scriptभ्रष्टाचार में आखिर किसका संरक्षण | Corruption news in madhya pradesh | Patrika News

भ्रष्टाचार में आखिर किसका संरक्षण

locationराजगढ़Published: Jan 14, 2019 01:08:04 pm

Submitted by:

Amit Mishra

जिले में बड़े-बड़े घोटाले होने के बावजूद जांच होती रही और गुम हो गए मामले…

news

भ्रष्टाचार में आखिर किसका संरक्षण

राजगढ@ भानु ठाकुर की रिपोर्ट…
सरकार बदली, जनप्रतिनिधि बदल गए। लेकिन अभी भी भ्रष्टाचार के वे मुद्दे व्यवस्थाओं और प्रबंधन को कोस रहे है। जिनमें आरोपी सामने है। घोटाला सामने है। लेकिन कार्रवाई करने वाले वजह कुछ करने के फाइलें दबाकर बैठे है। सवाल उठता है कि जो मामले साफ है। उनकी जांच पर जांच और किसी पर भी न आए आंच। ऐसा कब तक चलता रहेगा। आखिर किसके संरक्षण में यह भ्रष्टाचार हो रहे है।


कार्रवाईंयां जांचों में दबी पड़ी…
जिले में पिछले कुछ महीनों की बात करे तो बड़े-बड़े घोटाले या जालसाजी के मामले सामने आए। लेकिन उन मामलों में किसी पर कोई कार्रवाई हो। ऐसा नजर नहीं आया। कुछ मामले तो ऐसे है जिनमें प्रशासन ने जांच पूरी कर एफआईआर तक के लिए पत्र लिखे। लेकिन एफआईआर दर्ज क्यों नहीं हो रही। जिम्मेदारों ने भी यह पूछना तक उचित नहीं समझा। यही कारण है कि अब लोगों को कार्रवाई से डर नहीं लगता और आमजन अपने काम के लिए परेशान होते रहते है। ऐसे ही कुछ मामले है। जिनको जिला प्रशासन के सामने लाना जरूरी है। क्योंकि इन मामलों की कार्रवाईंयां जांचों में दबी पड़ी है।

 

फर्जी दस्तावेजों में कर्मचारी शामिल…
हाल ही में एसडीएम व तहसीलदार सहित जल संसाधन के ईई के फर्जी हस्ताक्षर से पांच लाख रुपए निकालने का मामला सामने आया था। हालांकि पैसा निकल पाता। इससे पहले एसडीएम को सूचना लग गई। मामला उजागर होने के बाद थाने में एफआईआर के लिए भी लिखा गया। इस मामले में कलेक्ट्रेट का ही एक कर्मचारी सत्यम श्रीवास्तव शामिल था। जो दुनिया की नजर में फरार है। लेकिन राजगढ़ में ही उसे आसानी से देखा जा सकता है।

फर्जी पंजी बनाकर रजिस्ट्री का मामला…
खुजनेर रोड पर एक जमीन के मामले में पटवारी ने जमीन की फर्जी पंजी बना दी। जिसमें अधिकारियों के भी साइन दर्ज है। मामले की शिकायत कमिश्रर कार्यालय में होने के बाद सात दिन के अंदर रिपोर्ट मांगी गई। इस मामले की जांच एसएलआर संजय चौरसिया पिछले दो माह से कर रहे है। लेकिन सात दिन कब होंगे। इसका आयुक्त को भी इंतजार है।

100 बीघा जमीन पर कब्जा-

मोहनपुरा डूब क्षेत्र में आने वाले समेली गांव के पास पड़ी करीब 150 बीघा से ज्यादा सरकारी जमीन में से 100 बीघा जमीन पर अवैध रूप से लोगों ने कब्जा कर लिया। तत्कालीन एसडीएम बृजेन्द्र रावत की जानकारी में मामला आने के बाद उन्होंने खुजनेर तहसील को जांच के लिए आदेश दिए थे। कार्रवाई तो बहुत दूर की बात। यहां जांच करने तक कोई अधिकारी आज तक नहीं पहुंचा। जबकि इस मामले को तीन माह से ज्यादा का समय हो चुका है।

चहेतों को बांट दी बेशकीमती रोकस की जमीन
ब्यावरा शहर के बीच रोगी कल्याण समिति की बेशकीमती जमीन बिना नीलामी और किराया अनुबंध किए अपने चहेतों को राजनैतिक रसूक के चलते बांट दी गई। 20 से 25 लाख रुपए मूल्य की एक-एक दुकान को नियमों को दरकिनार कर बिना किराया अनुबंध और नीलामी के दिया गया। इसकी लगातार शिकायतें मिलने के साथ ही स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ कार्यालय की आपत्ति के बाद भी प्रशासन के जिम्मेदार आंख बंद कर इस बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम देते रहे। मामला अब हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है।

ब्यावरा मंडी में लाखों की टैक्स चोरी-

अक्टूबर, नवंबर, दिसंबर,15 में ब्यावरा मंडी के 74 में से 61 व्यापारियों के नाम टैक्स चोरी में सामने आए थे। करीब 30 लाख 60 हजार 168 रुपए की टैक्स चोरी सामने आई थी। वहीं 11 मार्च,17 में फर्जी गेट पास का मामला भी सामने आया था। इसके माध्यम से लाखों की टैक्स चोरी कर उपज देशभर में पहुंचाई जा रही थी। दोनों ही मामलों में जिला प्रशासन और मंडी बोर्ड द्वारा जानकारी में होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।

फर्जी बिलों के खुलासे के बाद भी नहीं कार्रवाई-

जीरापुर अस्पताल में मामला खाने का हो या अन्य खरीदी का। यहां जो बिल लगाए जाते है। उनमें भारी गड़बड़ी सामने आती है। आरटीआई में लिए गए दस्तावेजों के बाद कई तरह के मामले उजागर भी हुए। जिनकी शिकायत सीएमएचओ से लेकर कलेक्टर तक को की गई। लेकिन वहां भी शायद गलतियां करने की छूट दे रखी है। तभी सबकुछ साफ होने के बाजवूद भी बीएमओ अपने पद पर जमे हुए है।

मामले क्यों लंबित है। यह देखना पड़ेगा। यदि आपके पास इनसे संबंधित कोई दस्तावेज है तो वह शीधे उपलब्ध कराए। निश्चित रूप से कार्रवाई जरूर होगी।

निधि निवेदिता, कलेक्टर राजगढ़

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो