आठ सौ बोनस में भी लागत नहीं निकल रही
वरिष्ठ किसानों के अनुसार लहसुन की पैदावार में प्रति हैक्टेयर ८० हजार रुपए का खर्च आता है। इसमें 12 हजार की बोवनी , कीटनाशक, खाद सहित गुड़ाई के 10 हजार, 12 हजार खुदाई और दोबारा कटाई के १२ हजार सहित करीब आठ क्विंटल बीज की बोवनी प्रतिहेक्टेयर में होती हैं, यानीं संभवता कुल ८० हजार रुपए खर्च आता है। अब यदि 800 का बोनस दिया जाए और प्रति क्विंटल तीन सौ रुपए किलो खरीदा भी जाए फिर भी एक हैक्टेयर के ६० क्विंटल पैदावार के हिसाब से ६६,००० रुपए की इनकम हो रही है। ऐसे में बोनस, भावांतर के बावजूद किसानों को लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा। इससे शासन का यह प्रलोभन भी किसानों की उम्मीदों पर खरा उतरता नहीं दिखाई दे रहा।
वरिष्ठ किसानों के अनुसार लहसुन की पैदावार में प्रति हैक्टेयर ८० हजार रुपए का खर्च आता है। इसमें 12 हजार की बोवनी , कीटनाशक, खाद सहित गुड़ाई के 10 हजार, 12 हजार खुदाई और दोबारा कटाई के १२ हजार सहित करीब आठ क्विंटल बीज की बोवनी प्रतिहेक्टेयर में होती हैं, यानीं संभवता कुल ८० हजार रुपए खर्च आता है। अब यदि 800 का बोनस दिया जाए और प्रति क्विंटल तीन सौ रुपए किलो खरीदा भी जाए फिर भी एक हैक्टेयर के ६० क्विंटल पैदावार के हिसाब से ६६,००० रुपए की इनकम हो रही है। ऐसे में बोनस, भावांतर के बावजूद किसानों को लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा। इससे शासन का यह प्रलोभन भी किसानों की उम्मीदों पर खरा उतरता नहीं दिखाई दे रहा।
पिछले साल से बढ़ा लहसुन का उत्पादन
रबी की मुख्य फसल में शामिल लहसुन का उत्पादन पिछले साल से इस बार बढ़ गया है। किसानों को औसत से बंपर पैदावार इस बार हुई है, लेकिन तीन से पांच रुपए किलो बिक रही लहसुन ने पूरा गणित किसानों का बिगाड़ दिया है। पिछले साल प्याज अधिक मात्रा में थे तो उन्हें भाव नहीं मिल पाया। किसानों ने पलटवार कर अधिक खर्च किया तो मार्केट ने उन्हें झटका दे दिया। सौ रुपए से अधिक प्रति किलो बिकने वाली लहसुन के इस बार बेहद कम भाव है, जिससे लागत भी नहीं निकल पा रही।
फैक्ट-फाइल
-५४५० में प्याज इस बार।
-५०५० में प्याज २०१७ में थे।
-४३०० मेें लहसुन इस बार।
-३००० में लहसुन २०१७ में थे।
(उद्यानिकी से प्राप्त जानकारी, आंकड़े हैक्टेयर में)
रबी की मुख्य फसल में शामिल लहसुन का उत्पादन पिछले साल से इस बार बढ़ गया है। किसानों को औसत से बंपर पैदावार इस बार हुई है, लेकिन तीन से पांच रुपए किलो बिक रही लहसुन ने पूरा गणित किसानों का बिगाड़ दिया है। पिछले साल प्याज अधिक मात्रा में थे तो उन्हें भाव नहीं मिल पाया। किसानों ने पलटवार कर अधिक खर्च किया तो मार्केट ने उन्हें झटका दे दिया। सौ रुपए से अधिक प्रति किलो बिकने वाली लहसुन के इस बार बेहद कम भाव है, जिससे लागत भी नहीं निकल पा रही।
फैक्ट-फाइल
-५४५० में प्याज इस बार।
-५०५० में प्याज २०१७ में थे।
-४३०० मेें लहसुन इस बार।
-३००० में लहसुन २०१७ में थे।
(उद्यानिकी से प्राप्त जानकारी, आंकड़े हैक्टेयर में)
१६०० से कम हो या अधिक, किसी भी भाव में लहसुन बिके किसानों को आठ सौ रुपए प्रति क्विंटल का बोनस मिलेगा। भावांतर भुगतान योजना के तहत प्याज की भी खरीदी होना है,लेकिन उसके दायरे अभी सुनिश्चित नहीं है, भावांतर की तर्ज पर ही उसकी खरीदी होगी।
-आरएस गौर, सहकारिता पंजीयक, राजगढ़
प्याज और लहसुन को भावांतर भुगतान योजना के तहत ही खरीदा जाएगा। इसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बिकने के बाद जो अंतर होगा वह प्याज के लिए लागू होगा। लहसुन किसी भी भाव में बिके इसके लिए आठ सौ रुपए प्रति क्विंटल का बोनस मिलेगा।
-आरके रावत, सचिव, कृषि उपज मंडी समिति, ब्यावरा