दरअसल, चार सौ रुपए प्रति क्विंटल प्याज पर और आठ सौ रुपए प्रति क्विंटल लहसुन पर किसानों को दिए जाने हैं। इनमें से जिस नियत भाव में खरीदी की गई, उसके अलावा न बोनस मिल पाया न ही भावांतर भुगतान की शेष राशि। ऐसे में किसानों को चिंता सताने लगी है। शासन स्तर पर भी कोई दिशा-निर्देश अभी तक नहीं मिले हैं। ऐसे में किसान असमंजस में हैं। कब तक राशि आएगी यह भी सुनिश्चित नहीं हो पाया।
बोनस मिलने पर भी नहीं निकल रही लागत
जिस सीमित भाव में प्याज और लहसून को शासन स्तर पर खरीदा गया उसमें बोनस की राशिदिएजाने के बावजूद मूल लागत नहीं निकल पा रही है। लाखों रुपएखर्च कर बोवनी, निंदाई-गुड़ाई, सिंचाई सहित अन्य तमाम प्रकार की मेहनत के बाद तैयार होने वाले प्याज, लहसुन औने-पौने दाम में खरीदे गए। शासन स्तर पर भावांतर, समर्थन मूल्य पर स्थिर कर दी गई दोनों ही प्रमुखउपज की मूल लागत भी किसानों को नहीं निकल पा रही है।
अगस्त में होने वाली प्याज खरीदी कैंसल
पहले मई-जून के बाद अगस्त में दोबारा होने वाली खरीदी शासन ने फिलहाल कैंसल कर दिया है। पहले एक से 31 अगस्त तक दोबारा खरीदी करने की शासन की योजना थी, साथ ही इस बीच शासन के वेयर हाउसेस में रखने के लिएभी किसानों को सहायता राशिमिलने वाली थी, लेकिन जून से बंद हुई खरीदी के बाद न तो नये सिरे से खरीदी की गई और ना ही किसी भंडार गृह या वेयर हाउसेस में प्याज, लहसुन रखा गया।
जिस सीमित भाव में प्याज और लहसून को शासन स्तर पर खरीदा गया उसमें बोनस की राशिदिएजाने के बावजूद मूल लागत नहीं निकल पा रही है। लाखों रुपएखर्च कर बोवनी, निंदाई-गुड़ाई, सिंचाई सहित अन्य तमाम प्रकार की मेहनत के बाद तैयार होने वाले प्याज, लहसुन औने-पौने दाम में खरीदे गए। शासन स्तर पर भावांतर, समर्थन मूल्य पर स्थिर कर दी गई दोनों ही प्रमुखउपज की मूल लागत भी किसानों को नहीं निकल पा रही है।
अगस्त में होने वाली प्याज खरीदी कैंसल
पहले मई-जून के बाद अगस्त में दोबारा होने वाली खरीदी शासन ने फिलहाल कैंसल कर दिया है। पहले एक से 31 अगस्त तक दोबारा खरीदी करने की शासन की योजना थी, साथ ही इस बीच शासन के वेयर हाउसेस में रखने के लिएभी किसानों को सहायता राशिमिलने वाली थी, लेकिन जून से बंद हुई खरीदी के बाद न तो नये सिरे से खरीदी की गई और ना ही किसी भंडार गृह या वेयर हाउसेस में प्याज, लहसुन रखा गया।
चना, मसूर और सरसों के भी अटके रुपए
समर्थन मूल्य पर ही चना, मसूर और सरसों बेच चुके किसानों के भी करीब पांच करोड़ रुपए शासन स्तर पर ही अटके हैं। करीब ढाई सौ करोड़ से अधिक बांटने के बावजूद किसानों को राहत नहीं मिल पाई है। माना जा रहा है कि अगले माह में बची राशि आए लेकिन कई खरीदी केंद्रों पर बिल क्लीयर नहीं होने से किसानों को बैंरग लौटाया जा रहा है। खरीदी केंद्रों द्वारा खासकर ब्यावरा केंद्र से जानकारी मार्कफेड तक नहीं पहुंचा पाने से दिक्कतें आ रही है। इससे किसानों को पेमेंट क्लीयर नहीं हो पा रहा है।
समर्थन मूल्य पर ही चना, मसूर और सरसों बेच चुके किसानों के भी करीब पांच करोड़ रुपए शासन स्तर पर ही अटके हैं। करीब ढाई सौ करोड़ से अधिक बांटने के बावजूद किसानों को राहत नहीं मिल पाई है। माना जा रहा है कि अगले माह में बची राशि आए लेकिन कई खरीदी केंद्रों पर बिल क्लीयर नहीं होने से किसानों को बैंरग लौटाया जा रहा है। खरीदी केंद्रों द्वारा खासकर ब्यावरा केंद्र से जानकारी मार्कफेड तक नहीं पहुंचा पाने से दिक्कतें आ रही है। इससे किसानों को पेमेंट क्लीयर नहीं हो पा रहा है।
शासन के स्तर पर ही अभी राशि नहीं आ पाई है।अगस्त में होने वाली खरीदी कैंसल हो गई है, अभी हमें कोई नए ऑर्डर नहीं मिले हैं। प्याज, लहसुन को मिलाकर करीब 38 करोड़ रुपए आना है।
– व्हीएस राजपूत, उप-संचालक, उद्यानिकी
– व्हीएस राजपूत, उप-संचालक, उद्यानिकी