राजगढ़

ट्यूबवेल और जनरेटर खराब, हवा-पानी को तरस रहे मरीज

सिविल अस्पताल का मामला, अस्पताल की चरमराई व्यवस्था, स्टॉफ की भी कमी

राजगढ़Jun 03, 2018 / 09:22 am

Ram kailash napit

In the absence of facilities patients treated at the hospital.

राजगढ़/ब्यावरा. कहने को सात करोड़ की लागत से सिविल अस्पताल के सैकेंड फेस का काम लगभग पूरा होने की कगार पर है, लेकिन समस्याएं खत्म होने का नाम नहीं ले रही।
ट्यूबवेल खराब हो जाने से गर्मी में मरीजों को पानी के लिए परेशान होना पड़ रहा है। ४३ डिग्री के तापमान में मरीजों को न पंखों की सुविधा मिल रही न ही पीने के पानी की। बिजली कटौती होने और जनरेटर भी नहीं चालू होने से मरीजों को भरी गर्मी में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सैकेंड फेस के निर्माण के दौरान वैसे ही अस्पताल में व्यवस्थाएं हैं, बावजूद इसके विभाग इस ओर ध्यान नहीं देना चाहता।
गुल होने के बाद सर्वाधिक दिक्कत एनआरसी और मैटरनिटी वार्ड में आती है। वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने से उन्हें खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। गर्मी के सीजन में पानी की किल्लत बनी हुई,लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने कोई वैकल्पिक हल अभी तक नहीं निकाला है। पीने के लिए भी महज एक वाटर कूलर लगा हुआ है इसके अलावा मरीजों, स्टॉफ सभी के लिए कोई व्यवस्था नहीं है।
दिनभर बिजली कटौती, जनरेटर भी खराब
समस्याओं का आलम यह है कि बिजली कंपनी का व्हीआईपी फीडर होने के बावजूद दिन-दिनभर बिजली गुल रहती है। ४३ से ४५ डिग्री के तापमान के बीच बिना किसी कूलर, एसी के मरीजों के साथ ही स्टॉफ को रहना पड़ता है। वैकल्पिक तौर पर मौजूद जनरेटर लंबे दिनों से खराब पड़ा है जिसे लगातार शिकायतों के बावजूद ठीक नहीं करवाया गया। ऐसे में भरी गर्मी में मरीज हलाकान हो रहे हैं।
दो से तीन ठीक करवा चुके एक्स-रे में भी दिक्कत खत्म नहीं हो रही। तकनीकि खामी होने से सही रिपोर्ट और एक्स-रे नहीं हो पा रहे हैं। इससे मरीजों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अत्याधुनिक मशीनरी युग में पुरानी मशीन को ही बार-बार ठीक करवा देते हैं,लेकिन उससे काम नहीं चल पाता।
तमाम तरह की दिक्कतों के बीच मौसमी बीमारियों के मरीजों की संख्या भी अस्पताल में रोज बढ़ रही है। सुबह से ही ओपीडी टाइम में आम दिनों की अपेक्षा दो गुना मरीज पहुंच रहे हैं, साथ ही दोपहर बाद इमरजेंसी में भी बड़ी संख्या में मरीज अस्पताल पहुंचते हैं। खास बात यह है कि तमाम तरह के काम की अधिकता होने के बावजूद स्टॉफ की किल्लत अभी भी बरकरार है। जिला चिकित्सालय से स्टॉफ नर्सों के ट्रांसफर के बावजूद लगभग महीनेभर बाद भी ज्वॉनिंग नहीं हो पाई है।
ट्यूबवेल खराब हुई है ऐसे में टैंकर की वैकल्पिक व्यवस्था करेंगे। जनरेटर ठीक करवाने का बोला है। एक्स-रे मशीन में कुछ तकनीकि खराबी है जिसे दोबारा ठीक करवाएंगे। मरीजों की संख्या बढ़ी है, लेकिन स्टॉफ स्वीकृत होने के बावजूद आ नहीं आपा रहा। हम वरिष्ठ अफसरों को अवगत करवाएंगे।
-डॉ. एसएस गुप्ता, प्रभारी, सिविल अस्पताल, ब्यावरा
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