उल्लेखनीय है कि सीसीबी चुनाव पहली बार नहीं टला। वर्ष 2014 से लगातार यह चुनाव पांचवीं बार टला है। ऐसे में मतदान करने पहुंचे जनप्रतिनिधियों और चुने हुए प्रतिनिधियों का गुस्सा बढ़ गया और जो आपस में चुनाव लडऩे के लिए खड़े थे। वे एक होकर सीसीबी प्रबंधन और चुनाव कराने आई कमेटी खिलाफ आक्रोषित हो गए और सीधे वे बैंक के महाप्रबंधक के चेंबर पहुंचे और अपनी नाराजगी व्यक्त की। यहां उन्होंने एक आवेदन भी दिया।
जिसमें मतदान न कराने को लेकर न्यायालय की अवहेलना करने जैसे सवाल शामिल थे, लेकिन इस पर भी कोई बात नहीं बनी और आखिरकार चुनाव को टालने की घोषणा कर दी गई। ऐसे में जो लोग डायरेक्टर के मतदान के लिए विभ्न्नि संस्थाओं से प्रतिनिधि पहुंचे थे। वे एक बार फिर निराश होकर वापस लौट गए।
चुनाव संपन्न कराने को लेकर भोपाल से वेलेट पेपर के साथ ही मतदान से जुड़ी अन्य सामग्री लेकर एक वाहन सुबह सात बजे रवाना हुआ था। भोपाल से आए चुनाव सुपरवाइजर अखिलेश चौहान की माने तो उसे दस बजे तक राजगढ़ पहुंचना था, लेकिन तीन बजे तक ऐसा कोई वाहन राजगढ़ नहीं पहुंचा। इस वाहन में आठ लोग थे। किसी का भी नंबर नहीं लगा।
यही नहीं चुनाव निर्वाचन अधिकारी सहकारिता के डिप्टी कमिश्रर भी आ रहे थे, लेकिन उन्होंने भी अपना मोबाइल बंद किया और कहा गायब हो गए। इसकी कोई जानकारी नहीं लग सकी। ऐसे में यह चुनाव को टालने की एक साजिश ही कही जाएगी। जिसमें चुनाव लड़ रहा एक गुट नहीं चाहता कि चुनाव संपन्न हो।
अब चुनाव का क्या औचित्य
जिस चुनाव को संपन्न कराने के लिए जिस मतदाता सूची को आधार बनाया है। वह वर्ष 2014 की है। इनके प्रतिनिधियों का कार्यालय जनवरी, 18 में पूरा हो चुका है और इनका बोर्ड भी भंग हो चुका है। इनमें से कुछ प्रतिनिधि मृत भी हो चुके है। वहीं कुछ संस्थाएं ओवरड्यू हो चुकी है। जिस समय संस्था में प्रशासक नियुक्त किए गए। उस समय बोर्ड को लेकर कोई गतिविधि आगे नहीं बढ़ाई। ऐसे में इस चुनाव में वह सूची ही किसी काम की नहीं रह जाती। जिस पर आधार पर चुनाव हो रहा है।
सुबह से लगा था जमावड़ा
मतदान प्रक्रिया की तारीख को देखते हुए सुबह से ही कांग्रेस, भाजपा के बड़े नेताओं के साथ ही विभिन्न समितियों से चुनकर आए प्रतिनिधि अपने मत का प्रयोग करने के लिए बैंक पहुंचे थे और इस बार उम्मीद थी कि चुनाव हो जाएगा, लेकिन ऐसा हो न सका। इसके बाद भी वे निर्धारित समय तक राजमहल परिसर में डटे रहे।
तीन विधानसभाएं होती प्रभावित
सहकारिता चुनाव जिले की राजनीति के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है। खासकर राजगढ़, ब्यावरा और नरसिंहगढ़ विधानसभा के बड़े नेताओं से जुड़े समर्थक या फिर उनके परिवार के लोग मैदान में है। चुनाव के बाद यह गुट आपस में बट सकते थे। ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव पर इस चुनाव का सीधा प्रभाव पड़ता। शायद यही कारण है कि चुनाव टालने पर विशेष जोर दिया जा रहा है।
मैं तो चुनाव के सहयोग के लिए आया था, लेकिन निर्वाचन अधिकारी ही नहीं पहुंचे। ऐसे में मतदान नहीं हो सका और चुनाव को निरस्त करने की सूचना लगा दी जाएगी। मैं भोपाल से निकलने से पहले ही बेलेट पेपर सहित अन्य सामग्री यहां भेज चुका था।
– अखिलेश चौहान, सुपरवाइजर चुनाव कमेटी