कोरोना से हर तरह की जंग लडऩे का दावा करने वाले स्वास्थ्य विभाग की हकीकत यह है कि न उनके पास पर्याप्त संसाधन हैं न ही इससे लडऩे के लिए प्रॉपर तैयारी। सोमवार को गले में इन्फेक्शन, सासं लेने में दिक्कत और सर्दी-खांसी से पीडि़त एक सिम्टोमैटिक पेशेंट जब जिला अस्पताल पहुंचा तो न वहां उनकी इमरजेंसी में जांचें हो पाई न ही एक्स-रे। आधी-अधूरी जांचों के बीच ही उन्हें एमडी मेडिसीन डॉक्टर से उपचार करवाना पड़ा। यानि महज कोरोना बूलेटिन और वरिष्ठ अफसरों के समक्ष दावे-आश्वासनों तक ही जिला चिकित्सालय की तैयारियां रह गई हैं।
एक्स-रे की दिक्कत है
मैं दिखवाता हूं इस तरह की बात है तो यह गलत है। जहां तक एक्स-रे की बात है तो डिजिटल मशीन खराब है, भोपाल में लॉक डॉउन के चलते मैकेनिक आ नहीं पा रहे। हम इमरजेंसी में उनके बुलाने की व्यवस्था करेंगे। बाकी अन्य अव्यवस्थाओं को लेकर मैं बात करता हूं।
-नीरज कुमार सिंह, कलेक्टर, राजगढ़
मशीन खराब है तो मैं क्या करूं?
एक्स-रे मशीन यदि खराब है तो मैं क्या करूं, आप सिविल सर्जन से बात करो? जहां तक सोशल डिस्टेंसिंग की बात है तो मैं संबंधित को बोलता हूं, मरीजों की भीड़ को कम करेंगे। साथ ही पूरी सावधानी मरीजों का उपचार करते वक्त बरती जाएंगी।
-डॉ. के. के. श्रीवास्तव, सीएमएचओ, राजगढ़