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सरकारी अस्पताल में मरीजों का इलाज नि:शुल्क, जांच में हो रहे हजारों खर्च!

locationराजगढ़Published: Sep 03, 2018 02:34:14 pm

Submitted by:

Ram kailash napit

सर्वसुविधायुक्त सरकारी लैब की जांच नहीं भाती डॉक्टरों को, लिख रहे निजी लैबों की जांच

hospital

  Rajgarh The relatives of the patients told Tiger.

राजगढ़. इसे स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी कहे या फिर चिकित्सकों के कमीशन का खेल कि सरकार ने भले ही सरकारी अस्पतालों में इलाज से लेकर दवा और जांच सभी व्यवस्थाएं निशुल्क कर रखी है, लेकिन अस्पताल में दवाओं और जांचों के नाम पर मरीज लुट रहे है। जहां सरदार बल्लभभाई पटेल नि:शुल्क दवा वितरण केन्द्र की बात हो या फिर लैब की।

यहां से ज्यादा मरीज बाहर चल रही मेडिकल और लैब पर नजर आते है। ऐसा नहीं है कि मरीज खुद अपनी मर्जी से वहां जाते हो, लेकिन चिकित्सक ही उन्हें बाहर की जांच को बेहतर बताते हुए उन्हें जांच कराने के लिए मजबूर करते है। जिला चिकित्सालय में व्यवस्थाओं के सुधार को लेकर लगातार प्रयास हो रहे है।

खुद कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने पिछले दिनों चिकित्सालय के सभी जिम्मेदार डॉक्टरों की एक बैठक लेते हुए उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए कहा। यही नहीं उन्होंने इसके लिए अलग-अलग चिकित्सकों को अलग-अलग जिम्मेदारी भी सौंपी, लेकिन अभी उसमें कुछ सुधार हुआ हो। ऐसा नजर नहीं आता। चारों तरफ अस्पताल में विकास कार्य चल रहे है, लेकिन जिसमें सबसे ज्यादा सुधार की जरूरत है। वहां अभी भी कई कमियां नजर आती है। जिसमें चिकित्सकों की कमी तो है ही।

वहीं कई तरह की सुविधाएं जो चिकित्सालय में होने के बावजूद खुद डॉक्टर उन्हें गलत बताते हुए बाहर की जांच और दवा लिखते है। जबकि शासन के स्पष्ट निर्देश है कि अस्पताल में भर्ती मरीज को न तो बाहर की जांच लिखी जाए और न ही दवा, लेकिन यह आदेश भी कोरे ही नजर आते है।

अब सब को भोपाल की जांच
इन जांचों के अलावा अधिकांश मरीजों को कलर डॉप्लर जैसी जांच लिखी गई है। जो राजगढ़ में नहीं होती। इसके लिए भी भोपाल में जांच कराने की सलाह दी गई है। जिन मरीजों को यह जांच लिखी है। उन सभी के पैरों में घाव है।

हर मरीज के पास प्राइवेट जांच
ट्रामा सेंटर में स्थित पुरुष वार्ड में जितने भी मरीज भर्ती थे। हर एक के पास प्राइवेट जांच रखी हुई थी। जांच में भी डब्ल्यूबीसी काउंट, हीमोग्लोबिन और शुगर जैसी जांचे शामिल थी। जो जिला चिकित्सालय की लैब में ही होती है। इसके बाद भी वहां की जांच को गलत बताते हुए बाहर की लिखी जाती है। भर्ती रामनारायण राजगढ़, रोडजी, रामनाथसिंह ने बताया कि पहले यहां जांच कराई थी, लेकिन उन जांचों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया। जिसके बाद बाहर से ही जांच करानी पड़ी, लेकिन सरकारी जांच हो या फिर बाहर की। उसमें कोई अंतर नजर नहीं आया। इसके बाद भी बाहर की जांच क्यों लिखी जा रही है पता नहीं।

पहले अस्पताल से जांच कराई थी, लेकिन बाद में प्राइवेट जांच के लिए कहा गया। जिसके बाद बाहर से कराकर लाए।
प्रेमसिंह, गुराडिया

मेरे पिताजी यहां भर्ती है, लेकिन वह लंबे समय से ठीक नहीं हो रहे। हम भी बाहर से जांच करा रहे है।
रामचरण, ग्रामीण

ब्यावरा से अपने पिताजी को राजगढ़ लेकर आए थे। 1300 रुपए की जांच अभी तक करा चुके है। सुधार के नाम पर कुछ भी नहीं है।
दिनेश, चाचाखेेड़ी

यदि ऐसा हो रहा है तो यह गलत है। मैं अभी सारंगपुर अस्पताल आया हूं। राजगढ़ आते ही सभी की बैठक लूंगा और जो भी परिजन है वे सीधे शिकायत दर्ज कराएंगे। ताकि सही कार्रवाई हो सके।
डॉ. विजयसिंह, सीएमएचओ राजगढ़

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