वहीं, बाकी अन्य 12 निकायों में संबंधित एसडीएम प्रशासक के तौर पर काम करेंगे। सारंगपुर और छापीहेड़ा में कार्यकाल फिलहाल पूरा नहीं हुआ है। नगरीय निकायों के चुनावों में हुई लेटलतीफी से शासन स्तर पर प्रशासक नियुक्त करना पड़े। इससे पहले 1994 से पहले प्रशासक चुने जाते थे, अभी तक चुनाव समय पर ही होते आए हैं।
शासन द्वारा नियुक्त प्रशासक को सीएमओ से ऊपर परिषद के पूरे अधिकार होंगे। जो निर्णय या काम पीआईसी और परिषद के माध्यम से होते थे वे तमाम काम अब प्रशासक कर पाएंगे। यानि माना जा रहा है कि बिना किसी राजनीतिक हस्तक्षेप के अब कुछ हद तक शहर सहित तमाम 12 निकायों के रुके और अटके हुए तमाम विकास कार्यों की रफ्तार को गति मिलेगी।
1994 के बाद नियुक्त हुए प्रशासक
चुनाव में हुई लेटलतीफी से नगर परिषद में सन-1994 के बाद पहली बार प्रशासक चुने गए हैं। इससे पहले 2013-14 में कुछ न्यायालयीन कारणों के चलते महज सारंगपुर में एसडीएम को प्रशासक बनाया गया था।
बाकी अन्य परिषदों में प्रशासक बनाने की जरूरत ही नहीं पड़ी थी। इस बार भी नवंबर-दिसंबर-2019 तक चुनाव की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन समय से नहीं हो पाने से कार्यकाल पूरा होने के करीब 20 दिन बाद कलेक्टर, एसडीएम को प्रशासक बनाया गया।
इन परिषदों का नहीं हुआ है पूरा कार्यकाल
छापीहेड़ा 10 मार्च 2020
सारंगपुर 07 सितंबर 2020 सारंगपुर और छापीहेड़ा नगर परिषद का कार्यकाल पूरा होना शेष है। बाकी 12 निकायों में प्रशासक नियुक्त हो चुके हैं। इन्हें नगर परिषद काउंसिल के पूरे अधिकार प्राप्त होंगे। ये अपने स्तर पर निर्णय लेने में सक्षम होंगे।
– आरपी नायक, परियोजना अधिकारी, शहरी विकास अभिकरण
इधर,बैनर पर लिखा था डीइओ, डीपीसी का नाम, कार्यक्रम से लौट गए विधायक…
वहीं दूसरी ओर राजगढ़ में गुरुवार को डाइट परिसर में एक एनजीओ द्वारा आयोजित कार्यक्रम में अतिथि के रूप में पहुंचे विधायक बापू सिंह तंवर वहां की अव्यस्थाओं से नाराज होकर कार्यक्रम से लौट गए।
इस बीच उन्होंने कार्यक्रम के आयोजक सहित जिला शिक्षा अधिकारी ओर डीपीसी को भी जमकर लताड़ा। दरअसल शून्य निवेश से शिक्षा में नवाचार को लेकर दिल्ली के एनजीओ अरविंदो सोसाइटी द्वारा डाइट परिसर में एक कार्यक्रम आयोजन किया गया था। इसमें संस्था द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी बीएस बिसोरिया, और डीपीसी विक्रम सिंह राठौर को अतिथि बनाया गया था। लेकिन गुरुवार सुबह विधायक को कार्यक्रम की जानकारी देते हुए आमंत्रित कर लिया गया। बच्चों और शिक्षा से जुडा कार्यक्रम होने के चलते विधायक ने उपस्थिति को लेकर सहमति दे दी।
लेकिन दोपहर में जब वह कार्यक्रम में पहुंचे तो मंच पर लगे बैनर पर अतिथि के तौर पर डीइओ ओर डीपीसी का नाम लिखा था। जबकि विधायक का नाम कहीं नजर नहीं आया। विधायक ने इसके बारे में पूछा और कार्यक्रम को लेकर कलेक्टर से बात की तो उन्हें कार्यक्रम की जानकारी ही नहीं थी।
इस पर आयोजक बैनर पर लगे नाम को छुपाने लग गए। लेकिन तब तक विधायक कार्यक्रम छोड़कर जाने को तैयार हो गए। बाद में वहां मौजूद डीपीसी ओर बीइओ विधायक को मनाते रहे, लेकिन वे लौट गए।