जहां ग्रामीण बोले मेडम! पहले हमारे मकानों और जमीनों का मुआवजा तो दिलवाइए, ताकि हम रहने के लिए छोटा-मोटा मकान बना सके। अभी अपने आशियानों को छोड़कर खुले आसमान के नीचे कहां चले जाए। ग्रामीणों ने प्रशासन पर मुआवजा वितरण में भेदभाव का आरोप लगाया।
उन्होंने मुआवजा वितरण में दलालों के संलिप्त होने का भी आरोप लगाते हुए कहा कि एक-दूसरे के समीप सटी दो भाइयों की जमीन में से एक को सिंचित और दूसरे को असिंचित हिसाब से मुआवजा दिया देना तय किया गया है।
वही लक्ष्मीनारायण पिता गंगाधर ने एडीएम को बताया कि उसके मकान का मुआवजा सिर्फ इसलिए आधा कर दिया गया। क्योंकि दलाल द्वारा मांगी गई रिश्वत को उन्होंने देने से मना कर दिया था। प्रशासनिक अमले के सामने ग्रामीणों ने हाइवे से गांव आने-जाने वाले मुख्य रास्ते के बंद होने की स्थिति को भी बयां किया।
जिस पर उन्होंने माधोपुरा मार्ग का अवलोकन किया, वही टांडी, अभयपुर पहुंचकर ग्रामीणों से मकानों को खाली करने की बात कही। प्रशासनिक महकमे में डिप्टी कलेक्टर, राजगढ़ एसडीएम, नायब तहसीलदार खुजनेर, ईई जल संसाधन, ईई पुर्नवास सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे। जिनसे सरपंच रामनरेश धनगर ने ग्रामीणों के साथ डूब प्रभावित जमीन और मकानों का बिना विसंगति के मुआवजा दिया जाने की अपील की।
नौ गांव हुए जलमग्न
डूब क्षेत्र में 28 गांव आबादी वाले और 43 गांवों की जमीनें डूब रही हैं। यहां 28 में से नौ गांव जो डेम के करीब है या फिर निचले स्तर पर बसे है। वह पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं। यहां के सभी लोगों को दूसरी जगहों पर विस्थापित कर दिया गया हैं। जबकि इस बार डूबने वाले गांवों को खाली कराने का क्रम चल रहा हैं।
डेम में तेजी से पानी बढ़ रहा हैं, ऐसे में डूब क्षेत्र अंतर्गत आने वाले गांवों के लोगों को सचेत करते हुए मकानों को खाली कराने की अपील करने हम पहुंचे थे। जहां कुछ लोग ऐसे भी मिले, जिनको मुआवजा नहीं मिल पाया हैं। हम सर्च करा रहे है, संबंधितों को जल्द मुआवजा दिया जाएगा।
-भव्या मित्तल, अपर कलेक्टर राजगढ़