, फिर संबंधितों को ईमानदारी, निष्ठा से काम करना चाहिए। यह सब बर्दाश्त योग्य नहीं है। ब्यावरा में सीजर होने चाहिए, यदि उन्हें एनेस्थैटिक की जरूरत है तो 24 घंटे उपलब्ध कराएंगे, जनता के हित के काम तो करना ही होंगे।
-डॉ. दीपक पिप्पल, सीएमएचओ, राजगढ़