यह खुलासा उस समय हुआ जब छापीहेड़ा ब्रांच से जुड़ी छह सोसाइटियों की जांच सहकारिता द्वारा की जा रही है।
हाल ही में सीसीबी में हुई गड़बड़ी का एक बड़ा मामला सामने आया। इसमें करीब छह करोड़ रुपए जिन किसानों की प्रीमियम काटी गई उनके स्थान पर अन्य किसानों के खातों में राशि डाल दी गई।
इसकी शिकायत के बाद सहकारिता विभाग के ऑडिटर द्वारा जांच की जा रही है। इसी जांच के दौरान एक और बड़ा घोटाला उजागर हुआ। बताया जा रहा है कि किसानों से लिए जाने वाले ब्याज को बढ़ाकर सोसाइटियों द्वारा यह लिया जाता रहा। यह राशि करोड़ों में बताई जा रही है।
मुरैना में सस्पेंड हो चुके सीईओ
इस पूरे मामले की जांच पुष्पेन्द्र कुशवाह सहायक उपायुक्त सहकारी समितियां द्वारा की जा रही है। कुछ इसी तरह का मामला मुरैना में भी सामने आया था। उसे कुशवाह ने उजागर किया था, इसके बाद सीईओ सहकारिता मुरैना श्योपुर को निलंबित करते हुए जांच शुरू की गई। यह मामला फरवरी का था।
जांच उजागर हुई तो हो गया ट्रांसर्फर
किसानों के साथ धोखाधड़ी से अधिक ब्याज वसूलना और जिन किसानों के खाते में बीमा राशि जानी थी। उनके खातों में न डालते हुए अन्य खातों में उसे ट्रांसर्फर कर देने का बड़ा मामला उजागर करने वाले जांच अधिकारी पुष्पेन्द्र कुशवाह का स्थानांतरण हो चुका है। ऐसे में सवाल उठता है कि किसानों के साथ हो रही लूट का मामला सामने आने के बाद धोखेबाजों पर एफआइआर होनी चाहिए या फिर जांच अधिकारियों के स्थानांतरण।
ओवरड्यू होने पर लिया जाता है ब्याज
बैंक द्वारा किसानों को केसीसी शून्य प्रतिशत पर दी जाती है। साल में दो बार इसकी अलटी-पलटी करानी होती है। यदि किसान ओवरड््यू हो जाए तो फिर ब्याज लगता है। इसमें 11 प्रतिशत तक बैसिक ब्याज और बैंक चाहे तो तीन प्रतिशत तक दंड ब्याज के रूप में ले सकती है। लेकिन सहकारी सोसाइटियों से जो ब्याज लिया गया। वह 18 से 20 प्रतिशत किसानों से लिया जा चुका है। यह राशि करोड़ों में आंकी जा रही है। फिलहाल इस पूरे मामले में जांच जारी है।
– पुष्पेन्द्र कुशवाह, सहायक उपायुक्त सहकारी समितियां राजगढ़
– बापूसिंह तंवर, विधायक राजगढ़