दरअसल, बारिश के दौरान आ रही दिक्कतें और रोड पर बैठने वाली गाय, खेतों में फसलें खराब करने वाले मवेशियों के संरक्षण के लिए शासन स्तर पर यह व्यवस्था की गई है। इस व्यवस्था के तहत तमाम गौ शालाओं को भी अधिगृहित किया गया है, साथ ही राहत शिविर में आम लोगों को सेवा का मौका दिया जाएगा, इसमें बेरोजगार युवा भी भाग ले सकते हैं।
शासन ने यह निर्णय लिया
फिलहाल यह अस्थाई व्यवस्था है जिसमें शासन स्तर पर गौ-वंश के संरक्षण की व्यवस्था की गई है। बता दें कि इससे पहले गिरं गांव के लोगों ने व्यवस्था बनाई थी जिसमें तमाम गांव के लोगों ने एक-एक भटकने वाली गाय बांधी थी नहीं बांधने वालों पर पांच सौ रुपए का जुर्माना लगाया था, इससे करीब 700 गायों को सहारा मिला था। हाल ही में खिलचीपुर गौ शाला में दुर्दशा का शिकार हुए गौ-वंश को देखने के बाद और प्रदेशभर में भटक रही माता कही जाने वाली गाय को देखकर शासन ने यह निर्णय लिया है। अस्थाई ही सही लेकिन यदि व्यवस्था लागू की गई तो काफी राहत मिलेगी।
एसडीएम, नपा की टीम पहुंची गौ-शाला
शासन की इस नई व्यवस्था के बाद स्थानीय प्रशासन, नपा की टीम और हाल ही में आए एसडीएम रमेश पांडे ने गौ शालाओं का निरीक्षण किया। इसके तहत अंजनीलाल मंदिर स्थित नृसिंह गौ शाला और वैष्णोदेवी गौ शाला का निरीक्षण किया गया। एसडीएम ने यहां गौ शाला संचालकों से कहा कि आवारा मवेशियों, गायों को आप बांधे आपको शासन स्तर पर अतिरिक्त सुविधा दी जाएगी।
इसमें 70 रुपए प्रति गाय प्रति दिन के हिसाब से दी जाएगी। इसके अलावा वैष्णोदेवी मंदिर परिसर में खासकर गायों के लिए राहत शिविर लगाया जाएगा जिसमें उन्हें संरक्षण दिया जाएगा। उनके रुकने, खाने-पीने की व्यवस्था शासन स्तर पर होगी। इस दौरान एसडीएम के अलावा आरआई, नपा के संजय सिंह सहित अन्य मौजूद रहे।
राहत शिविर लगाने के निर्देश मिले हैं
प्रति गाय प्रति दिन के 70 रुपए देने के निर्देश शासन स्तर पर मिले हैं। तमाम सब-डिविजन में यह व्यवस्था लागू कर दी गई है। ब्यावरा में वैष्णोदेवी मंदिर परिसर में राहत शिविर लगाया जाएगा जिसमें गायों को संरक्षण मिलेगा। हालांकि यह अस्थाई तौर पर की गई व्यवस्था है।
-ओ. पी. चौधरी, आरआई, ब्यावरा सिटी