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सरकारी स्कूलों में घट रहे बच्चे

locationराजगढ़Published: May 29, 2018 01:18:01 pm

Submitted by:

Ram kailash napit

तीन साल में सरकारी स्कूलों से कम हुए २३ हजार बच्चे, इन स्कूलों में छात्राओं की संख्या छात्रों से अधिक…

school

Rajgarh Children falling continuously in government schools in the district.

राजगढ़. सरकारी स्कूलों से हर साल बच्चों और उनके पालकों का मोहभंग हो रहा है। यहीं कारण है कि हर बच्चे को प्रारंभिक शिक्षा से जोडऩे के लिए शासन द्वारा चलाई जा रही कई योजनाओं और सुविधाओं के नाम पर गांव-गांव में स्कूल खोलने के बावजूद इनमें पढऩे वालों बच्चों की संख्या लगातार कम हो रही है।

पिछले तीन साल में ही जिले की सरकारी स्कूलों से २३,७६४ बच्चे कम हो गए है और बच्चों की संख्या गिरने का क्रम लगातार जारी है। स्कूल शिक्षा विभाग भी बच्चों की संख्या कम होने की बात स्वीकार कर रहा है।
यहीं कारण है कि पिछले सत्रों में विभाग द्वारा ३४१ स्कूलों को बंद या अन्य स्कूलों में मर्ज करने का प्रस्ताव जिला योजना समिति को भेजा गया था। इनमें ३०५ स्कूलों में बच्चों की संख्या कम थी। जबकि 36 स्कूल एक ही परिसर में अलग स्कूलों के नाम से संचालित होने वाले स्कूल थे, लेकिन बंद के लिए प्रस्तावित इन शालाओं में पदस्थ शिक्षकों की रसूखदारों तक पहुंच और स्कूल बंद होने के बाद जनप्रतिनिधियों की साख पर लगने वाले बट्टे को देखते हुए आवश्यकता नहीं होने के बावजूद बच्चों की संख्या न के बराबर होने के बावजूद स्कूल का संचालन जारी है।
आठवीं कक्षा उर्तीण करने के बाद नौंवीं कक्षा में सरकारी स्कूल में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या तो आधी भी नहीं है।

स्कूलों में छात्राओं की संख्या अधिक
सरकारी स्कूलों में बच्चों की लगातार कम होती संख्या के बीच एक बात अच्छी है कि इन स्कूलों में छात्रों के बजाए छात्राओं की संख्या अधिक है। हालांकि इसका दूसरा पहलूं उतना ही खराब है। दरअसल जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी पढ़ाई के मामले में लड़के और लड़कियों को लेकर ग्रामीण एक राय नहीं है।
यही कारण है कि यहां अंग्रेजी माध्यम और अच्छी शिक्षा के लिए लड़कों का दाखिला तो प्राइवेट स्कूलों में कराया जाता है, लेकिन गणवेश, साइकिल, मध्याह्न भोजन आदि सुविधाओं के लाभ के लिए बच्चियों को सरकारी स्कूलों में दाखिला दिलाया जा रहा है।

305 स्कूलों निर्धारित से कम बच्चे
शिक्षण सत्र वर्ष २०१६-१७ में जिला शिक्षा केन्द्र द्वारा अर्जित जानकारी के अनुसार जिले के ३१६ विद्यालयों में निर्धारित संख्या से कम बच्चे थे। शासन के नियमानुसार प्राइमरी स्कूल में न्यूनतम १९ और मीडिल स्कूल में १२ बच्चे होना जरूरी है, लेकिन जिले के २८८ प्राइमरी और १७ मीडिल स्कूलों में इस संख्या से कम बच्चे होने के कारण इन्हें बंद करने का प्रस्ताव किया जा चुका है, लेकिन यहां पदस्थ शिक्षकों सहित जनप्रतिनिधियों के विरोध के कारण प्रक्रिया अटकी हुई है।
स्कूलों में बच्चों की संख्या कम होने का तर्क
आरटीई के तहत निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत बच्चों को निशुल्क प्रवेश देने से सरकारी स्कूलोंं में कम हो रही बच्चों की संख्या। समग्र आईडी और आधार वेेरिफिकेशन के कारण बच्चों के दोहरे नामांकन रद्द होने से कम हुई बच्चों की संख्या गांव-गांव में खुल रहे निजी स्कूल जहां काफी कम शुल्क पर दी जा रही बच्चों को अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा
ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी जिससे गिर रहा पढ़ाई का स्तर सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक गुणवत्ता और सुविधाओं की मानीटरिंग नहीं होना जिससे जागरूक अभिभावक छुड़वा रहे स्कूल
जिले के 70 प्रतिशत से अधिक स्कूलों में बिजली और 40 प्रतिशत से अधिक स्कूलों में शुद्ध पानी का आभाव
सरकारी स्कूलों में संख्या बढ़ाने के लिए विभाग द्वारा हर साल बनाई जाने वाली योजनाओं के वास्तविक क्रियान्वयन का आभाव जिले में बालश्रम और पलायन के कारण बच्चों की स्कूलों से दूरी। इस पर सरकारी रोक भी फेल

शैक्षिणक सत्र स्कूल दर्ज छात्र दर्ज छात्राएं कुल विद्यार्थी ९ से १२ की संख्या
२०१७-१८ २६६१ ६५१३३ ८०८३५ १४५९६८ ५१८०२
२०१६-१७ २६५७ ६८३२४ ८४९७६ १५३३०० ५१३०९
२०१५-१६ २६६८ ७६५४० ९३१९२ १६९७३२ ५१३४९
फैक्ट फाइल
वर्तमान में प्रायमरी स्कूल १९१६्र
वर्तमान में मिडिल स्कूल ७४५
वर्तमान में हाई स्कूल १३३
वर्तमान में हायर सेकेन्डरी ७०
इतने स्कूल मोहनपुरा डूब क्षेत्र में १४
इतने स्कूल एक ही परिसर में ३६
इतने प्रायमरी स्कूलों मे थे १३ से कम बच्चें २८८
इतने मिडिल स्कूलों में थे १२ से कम बच्चें १७
हर बच्चे की समग्र आईडी बनने के बाद दोहरे नामांकन वाले बच्चों की संख्या स्वत: ही समाप्त हो गई है। वहीं कुछ बच्चों ने आरटीई के तहत प्राइवेट स्कलों में निशुल्क प्रवेश लिया है। सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षक और बेहतर शिक्षण व्यवस्था है। इस साल सरकारी विद्यालयों में बच्चों की संख्या बढ़ाने प्रयास किए जा रहे है।
– केके नागर, डीपीसी राजगढ़
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