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Video: बीच रास्ते पर कांग्रेसियों ने हाथों से खींची कार, जानिये क्या है मामला…

locationराजगढ़Published: May 25, 2018 12:36:01 pm

बीच रास्ते पर कांग्रेसियों ने हाथों से खींची कार, जानिये क्या है मामला…

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बीच रास्ते पर कांग्रेसियों ने हाथों से खींची कार, जानिये क्या है मामला…

राजगढ़/ब्यावरा@ राजेश विश्वकर्मा की रिपोर्ट…

पेट्रोल व डीजल के दामों में हो रही लगातार वृद्धि के चलते जहां लोगों ने सड़क पर उतराना शुरू कर दिया है, वहीं कांग्रेस को भी सरकार के विरुद्ध अपनी लड़ाई को जारी रखने का एक बड़ा मुद्दा मिल गया है।
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इसी के चलते शुक्रवार को ब्यावरा में कांग्रेसियों ने पेट्रोल डीजल के बढ़ते दाम के विरोध में रैली निकाली। इस अवसर पर कांग्रेसियों ने कार को हाथ से खींचकर बढ़ते दामों पर चिंता जताई।
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वहीं जानकारों का मानना है चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस के हाथ एक बड़ा मुद्दा लग गया है, जिसे वह किसी भी कीमत पर छोड़ना नहीं चाहेगी। वहीं सरकार की ओर से लगातार कीमतें घटाने का प्रयास किया जा रहा है। जो अब तक सफल नहीं हो सका है।
इधर, दामों में वृद्धि का ये पड़ा असर…
वहीं पेट्रोल-डीजल की कीमतें रिकॉर्ड हाई पर पहुंच जाने से इन दिनों सरकार भी चिंतित बताई जाती है। इसके बावजूद तेल कंपनियां दाम घटाने को तैयार नहीं हैं, इस कारण पिछले 11 दिन से लगातार पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है।
वहीं दूसरी ओर एक्साइज ड्यूटी में कटौती की मांग से लेकर टैक्स हटाने तक मांग हो रही है। जबकि कुछ लोग इसे जीएसटी के तहत लाकर दाम करने की दुहाई दे रहे हैं। यहां तक की पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने भी इस संबंध में सरकार को नसीहत दे डाली है कि वह कैसे पेट्रोल के दाम कम कर सकती है।
सरकार की आलोचना…
इस बीच आम जनता की जेब लगातार बढ़ते बोझ को लेकर केंद्र में मोदी सरकार की चौतरफा आलोचना हो रही है. ऐसे में विपक्ष भी पीएम मोदी से इसका जवाब मांग रहे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने तो पीएम को चुनौती दे दी है. लेकिन, अब सरकार ने इसका तोड़ ढूंढ लिया है.
ये है नया मोदी फॉर्मूला…
सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार केंद्र की मोदी सरकार पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम का लॉन्ग टर्म सॉल्यून यानी दीर्घकालिक उपाय तलाश कर रही है। इसी सब के बीच पीएम मोदी ने खुद इसका तोड़ निकाल लिया है। जिसके बाद तेल कंपनियों के मनमाने रवैया पर अब सरकार चाबुक चलाने की तैयारी कर रही है। दरअसल, सरकार तेल उत्पादक कंपनी ओएनजीसी पर विंडफॉल टैक्स लगाने की तैयारी कर रही है। इससे पेट्रोल-डीजल के दाम में दो रुपए तक की कटौती संभव है।
इन पर लगेगा टैक्स!
सामने आ रही सूचना के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक हुई थी, जिसके बाद सरकार की तरफ से कहा गया कि वह इसके दीर्घकालिक समाधान पर काम कर रही है।
इस बैठक से जुड़े सूत्रों ने बताया कि भारतीय तेल उत्पादक कंपनियों के लिए कच्चे तेल की कीमत 70 डॉलर प्रति बैरल तक सीमित की जा सकती है। उन्होंने बताया कि अगर यह योजना अमल में लाई जाती है तो भारतीय ऑयल फील्ड से तेल निकाल कर उसे अंतरराष्ट्रीय दरों पर बेचने वाली तेल उत्पादक कंपनियां अगर 70 डॉलर प्रति बैरेल की दर से ज्यादा पर पेट्रोल बेचती हैं, तो उन्हें आमदनी का कुछ हिस्सा सरकार को देना होगा।
जानिये क्या है विंडफॉल टैक्स
विंडफॉल टैक्‍स एक तरह का विशेष तेल टैक्‍स है। इससे मिलने वाले रेवेन्‍यू का फायदा फ्यूल रिटेलर्स को दिया जाएगा, जिससे वह कीमतों में बढ़ोत्‍तरी को अब्‍जॉर्ब कर सके। उपभोक्ता को तत्‍काल राहत देने के लिए सरकार विंडफॉल टैक्‍स लगा सकती है। विंडफॉल टैक्‍स दुनिया के कुछ विकसित देशों में प्रभावी है। इंग्लैंड में 2011 में तेल की कीमतें 75 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाने पर टैक्‍स रेट बढ़ा दिया गया, जो नॉर्थ सी ऑयल और गैस से मिलने वाले प्रॉफिट पर लागू हुआ था। इसी तरह चीन ने 2006 में घरेलू तेल प्रोड्यूसर्स पर स्‍पेशन अपस्‍ट्रीम प्रॉफिट टैक्‍स लगाया।
एक्साइज ड्यूटी में भी कटौती
कहा जा रहा है कि मोदी सरकार विंडफॉल टैक्‍स को तेल कीमतों में तेजी को काबू में रखने के एक स्‍थायी समाधान के विकल्‍प के रूप में देख रही है। सरकार की तरफ से यह टैक्‍स सेस के रूप में लगाया जा सकता है और तेल की कीमतें 70 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर जाने पर यह देना होगा।
राज्य भी घटाएंगे वैट
माना जा रहा है कि तेल कंपनियों पर टैक्स और एक्साइज ड्यूटी में कटौती के अलावा, सरकार राज्यों से भी वैट और सेल्स टैक्स में कटौती करने को लेकर कह सकती है। पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से परेशान लोगों को इन कदमों से तत्काल थोड़ी राहत मिलने की आशा है।
सरकारी और निजी दोनों तरह की पेट्रोल उत्पादक कंपनियों को सेस लगाने की सोच रही है। कुल मिलाकर ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इन सबको मिलाकर पेट्रोल की कीमतों में 5-7 रुपए की कटौती हो सकती है। हालांकि, यह केवल अनुमान है,क्योंकि अभी सरकार की तरफ से ऐसा कोई कटौती निर्धारित नहीं की गई है।
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