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सीएम के निर्देश का पालन नहीं, कलेक्टर आदेश भी हवा हुए, अतिक्रमण हटा नहीं, सफाई के नाम पर झाडू तक नहीं लगती

locationराजगढ़Published: Jan 19, 2020 11:35:14 am

– बेपटरी हुई शहरी की व्यवस्थाएं, दिशा-निर्देश का असर ही नहीं- आपस में तालमेल नहीं बना पा रहे स्थानीय अधिकारी, एसडीएम, तहसीलदार और सीएमओ में सामंजस्य ही नहीं,- कलेक्टर आते ही सक्रियता दिखाते हैं, फिर बेपटरी हो जाती है व्यवस्थाएं, कोई ध्यान देने को तैयार नहीं

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ब्यावरा. मुख्यमंत्री के माफिया मुक्त प्रदेश बनाने के निर्देश का पालन जिले में प्रॉपर नहीं हो पा रहा है। एक या दो दिन के लिए एक्शन मोड में आने वाला प्रशासन फिर से चुप्पी साध लेता है और चंद राजनीतिक संरक्षण व हस्तक्षेप के बाद नेताओं के सामने बौना साबित हो जाता है।
दरअसल, अधिकारिक तौर पर बेपटरी हो चुकी ब्यावरा सब-डिविजन की व्यवस्थाओं की ओर कोई ध्यान देने वाला नहीं है। कुछ माह पूर्व दिए सीएम के निर्देश और 10 दिन पहले ब्यावरा आईं कलेक्टर के निर्देश भी यहां के अधिकारी मानने को तैयार नहीं है।
स्थानीय एसडीएम, तहसीलदार और नपा सीएमओ में आपस में ही कोई तालमेल नहीं होने से 08 जनवरी को निर्देशित कर देने के बावजूद न अतिक्रमण हटा न ही सफाई हो पाई। इससे शहर की जनता से प्रशासन का विश्वास उठता जा रहा है।
लोगों ने मंशा निर्मित कर ली है कि प्रशासन कुछ करता नहीं सिर्फ फोटो सेशन और वाहवाही बंटोरने तक सीमित है। कलेक्टर द्वारा तीन दिन में अतिक्रमण हटाने और हर दिन सफाई की मॉनीटरिंग के निर्देश को स्थानीय अधिकारी, कर्मचारियों ने इस तरह हवाकर दिया जैसे कोई निर्देश मिला ही न हो।
अतिक्रमण के नाम पर छुट-पुट गुमटीधारियों को हटाकर प्रशासन ने कार्रवाई को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। सुठालिया रोड पर दो से तीन-तीन फीट तक अतिक्रमण पाए जाने और तीन दिन की समयावधि को बीते आठ दिन हो जाने के बावजूद उधर कोई झांका तक नहीं।
यानि यहां के अधिकारियों को न कलेक्टर के निर्देश की परवाह है न ही सीएम के माफिया मुक्त प्रदेश बनाने के मिशन की। हालात यह है कि शहर का ट्रैफिक सिग्नल लगने के बावजूद बिगड़ा हुआ है, कब्जेधारियों पर किसी का कोई अंकुश नहीं लग पाया है।
सामंजस्य नहीं, कोई प्लॉन नहीं करते स्थानीय अधिकारी
सूत्रों के अनुसार अतिक्रमण विरोधी मुहिम हो या शहर विकास का कोई भी काम किसी में भी स्थानीय अधिकारी प्लॉन तैयार नहीं करते न ही किसी प्रकार का कोई सामंजस्य इनमें आपस में है।
नगर पालिका अपने स्तर पर कब्जे हटाना शुरू कर देती है तो एसडीएम उस ओर जाते तक नहीं। एसडीएम उसका प्लॉन तक उन्हें नहीं बताते। इसी तरह बाकी के अधिकारी हैं। पटवारियों और राजस्वकर्मियों के भरोसे पूरी व्यवस्था रहती है, जिस पर किसी का कोई जोर नहीं चल पाता।
पेंडेंसी खत्म नहीं कर रहे, नेतागिरी कर रहे पटवारी
प्रशासनिक व्यवस्थाओं के बीच क्षेत्र में शहर पटवारी इस कदर हावी हो चुके हैं कि खुद की पेडेंसी खत्म नहीं कर पा रहे और खुद नेतागिरी में लगे हैं।
सूत्रों के अनुसार मनमाने ढंग से शहर में नापतौल करने वाले ये पटवारी अपना मूल काम कर नहीं पा रहे हैं और कलेक्टर के निर्देश पर कार्रवाई करने के बजाए कब्जेधारियों को बढ़ावा दे रहे हैं। यहां तक कि कब्जेधारियों की सिफारिश नेताओं से भी करने से ये लोग चूक नहीं रहे।
इसी कारण शहर की व्यवस्था पूरी तरह से बेपटरी हो चुकी है। आम जनता से जुड़े कार्यों के साथ ही तमाम राजस्व की पेडेंसी भी बढ़ती जा रही है।

हम तो कर रहे हैं कार्रवाई
हम तो निरंतर कार्रवाई हमारे स्तर पर कर रहे हैं। यदि प्रशासनिक स्तर पर भी हमें मदद मिले तो और अ’छे से कार्रवाई कर पाएंगे।
– इकरार अहमद, सीएमओ, नपा, ब्यावरा
करेंगे पर प्लॉन बता नहीं सकते
कार्रवाई के लिए हमने प्लॉन तैयार किया हुआ है लेकिन हम शेयर नहीं कर सकते। प्रशानिक स्तर पर कुछ करना होता है, सब थोड़े न बता सकते।
– रमेश पांडे, एसडीएम, ब्यावरा
मैंने बोला हुआ है कार्रवाई करें
मैंने तो उन्हें बोला हुआ है कि रोजाना कार्रवाई करें और उसका फीडबैक दें। रविवार के बाद हम फिर से कार्रवाई करेंगे, कहीं कोई लापरवाही नहीं होगी।
– निधि निवेदिता, कलेक्टर, राजगढ़

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