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बोनस मिला नहीं और सोयाबीन की तर्ज पर प्याज खरीदने की हो रही है तैयारी!

locationराजगढ़Published: May 24, 2019 11:32:52 pm

Submitted by:

Praveen tamrakar

पहले किसानों का दो लाख तक का कर्ज पूरी तरह से माफ करने में नाकाम हो चुकी प्रदेश सरकार अब प्याज को भी सोयाबीन की तर्ज पर खरीदने की तैयारी में है।

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Beaua. This year, onion bumper was produced in the district but the quantity decreased as the quantity increased.

ब्यावरा. पहले किसानों का दो लाख तक का कर्ज पूरी तरह से माफ करने में नाकाम हो चुकी प्रदेश सरकार अब प्याज को भी सोयाबीन की तर्ज पर खरीदने की तैयारी में है। किसानों की उपज के सही दाम दिलवाने के बजाए उन्हें बोनस देकर खुश करने की योजना बनाई जा रही है। हालांकि सोयाबीन पर मिलने वाला बोनस (पांच सौ रुपए प्रति क्विंटल) भी किसानों को नहीं मिल पाया है और प्याज भी ठीक उसी तरह खरीदने का दावा शासन कर रहा है।

इस बार शासन ने प्याज का न्यूनतम समर्थन मूल्य पर आठ रुपए प्रति किलो तय किया है। अब संबंधित किसान जिस भी भाव में व्यापारी को प्याज बेचेगा उसका अंतर उन्हें बोनस के तौर पर दिया जाएगा। यानि प्याज छह रुपए किलो बिका तो दो रुपए का अंतर बोनस के तौर पर सरकार देगी। यह ठीक वैसे ही किया जा रहा है जिस पैटर्न पर सोयाबीन खरीदी थी हालांकि अभी तक औने-पौने दाम में खरीदी गई सोयाबीन पर मिलने वाली चंद बोनस राशि के अभी तक ठिकाने नहीं हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसानों को वोट समझने वाली सरकारें खेती को लाभ का धंधा बनाने की बजाए अपना उल्लू सीधा करने में लगी रहती हैं। उल्लेखनीय है कि वर्ष-२०१८-१९ में फ्लैट भावांतर भुगतान योजना में खरीदी गई रबी की प्रमुख उपज सोयाबीन पर मिलने वाली प्रोत्साहन राशि के लाखों रुपए किसानों के अटके हैं, जिस पर सरकार विचार नहीं कर पाई है।

कैसे बिगड़ रहा उपज के भाव का गणित?
चाहे प्याज हो या सोयाबीन, जिस भी उपज को शासन प्रोत्साहन राशि की तर्ज पर या किसी भी योजना के भरोसे खरीदता है तब खरीदी की समयावधि में मार्केट में भी संबधित उपज के भाव कम रहते हैं। जैसे ही योजना खत्म होती है तो भाव बढ़ जाते हैं और जरूरतमंद किसान जो उपज बेच चुके होते हैं उन्हें इसका लाभ नहीं मिलता। बड़े बिचौलियों की इसमें चांदी हो जाती है। साथ ही जिस प्रोत्साहन राशि को देने का दावा सरकारें करती हैं वह भी समय पर नहीं मिल पाती। इससे न किसान को उपज का सही दाम मिलता है ना ही शासन की योजना का लाभ।

सारंगपुर, जीरापुर और नरसिंहगढ़ मंडी में होगी खरीदी
मुख्यमंत्री प्याज प्रोत्साहन योजना-२०१९ के तहत शासन स्तर पर होने वाली खरीदी एक से 30 जून तक जिले की तीन मंडियों नरसिंहगढ़, सारंगपुर और जीरापुर में की जाएगी। इसके लिए 20 मई से पंजीयन शुरू हुए हैं जो कि 31 तक होंगे। इन 10 दिनों में जो पंजीयन होंगे उन्हीं किसानों को योजना का लाभ मिलेगा। आचार संहिता के कारण १९ मई तक पंजीयन पर चुनाव आयोग ने रोक लगाई थी, इसीलिए न ढंग से प्रचार-प्रसार हो पाया ना ही किसानों को इसकी जानकारी मिल पाई। आठ सौ रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य के हिसाब से अंतर राशि का बोनस संबंधित किसान को देने का दावा शासन ने किया है। किसानों के साथ यह हमेशा की विडंबना रही है कि जब भी किसी उपज की मात्रा बढ़ती है तो उन्हें सही भाव नहीं मिल पाता। नासिक (महाराष्ट्र) के प्याज की आवक बढऩे से भी यह असर हुआ है। हालांकि जिले में भी पिछले साल की अपेक्षा इस बार दो हजार हेक्टेयर की बढ़त हुई है और इसी साल में भाव नहीं मिल पा रहे।
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