शहर की जिस जनता को रोड के माध्यम से राहत के दावे किए गए थे वे चुनाव से पहले पूरे नहीं हो पाए। ऐसे में न सिर्फ जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों बल्कि सक्षम अफसरों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठने लगे हैं।
दरअसल, जनता का सीधा आरोप है कि रोड बनाने के लिए जिला प्रशासन, स्थानीय प्रशासन, नगर पालिका, पीडब्ल्यूडी इत्यादि ने सख्ती से अतिक्रमण तोड़ा। लोगों की दंतियां, फुटपॉथ इत्यादि तोड़ दिएगए। किसी की कोई गुहार पर ध्यान नहीं दिया गया।
इससे दुकानदारों के साथही मकान वालों को करोड़ों रुपए का नुकसान भी हुआ लेकिन पीपल चौराहे से आगे के सर्वाधिक भीड़भाड़ वाले हिस्से में प्रशासन न ढंग का रोड बना पाया न ही नियमानुसार अतिक्रमण तोड़ पाया।
न्यायालयीन प्रकरणों को आधार बनाकर हर बार कार्रवाई को टाल दिया गया। वहीं अभी तक उसका समाधान नहीं हो पाया है। ऐसे में जिस उम्मीद, डीपीआर की प्लॉनिंग के साथ रोड बनाया गया उसमें से आधा फीसदी भी यह रोड खरा नहीं उतर पाया है।
नेता चुप, प्रशासन भी खामोश..
खास बात यह है कि उक्त रोड को लेकर तमाम जनप्रनिधि और सत्ता पक्ष के नेता चुप्पी साधे हुए हैं। चुनावी माहौल में कोई भी कुछ बताने को तैयार नहीं है। वहीं उनसे ज्यादा खामोशी प्रशासनिक अफसरों में है।
इस बड़ी लेटलतीफी और जनता से जुड़े मुद्दे को लेकर न सिर्फ स्थानीय प्रशासन, नगर पालिका परिषद बल्कि जिला प्रशासन भी पूरी तरह से खामोश है। इससे उन तमाम लोगों के सवाल अधर में हैं जिन्हें जनप्रतिनिधियों के साथ ही अफसरों से पूछना है कि आखिर कार्रवाई में भेदभाव क्यों किया गया?
रोड को लेकर मुद्दे, जिन्हें लेकर चर्चा है….
– जितने में रोड बन जाता उतनी जगह पहले से थी फिर करोड़ों का नुकसान क्यों किया?
– जहां जरूरत है वहां के अतिक्रमण को प्रशासन तोड़ नहीं पा रहा फिर किस काम की सख्ती?
– रोड अधूरा, नालियां भी नहीं बन पाईं, किस तरह का है ये प्रशासन का मैनेजमेंट?
– जो निर्माण, कब्जे बचे हैं उनमें प्रशासन आखिर क्यों स्वीकार कर रहा हस्तक्षेप?
– डीपीआर में पौधे लगाने के साथ ही बेहतर फुटपॉथ का प्लॉन है फिर लेटलतीफी क्यों?
नपा के सामने सहित अन्य मुख्य रोड के पुल-पुलियाओं के साथ ही कुशलपुरा की मेन लाइन डली हुईहै। नालियों के लिएमुख्य लाइन को क्षतिग्रस्त नहीं कर सकते। जब तक लाइन की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो जाती, काम शुरू नहीं कर पाएंगे।
-इकरार अहमद, सीएमओ, नपा, ब्यावरा
आचार संहिता या चुनाव का रोड से कोई लेना-देना नहीं है। काम समय-समय पर चल भी रहा है और बचे हुए मामले प्रशासनिक स्तर पर निपटाए भी जा रहे हैं। जल्द ही बचे हुए काम को पूरा करेंगे।
-प्रदीप सोनी, एसडीएम, ब्यावरा