व्यापारियों ने भी इस नई व्यवस्था का विरोध किया और मंडी प्रशासन (mandi administrain) के साथ बैठक ली। इनका कहना है कि मंडी में 20 टन क्षमता वाला महज एक ही इलेक्ट्रिक तोल कांटा है, ऐसे में उस अकेले पर आखिर कैसे काम होगा? सीजन और हॉफ सीजन में भी यहां काफी तादाद में राशन आता है, ऐसे में यदि बड़े कांटे के ही भरोसे रहे तो काम कैसे हो पाएगा? इसके अलावा यदि किसानों का कटौत्रा नहीं करना है तो इसकी भरपाई हम क्यों करें? यानि मंडी प्रशासन खुद वहन करे? इस पर सचिव ने कहा कि तोल तो बड़े कांटे पर ही होगा, शासन के नियमों को मानना भी होगा। फिलहाल मंडी में नीलामी पूर्णतया बंद है।
मुख्यालय भेजा है मांग पत्र
व्यापारी, हम्माल-तुलावटियों ने जो समस्या बताई है वह हमने वरिष्ठ कार्यालय को भेजा है। मुख्यालय पूरा लेटर भेजने के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी। फिलहाल बड़े कांटे पर ही तुलाई का निर्देश है साथ ही किसी भी हाल में किसान से कटौत्रा नहीं किया जा सकेगा।
-अश्विन सिन्हा, सचिव, कृषि उपज मंडी समिति, ब्यावरा